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प्रादेशिक

हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित दिव्य जननी कार्यक्रम का गर्भवती महिलाओं को मिलेगा विशेष फायदा

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लखनऊ। गर्भवती माताएं दिव्यता को जन्म दें, इसके लिए उनका न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहना अत्यंत जरूरी है। अंतर्राष्ट्रीय संस्था हार्टफुलनेस के ग्लोबल गाइड कमलेश पटेल जी के मार्गदर्शन में लंबे शोध के बाद दिव्य जननी कार्यक्रम तैयार किया गया है, जो गर्भवती महिलाओं व उनके होने वाले शिशु के लिए काफी लाभप्रद है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत हार्टफुलनेस योगासन, तनाव मुक्ति, प्राणाहुति ध्यान और दिमाग को चुस्त-दुरुस्त रखने की तकनीक सिखायी जाती है। आईसीडीएस (इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेस) और हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में 20 से 26 जून 2022 तक आईआईएम रोड स्थित हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट में दिव्य जननी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न जिलों से करीब 57 आंगनबाड़ी सुपरवाइजरों व सीडीपीओ ने भाग लिया। कार्यशाला में ‘स्तन पान और पूरक पोषण’ विषयक जानकारी भी दी गयी।

कार्यशाला में हार्टफुलनेस प्रशिक्षकों द्वारा बताया गया कि गर्भवती महिलाओं को शारीरिक सेहत के साथ-साथ मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। गर्भवती मां अगर तनाव में तो इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर पड़ता है। गर्भवती मां के शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक विकास के लिए कार्यशाला में नियमित सत्र आयोजित किए गए। ध्यान से होने वाले सकारात्मक प्रभावों को न सिर्फ कार्यशाला में बताया गया,बल्कि उनका अनुभव भी कराया गया। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.मधुरिका अग्रवाल, डॉ.अनुराधा अग्रवाल, डॉ. अनुराग कटियार व डॉ. मेनका सिंह ने बताया कि हार्टफुलनेस शिथिलीकरण और ध्यान का नियमित अभ्यास करने वाली गर्भवती महिलाओं के बच्चे शारीरिक के साथ ही मानसिक और भावनात्मक रूप से अधिक विकसित होते हैं। वास्तव में ऐसी माताएं दिव्य जननी बनती हैं व दिव्यता को जन्म देती हैं। दिव्य जननी कार्यक्रम के अंतगर्त सभी सुपरवाइजरों को शिथिलीकरण और ध्यान का प्रतिदिन अभ्यास कराया।

कार्यशाला के प्रतिभागियों को मुंबई से आयी तकनीकी टीम द्वारा ‘स्तनपान और पूरक पोषण’ की जानकारी दी गयी। मुंबई से आईं न्यूट्रिशन एक्सपर्ट दीपाली, विजया तथा शीतल ने स्तनपान से जुड़ी तमाम भ्रांतियों को दूर किया। उन्होंने बताया कि सही से स्तनपान न कराने की वजह से जन्म के कुछ माह बाद बच्चे का वजन गिरने लगता है। मां का दूध बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार है। यह शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के साथ ही शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक विकास में भी सहायक है। कार्यशाला में स्तनपान के वक्त बच्चे को गोद में लेने की सही पोजीशन की भी जानकारी दी। डायरेक्टर आईसीडीएस डॉ. सारिका मोहन ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण को लेकर कई नए शोध किए हैं। उसके अनुरूप ग्रोथ चार्ट तैयार किया गया है। कार्यशाला में नए मानकों के अनुसार स्तनपान और पोषण आहार की जानकारी दी गयी। उन्होंने बताया कि कुपोषण दर घटाने के लिए सुपरवाइजर व सीडीपीओ के लिए सहयोग एप तैयार किया जा रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्रों व गृह भ्रमण के बाद एप में डाटा डाला जाएगा। सहयोग एप की पायलेट टेस्टिंग हो चुकी है। इसके जुलाई माह तक उपलब्ध करा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हार्टफुलनेस मेडिटेशन तकनीक विशेष रूप से प्रभावशाली है। दिव्य जननी कार्यक्रम का वास्तविक लाभ गर्भवती महिलाओं को जरूरी मिलेगा। इस अवसर पर लखनऊ के डीपीओ अखिलेन्द्र दुबे ने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए हार्टफुलनेस केंद्र को बधाई दी।

हार्टफुलनेस लखनऊ की जोनल कोऑर्डिनेटर शालिनी मेहरोत्रा ने बताया की आंगनबाड़ी सुपरवाइजरों को कार्यशाला में मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। प्रशिक्षण के बाद फील्ड लेवल कर्मचारियों और आंगनबाड़ी कार्यत्रियों तक वे इसका लाभ पहुंच सकेंगी। उन्होंने बताया कि सात दिवसीय इस आवासीय कार्यशाला के बाद आगे भी दिव्य जननी कार्यक्रम के अंतर्गत यहां प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। कार्यशाला में लखनऊ विवि के होम साइंस विभाग की प्रो. मीरा सिंह की उपस्थिति मुख्य रूप से रही। बच्चों के बौद्धिक विकास के कार्यक्रम ब्राइटर माइंड की जानकारी भी इस दौरान दी गयी। कार्यशाला की समाप्ति पर सभी प्रतिभागियों को आईसीडीएस की उप निदेशक कमलेश गुप्ता द्वारा सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।

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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन की वृद्धि

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लखनऊ |  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले साढ़े सात वर्ष से चल रहा ‘पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ जनअभियान’ रंग ले आया। 2024 में 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण करने वाले उत्तर प्रदेश में आईएसएफआर 2023 के अनुसार 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन से अधिक की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश से आगे केवल छत्तीसगढ़ है, जबकि अन्य सभी राज्य उत्तर प्रदेश से पीछे हैं। इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के नेतृत्व में आए इस सकारात्मक पहल की बधाई दी। वहीं केंद्रीय वन-पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी इस उपलब्धि पर उत्तर प्रदेश को शुभकामना दी।

देहरादून में भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई

🌳भारत का वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किमी है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है। इसमें 7,15,343 वर्ग किमी (21.76%) वन आवरण और 1,12,014 वर्ग किमी (3.41%) वृक्ष आवरण है।

🌳2021 के आकार-फ़ाइल आधारित मूल्यांकन की तुलना में वन एवं वृक्ष आवरण में 1,445 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है, जिसमें वन आवरण में 156 वर्ग किमी और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग किमी की वृद्धि शामिल है।

🌳वन एवं वृक्ष आवरण में अधिकतम वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष चार राज्यों में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किमी) के साथ शीर्ष पर है। ओडिशा का क्षेत्रफल (558.57 वर्ग किमी), राजस्थान (394 वर्ग किमी) व झारखंड (286.96 वर्ग किमी.) है।

इनसेट
इन राज्यों में हुई वृद्धि
राज्य एरिया
छत्तीसगढ़ 683.62 वर्ग किमी.
उत्तर प्रदेश 559.19 वर्ग किमी.
ओडिशा 558.57 वर्ग किमी.
राजस्थान 394.46 वर्ग किमी.
झारखंड 286.96 वर्ग किमी.

‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है नया उत्तर प्रदेश:सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट ‘एक्स’ पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि नया उत्तर प्रदेश ‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है। आईएसएफआर 2023 के अनुसार उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग कि.मी. की वन और वृक्ष आच्छादन की ऐतिहासिक वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान ‘एक पेड़ मां के नाम’ और भारतीय दर्शन ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ भाव से उत्तर प्रदेश वासियों के जुड़ाव का प्रतिफल है।

मानवता के कल्याण को समर्पित इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए पौधरोपण अभियान से जुड़े सभी लोगों, प्रकृति प्रेमियों एवं प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई!

यूपी में लगाए गए 36.80 करोड़ से अधिक पौधे

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक दिन (20 जुलाई) को 36.51 करोड़ पौधरोपण कर इतिहास रचने वाले उत्तर प्रदेश ने 30 सितंबर तक 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण किए। साढ़े सात वर्ष में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 210 करोड़ पौधरोपण किये गए।

भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2023 में प्रकाशित रिपोर्ट के परीक्षण करने पर उत्तर प्रदेश में वनावरण की स्थिति…

वनावरण

1. अति सघन वन 2,688.73 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 4,001.41 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8.355.66 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 15045.80 वर्ग कि०मी० (6.24%)
वृक्षावरण 8950.92 वर्ग कि0मी (3.72%)
कुल वनावरण व वृक्षावरण 23996.72 वर्ग कि0मी0 (9.96%)

भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2021 (यथा संशोधित) में प्रकाशित रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित आंकड़े…
वनावरण

1. अति सघन वन 2655.29 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 3995.53 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8276.55 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 14927.37 वर्ग कि०मी० (6.20%)
5-वृक्षावरण 8510.16 वर्ग कि0मी0 (3.53%)
6-कुल वनावरण व वृक्षावरण 23437.53 वर्ग कि0मी0.( 9.73%)

सर्वाधिक वृद्धि वाले उत्तर प्रदेश के पांच जनपद

1- झांसी – 8597 एकड़
2- अमरोहा – 7769 एकड़
3- इटावा – 7127 एकड़
4- कानपुर नगर – 6249 एकड़
5- बिजनौर – 3343 एकड

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