Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

नोएल टाटा चुने गए रतन टाटा के उत्तराधिकारी, बने टाटा ट्रस्ट के नए चेयरमैन

Published

on

Loading

नई दिल्ली। देश ही नहीं दुनिया के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। उनके जाने के बाद लोगों के मन में यही सवाल था कि टाटा का अब अगला उत्तराधिकारी कौन होगा। अब इसका जवाब भी मिल गया है। रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा, टाटा ट्रस्ट के नए चेयरमैन होंगे। नोएल अभी तक टाटा के दोनों ट्रस्ट के ट्रस्टी थे, लेकिन वे अब चेयरमैन कहलाएंगे। आज सुबह टाटा ट्रस्ट की बोर्ड मीटिंग हुई और इसी में नोएल टाटा की नियुक्ति का फैसला लिया गया। इसके साथ ही अब नोएल दुनियाभर के 100 से ज्यादा देशों में फैले टाटा ग्रुप के कारोबार को संभालेंगे। इस जिम्मेदारी को निभाने में उनके तीनों बच्चे लिया, माया और नेविल सहयोग करेंगे, जो पहले से ही टाटा ग्रुप में अलग-अलग जिम्मेदारियां निभा रहे हैं।

नोएल टाटा को टाटा ग्रुप की विरासत को संभालने के लिए सबसे मजबूत दावेदार के तौर पर देखा जा रहा था। टाटा ग्रुप की कई कंपनियों में नोएल टाटा पहले से कामकाज देख रहे हैं और टाटा परिवार से भी हैं। नोएल फिलहाल Trent, Voltas, Tata Investment Corporation और Tata International के चेयरमैन हैं। वह टाटा स्टील और टाइटन में वाइस चेयरमैन भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि नोएल और रतन टाटा के बीच कई सालों तक प्रोफेशनल रिश्ता था। नोएल को 2019 के आखिर में सर रतनजी टाटा ट्रस्ट का ट्रस्टी बनाया गया था और 2022 में वह सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट में शामिल हुए।

टाटा संस के पूर्व बोर्ड सदस्य आर गोपालकृष्णन ने नोएल को ‘बहुत अच्छा और समझदार आदमी’ बताया है। उन्होंने कहा, ‘वह ट्रस्ट के लिए बहुत अच्छा काम करेंगे। वे अपने व्यवसाय और उद्यमशीलता कौशल के साथ, टाटा ट्रस्ट को और आगे लेकर जाएंगे। नोएल टाटा, 2014 से ट्रेंट लिमिटेड के अध्यक्ष रहे हैं। इससे पहले उन्होंने 2010 से 2021 तक टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड को लीड किया था।

रतन टाटा के सौतेले भाई हैं नोएल

बता दें कि 67 साल के नोएल टाटा, रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। पिता नवल टाटा और सिमोन टाटा के बेटे हैं। क्योंकि रतन टाटा के अपने सगे भाई जिम्मी टाटा बिजनेस से दूर रहते हैं, इसलिए रतन टाटा के निधन के बाद नोएल टाटा को उनकी जगह पर चेयरमैन बनाया गया। नया पद मिलने से पहले नोएल टाटा दोनों ट्रस्टों के मेंबर थे। वर्तमान में टाटा ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी टाटा सन्स के चेयरमैन N चंद्रशेखरन हैं। ट्रेंट कंपनी की चेयरमैन नोएल टाटा की मां सिमोन टाटा हैं।

पूरे टाटा ग्रुप के ऊपर 2 ट्रस्ट हैं, जिनकी कमान टाटा परिवार के हाथ में ही रहती है। इन्हीं दोनों ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा थे और बुधवार रात रतन टाटा के निधन के बाद नोएल टाटा को चेयरमैन बना दिया गया है।

नेशनल

शराब घोटाला: केजरीवाल के खिलाफ चलेगा केस, एलजी ने ईडी को दी मंजूरी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैँ। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ईडी को आबकारी नीति मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को ईडी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।

ईडी ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।

Continue Reading

Trending