आध्यात्म
लघु पितृ पक्ष माना जाता है पौष अमावस्या, बन रहा है अद्भुत संयोग
नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में पौष मास को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस मास में होने वाले व्रत एवं त्योहारों का भी विशेष महत्व है। पौष मास को लघु पितृ पक्ष के रूप में भी जाना जाता है। तर्पण व श्राद्ध कर्म इत्यादि के लिए पौष अमावस्या को सबसे उत्तम दिन माना जाता है।
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पौष अमावस्या के दिन श्रधालुओं द्वारा पवित्र स्नान किया जाता है और पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। इस बार पौष मास की अमावस्या तिथि 23 दिसंबर शुक्रवार को है। इस दिन अद्भुत संयोग का निर्माण हो रहा है।
पौष अमावस्या तिथि
पंचांग के अनुसार पौष अमावस्या तिथि का प्रारम्भ 22 दिसंबर 2022 को शाम 07 बजकर 13 मिनट पर होगा। साथ ही इस तिथि का समापन 23 दिसंबर को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर। उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए पौष अमावस्या 23 दिसंबर शुक्रवार के दिन है।
शुभ योग
इस साल पौष अमावस्या तिथि 23 दिसंबर शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन पवित्र स्नान और तर्पण के साथ-साथ माता लक्ष्मी से भक्तों को विशेष लाभ मिलेगा, क्योंकि शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा के लिए समर्पित है।
पंचांग में यह भी बताया गया है कि इस दिन वृद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। माना जाता है कि इस योग में किए गए कार्यों में हमेशा वृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं। वृद्धि योग का निर्माण 23 दिसंबर दोपहर 01 बजकर 42 मिनट पर होगा। इसका समापन 24 दिसंबर सुबह 09 बजकर 27 मिनट पर होगा।
पौष अमावस्या को करें यह उपाय
अमावस्या तिथि को पितृ दोष से मुक्ति के लिए बहुत सहायक माना जाता है। इसलिए यदि किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष है तो उन्हें इस दिन निश्चित रूप से पवित्र स्नान करने के साथ-साथ तर्पण व पिंडदान करना चाहिए। ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद भी मिलता है और घर में खुशहाली आती है।
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आध्यात्म
महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना
महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।
16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा
लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।
सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण
उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।
जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया
बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
स्वच्छता का भी दिया संदेश
उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।
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