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आध्यात्म

पांच साल के बाल रूप में विराजेंगे रामलला, 4 फीट 3 इंच की प्रतिमा का किया जा रहा निर्माण

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Ramlala will be seated in the form of a five year old child Champat Rai

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अयोध्या। राम नगरी अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के भूतल का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। वहीं, तीन प्रमुख मूर्तिकारों के द्वारा रामलला की तीन अलग अलग मूर्ति को तैयार किया जा रहा है। 20 दिसम्बर तक रामलला के एक मूर्ति का भी चयन प्रक्रिया भी पूरा हो जाएगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों में जुटा हुआ है।

उक्त जानकारी देते हुए ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने बताया कि लार्सन टूब्रो और टाटा और ट्रस्ट की ओर से सेवा दे रहे इंजीनियर आपसी तालमेल से काम कर रहे हैं और आवश्यकता अनुसार प्रत्येक कार्य के लिए अलग अलग कार्यों के मजदूर बढ़ाये जा रहे हैं।

उन्होंने बताया आज मंदिर परिसर में 3200 से भी अधिक लेबर कार्य कर रहे हैं। गर्भगृह तैयार हो चुका है। रामलला का विग्रह पूर्णताः की ओर है। मूर्तिकारों ने बताया है कि 8 दिन का फिनिशिंग का कार्य बचा हुआ है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजा पाठ प्रारम्भ होगा। इसके लिए यज्ञशाला का निर्माण शुरू हो गया है।

पांच साल के बाल रूप में विराजेंगे रामलला

चंपत राय ने कहा, राम जन्मभूमि मंदिर में भगवान राम के बाल रूप 5 वर्ष का बालक बाल रूप की पत्थर की खड़ी प्रतिमा 4 फीट 3 इंच यह अयोध्या में तीन स्थानों पर बनाई जा रही है।तीन कारीगर तीन अलग-अलग पत्थरों में बना रहे हैं। भगवान जिस किसी के हाथ को स्वीकार कर ले यह पत्थर की प्रतिमाएं लगभग तैयार है 90% तक तैयार हैं। एक सप्ताह का फिनिशिंग वर्क बाकी है।

भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा मंदिर के ग्राउंड फ्लोर के गर्भ ग्रह में होनी है। ग्राउंड फ्लोर लगभग तैयार है, गर्भ ग्रह पूरी तरीके से तैयार है जिससे प्राण प्रतिष्ठा के समय में कोई बाधा नहीं आएगी। ग्राउंड फ्लोर बहुत लंबा चौड़ा है इस पर जमीन में मार्बल का फ्लोरिंग कुछ हिस्सों में हो गया है। कुछ हिस्सों में काम चल रहा है यह कोई महत्व की बात नहीं है। फ्लोर अगर नहीं भी बना तो भी गर्भगृह तैयार है।

इन खास लोगों को भेजा गया निमंत्रण

प्राण प्रतिष्ठा के लिए देश के 4000 संतों को निमंत्रित किया जा रहा है।इस सूची का निर्माण हो चुका है। इनमें कई संतों को व्हाट्सएप पर और जो ईमेल देखते हैं ईमेल पर या बाय हैंड निमंत्रण दिया गया है। लगभग 3200 संतो को बाई पोस्ट सूचनाएं प्रेषित कर दी गई हैं।

दो-तीन दिन में 700-800 संतो को भी भाई पोस्ट समाचार चले जाएंगे।2000 गृहस्तो के नाम लिखा जा चुके हैं। इनमें खेल जगत के लोग हैं, वैज्ञानिक हैं, सैनिक है प्रशासन पुलिस के अधिकारी हैं, जज है। अधिवक्तागण और मीडिया हाउस व उद्योगजगत से जुड़े लोग हैं। देश दुनिया के भारत के बाहर कोशिश की जा रही है। 50 देश से एक-एक रिप्रेजेंटेटिव जरूर आ जाए। एक बहुत बड़ी टीम अपने-अपने क्षेत्र में इन सब कामों को करने में लगी है यह कार्य समय से काफी पहले पूरा हो जाएगा।

आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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