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जुर्म

संसदीय समिति की सलाह- मिलावटी पदार्थ बेचने के दोषी को न्यूनतम छह महीने की सजा व जुर्माना

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नई दिल्ली। संसदीय समिति ने सलाह दी है कि मिलावटी पदार्थ बेचने के दोषी को न्यूनतम छह महीने की सजा मिलनी चाहिए। साथ ही समिति ने 25 हजार रुपये जुर्माना लगाने की भी सलाह दी है। भाजपा सांसद बृजलाल की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने कहा है कि मिलावटी खाने का लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है और इसके लिए जो सजा का मौजूदा प्रावधान है वह अपर्याप्त है।

समिति ने दी सजा बढ़ाने की सलाह

संसदीय समिति का कहना है कि मिलावटी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ जनता को व्यापक रूप से नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन इसके लिए दी जाने वाली सजा नाकाफी है। संसदीय समिति ने मिलावट के दोषी को न्यूनतम छह महीने जेल की सजा और न्यूनतम 25 हजार रुपये जुर्माना लगाने की सलाह दी है। बता दें कि मौजूदा कानून के तहत मिलावटी खाना बेचने की सजा अधिकतम छह महीने या एक हजार रुपये का जुर्माना या दोनों है।

सामुदायिक सजा के प्रावधान की तारीफ की

बता दें कि संसदीय समिति ने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम विधेयकों के ड्राफ्ट का विश्लेषण किया और उसमें जरूरी बदलाव के लिए अपने सुझाव दिए।

समिति ने बीते शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट राज्यसभा को सौंप दी है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय न्याय संहिता में सजा के तौर पर सामुदायिक सेवा को शामिल करने के कदम को अच्छा बताया।

समिति ने कहा कि इससे जेलों पर भार कम होगा और इसे सुधारात्मक दृष्टिकोण से उठाया गया कदम बताया। हालांकि समिति ने ये भी कहा कि विधेयक में सामुदायिक सेवा की सजा की अवधि और प्रकृति स्पष्ट नहीं है और समिति ने इसे स्पष्ट करने की सलाह दी है।

समिति ने कही ये बात

संसदीय समिति ने सामुदायिक सेवा की परिभाषा स्पष्ट की जानी चाहिए और साथ ही एक व्यक्ति की निगरानी करने की भी सलाह दी है, जो दी गई सामुदायिक सेवा की निगरानी कर सके। समिति ने कहा है कि विधेयकों में कुछ व्याकरण और टाइपिंग की गलतियां हैं, जिन्हें सही करने की सलाह दी गई है।

बता दें कि सरकार IPC ACT की जगह भारतीय न्याय संहिता, CrPC ACT की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लाने जा रही है। सरकार ने बीती 11 अगस्त को इन विधेयकों को लोकसभा में पेश किया था और अगले शीतकालीन सत्र में इन पर चर्चा होने की संभावना है।

उत्तर प्रदेश

मेरी पत्नी से शिक्षक का था अफेयर, इसलिए मार डाला; वकील के कबूलनामे से आया नया ट्विस्ट

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कानपुर। उप्र के कानपुर के पनकी के पतरसा में शिक्षक दयाराम सोनकर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार वकील संजीव कुमार के बयान ने पेंच फंसा दिया है। वकील ने जो बयान दिया, उसके मुताबिक शिक्षक के उसकी पत्नी से अवैध संबंध थे। चूंकि शिक्षक वर्तमान में कानपुर देहात में ही रह रहा था।

इसके चलते पत्नी भी कानपुर देहात स्थित मायके में ही थी। इसलिए उसने रविवार को दयाराम को बुलाकर अकेले ही बंद कमरे में जिंदा जलाकर मार डाला। वहीं, मृतक के भाई का कहना है कि भाभी के संबंध ढाबा संचालक से थे। विरोध करने पर भाभी ने प्रेमी और वकील के साथ मिलकर भाई की हत्या कर दी।

मृतक दयाराम के छोटे भाई अनुज ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि भाई दयाराम ने अपने मोबाइल फोन से उन्हें कॉल करके बताया था कि संजीव, पवन और संगीता ने उन्हें कमरे में बंद करके आग लगा दी है और भाग गए हैं। तहरीर के आधार पर पुलिस ने जब वकील संजीव को उठाकर पूछताछ शुरू की तो कहानी में नया मोड़ आ गया।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक संजीव ने बताया कि दयाराम जिस कॉलेज में पढ़ाता था, उसी में संजीव का साला शिक्षक है। दोनों में गहरी दोस्ती थी। दयाराम का संजीव के साले के घर में भी आना-जाना था। संजीव को दयाराम और उसकी पत्नी के बीच अवैध संबंध का शक था।

संजीव के अनुसार, पत्नी को कई बार घर लाने की कोशिश की, लेकिन वो राजी नहीं हुई। पत्नी से संबंधों को लेकर बातचीत के लिए दयाराम को घर बुलाया। इसके बाद पेट्रोल डालकर आग लगा दी। हालांकि, पुलिस को अन्य हत्यारोपियों की घटनास्थल के आसपास लोकेशन भी नहीं मिली है। दोनों कहानियों की तह तक जाने के लिए पुलिस अब सक्ष्यों की मदद ले रही है।

संजीव कई बार बुला चुका था दयाराम को

अनुज ने बताया कि संजीव कई बार दयाराम को फोन करके उसकी पत्नी से समझौता कराने की बात कहकर बुला चुका था। परिवार वालों की राय के बाद वे समझौते के लिए गए थे, वहां सभी ने मिलकर उनके भाई की हत्या कर दी।

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