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ऑफ़बीट

पृथ्वी का कब होगा अंत? पता लगाने में जुटे वैज्ञानिक

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नई दिल्ली। दुनियाभर में बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं, ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का बढ़ता जलस्तर, वायरस के कारण फैल रही महामारियों के कारण एक दिन इस दुनिया का अंत होना तय है। क्या इंसानी नस्ल इस विनाश से बच पायेगी। इन सब बातों का पता लगाने के लिए नासा के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं।

द सन की रिर्पोट के मुताबिक, नासा के द्वारा शुरू किया गया एक नया मिशन दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण सवाल का जवाब ढूंढ़ सकता हैं। नासा का यह शोध शुक्र ग्रह से जुड़ा हुआ हैं।

साइंस फोकस की रिर्पोट के मुताबिक, शुक्र ग्रह कभी धरती की तरह हुआ करता होगा। विशेषज्ञों की माने तो शुक्र ग्रह का ड्यूटेरियम-हाइड्रोजन रेशियो धरती की तुलना में 100 गुना अधिक हैं।

इसके पीछे की वजह ये मानी जा रही हैं कि शुक्र ग्रह पर पानी रहा होगा, जो अब गायब हो चुका हैं। शुक्र ग्रह से जुड़ी एसी गुत्थियों को सुलझाने के लिये नासा कुछ साल बाद 2028 से 2030 के बीच अपना DAVINCI+Veritas Probes रवाना करेगा। शुक्र ग्रह से जुड़े सभी सिद्धांतो का अध्ययन कर धरती के अंत के समय का अनुमान लगाया जा सकेगा।

उत्तर प्रदेश

संभल में 46 साल बाद खुले मंदिर के कुएं से निकली माता पार्वती की खंडित मूर्ति

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संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में बिजली चोरी के खिलाफ अभियान चला रहे प्रशासन को बीते दिनों करीब 46 साल से बंद पड़ा मंदिर मिला था। यह मंदिर उसी इलाके में है, जहां हिंसा हुई थी और लंबे समय से बंद था। इस हिंदू मंदिर में पहले महादेव की मूर्ति निकली।

उसके बाद मंदिर के प्रांगण में स्थित कुएं की खुदाई की गई। इसके बाद इस मंदिर से मां पार्वती की खंडित प्रतिमा बरामद की गई है। फिलहाल पुलिस ने इस प्रतिमा को अपने कब्जे में ले लिया है और जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। हालातों को देखते हुए इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है।

बता दें कि संभल के नखासा थाना इलाके के मोहल्ला ख़ग्गू सराय में स्थित शिव मंदिर के कपाट खुलने के बाद खुद पुलिसकर्मियों ने मूर्तियों की सफाई की थी। इस दौरान हर-हर महादेव के जयकारों से पूरा आसमान गूंज उठा था। 46 साल बाद खुले मंदिर में पूजा शुरू कर दी गई है। आज भी बड़ी संख्या में भक्त जलाभिषेक करने पहुंचे थे।

ये शिव मंदिर सपा सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क के घर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इस शिव मंदिर पर प्राचीन महादेव मंदिर लिख दिया गया है और मंदिर परिसर में मिले कुएं की खुदाई भी की जा रही है।

बताया जा रहा है कि प्रशासन अब इस मंदिर की कार्बन डेटिंग कराएगा. इसके लिए जिला प्रशासन ने भस्म शंकर मंदिर, शिवलिंग और वहां मिले कुएं की कार्बन डेटिंग कराने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को एक पत्र लिखा है. इस जांच के जरिए प्रशासन इस बात की जानकारी प्राप्त करेगा कि ये मंदिर और इसकी मूर्ति कितनी पुरानी हैं.

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