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नीतीश कुमार भूल गए राजद के विरोध में ही हुआ था जदयू का जन्म: उपेंद्र कुशवाहा

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Nitish Kumar Upendra Kushwaha

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पटना। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बागी तेवर  बिहार की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे रहे हैं। आज गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने राजद के साथ हुए गठबंधन से जदयू के कमजोर होने की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि राजद के विरोध में ही जदयू का जन्म हुआ था, नीतीश कुमार ये बात भूल गए हैं।

उपेंद्र कुशवाहा ने पटना में भारत के लेनिन अमर शहीद जगदेव प्रसाद जयंती समारोह में मौजूद मीडिया से बात करते हुए यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि पार्टी कमजोर हो रही है। पार्टी कमजोर होगी तो स्वाभाविक रूप से उपेंद्र कुशवाहा कमजोर होंगे। नीतीश कुमार कमजोर होंगे। सब कमजोर होंगे। हम तो बार-बार यही कह रहे हैं कि पार्टी कमजोर न हो, मजबूत कैसे हो इसके लिए कोशिश करनी है।

मीडिया ने इस पर सवाल किया कि पार्टी के बाकी लोग कह रहे हैं कि पार्टी मजबूत हो रही है और आप कह रहे हैं कि पार्टी कमजोर हो रही है, कुशवाहा ने कहा कि नीतीश जी ने कहा कि 75 लाख सदस्य बन गए तो आप लोगों ने देखा है न कि 2020 विधानसभा चुनाव के पहले हम नहीं थे पार्टी में उस वक्त जो दावा किया जा रहा था कि बिहार भर में डेढ़ लाख लोग कमेटी के सदस्य बने हैं। गांधी मैदान में बुलाया गया, कहा गया, आंकड़ा दिया गया और पांच हजार लोग भी नहीं आए; जबकि मुख्यमंत्री जी उपस्थित थे।

इसी तरह से सदस्यता चलती है न, सदस्यता का यही मतलब है? उन्होंने कहा कि जनता चाहती है तब कहीं जाती है, लेकिन हम डील की बात कर रहे हैं। जनता नहीं चाहती है कि इस तरह की डील कोई अंदर में हो। लेकिन कन्फ्यूजन है तो हम लोग भी जानना चाहते हैं कि आखिर क्या है? हमको जानकारी रहती तो बार-बार हम क्यों पूछते?

मीडिया के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम जो कहते हैं उनके अगल-बगल वाले लोग जिस तरह की कोशिश कर रहे हैं उस कोशिश में सफल भी हो रहे हैं। मुख्यमंत्री जी आज की तारीख में अपनी इच्छा से कोई निर्णय नहीं ले रहे हैं और यह बात सिर्फ हम नहीं कहते। आप चले जाइए कहीं भी; राज्य कार्यालय के आसपास कैमरा ऑफ कर लीजिए, माइक बंद कर लीजिए और तब जनता दल यूनाइटेड के लोगों से पूछिए तो सही-सही लोग बता देंगे कि मामला क्या है। हमसे क्यों पूछ रहे सब लोग बता देंगे।

कुशवाहा ने कहा कि जो स्थिति है बिहार में पार्टी ही जब पूरे सीन से खत्म होती जा रही है, उपेंद्र कुशवाहा का चेहरा है नहीं; कहां महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कहीं कोई खटपट नहीं है, हम कह रहे हैं कि पार्टी की मजबूती के लिए काम हो। इसमें खटपट की कहां बात है। कोई खटास जैसा नहीं है। कोई नाराजगी जैसी भी कुछ बात नहीं है। हम पार्टी को पटरी पर लाने के लिए, पार्टी की मजबूती के लिए अपनी बात कह रहे हैं।

उसके लिए हम कह रहे हैं कि अगर पार्टी की मीटिंग बुलाएं तो उसमें आकर भी हम अपनी बात कह देंगे। हम यह कह रहे हैं कि पार्टी कोई मंच उपलब्ध करावे। हम तो यह कह रहे हैं कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो तो उसमें अपनी बात कहेंगे। या मुख्यमंत्री जी बुलाएंगे तो हम जाने के लिए बिल्कुल तैयार हैं, उसमें कहां हमको कोई एतराज है।

पार्टी को बागी तेवर दिखाने के सवाल पर कुशवाहा ने कहा कि बागी तेवर की आपकी अपनी परिभाषा होगी। आपकी परिभाषा सभी कोई मान लें, ये जरूरी तो नहीं। कार्यक्रम महाराणा प्रताप जयंती का हुआ, पार्टी के बैनर से हुआ क्या? उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि जदयू का जनाधार जो ढीला पड़ रहा है, वह फिर से इकट्ठा हो, बीच-बीच में जो लोग आए, जिन्होंने ताकत दी, वे सभी मिलकर एक साथ आएं और मजबूती से खड़े हों।

कुशवाहा ने कहा कि रामेश्वर महतो ने जिनका नाम लिया है, मेरी समझ से वो लोग बिल्कुल भी दोषी नहीं हैं। वो लोग उपयोग किए जा रहे हैं। मोहरा बनाए जा रहे हैं। उसके पर्दे के पीछे कोई और है। जो लगता है कि उपेंद्र कुशवाहा से डायरेक्ट हम नहीं कन्फ्रेंटेशन कर सकते हैं, उससे मामला बिगड़ जाएगा। वैसे लोग हमारे ही लोगों को आगे कर दे रहे हैं। बस यही है। बाकी जो लोग आगे हैं, जिनका नाम रामेश्वर महतो जी ले रहे हैं; ये लोग तो बेचारे हैं।

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ऋणी गरीब लोगों के लिए सहकारी बैंकों की वन टाइम सेटलमेंट नीति को बदलने पर विचार किया जाएगा: सुखविंदर सिंह सुक्खू

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शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि ऋणी गरीब लोगों के लिए सहकारी बैंकों की वन टाइम सेटलमेंट नीति को बदलने पर विचार किया जाएगा।

विधायक सतपाल सिंह सत्ती के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वन टाइम सेटलमेंट के मामले 10 लाख रुपये से ऊपर के कर्ज के लिए भी लागू रहेंगे। पिछली सरकार ने पॉलिसी लाई तो कुछ ने फायदा उठाया और कुछ ने नहीं। ऐसे लोग जिनका लोन 10 लाख या इससे ऊपर हो गया। गरीब लोग जो ऋणी हैं, उनके लिए विचार करेंगे कि उन्हें कैसे राहत मिले। यह नीति न केवल सहकारी बैंक बल्कि राज्य कृषि सहकारी बैंक में भी लागू होगी।

सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार पूरा अध्ययन करने के बाद होटलों और भवनों के अतिक्रमण पर संबंधित संचालकों को एकमुश्त राहत देगी। कहा कि जिनके एटिक बने हैं, उनका पूरा अध्ययन करेंगे। देखा जाएगा कि उनके लिए क्या किया जा सकता है। कानून की परिधि में रहकर ही विचार किया जा सकता है। इस बारे में पहले रिटेंशन पॉलिसी भी आ चुकी है। कोर्ट का भी इस पर फैसला आया है। एटिक बनाई है तो उसे रेगुलर करने का नियमानुसार काम होगा।

 

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