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प्रादेशिक

PK बोले- बिहार में आज भी जंगलराज, पहले पिस्तौल था अब कलम

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पटना। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) ने कहा कि बिहार में आज भी जंगलराज है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के राज में पहले अपराधी पिस्तौल से व्यापारियों और लोगों को लूटते थे। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज में अधिकारी कलम से जनता को लूट रहे हैं। पश्चिमी चंपारण जिले में जनसुराज पदयात्रा के दौरान पीके ने महागठबंधन सरकार पर जमकर हमला बोला।

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पीके ने बेतिया में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में अभी तक जंगलराज खत्म नहीं हुआ है। बस लूटने का तरीका बदल गया है। लालू यादव जब मुख्यमंत्री थे तब अपराधी सरेआम बंदूक और अन्य हथियारों से लोगों को लूटते थे। दुकानों पर जाकर वसूली करते थे।

पीके ने कहा कि अब नीतीश कुमार के अधिकारी जनता को लूट रहे हैं। लोगों को बंदूकों से नहीं बल्कि कलम से लूटा जा रहा है। आज कोई भी सरकारी काम कराना हो, योजना का लाभ लेना हो तो पैसा खिलाना पड़ता है। बिहार में भ्रष्टाचार चरम पर है।

गांवों की सड़कें जंगलराज की तरह

पिछले दिनों प्रशांत किशोर ने बिहार की सड़कों की तुलना भी जंगलराज से की थी। पीके ने कहा कि वे करीब सवा महीने से पदयात्रा कर रहे हैं, गांवों की सड़कों की जो हालत है वो लालू यादव के जंगलराज जैसी ही है।

पीके का कहना है कि वे रोजाना 20 से 25 किलोमीटर पैदल चलते हैं, फिर तीन-चार दिन के बीच एक दिन रुककर आराम करते हैं। रास्ते में आने वाले गांवों के लोगों से बात कर उनकी समस्याओं को इकट्ठा करते हैं।

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उत्तर प्रदेश

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई

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नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।

पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।

हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।

 

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