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प्रादेशिक

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5ः बच्चों के सामान्य टीकाकरण की दर 51.1% से बढ़कर हुई 69.6%

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लखनऊ। प्रदेश में साल 2017 से पहले जहां हजारों की तदाद में नौनिहाल संक्रमण की चपेट में आकर दम तोड़ देते थे। पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित 38 जिले इंसेफलाइटिस से ग्रस्त थे, सैकड़ों मौतें होती थीं। पर साल 2017 के बाद से सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने जब से प्रदेश की कमान संभाली तब से उनके द्वारा नौनिहालों के लिए लागू की गई योजनाओं और कार्यों से ढेर सारे सकारात्‍मक बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। उत्‍तर प्रदेश में कुपोषित बच्‍चों की तदाद घट रही है तो वहीं टीकाकरण में उल्‍लेखनीय इजाफा हो रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) द्वारा जारी रिर्पोट में यह तस्वीर सामने आई है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि राष्‍ट्रीय स्‍तर से ज्‍यादा यूपी में सुधार हुआ है। एनीमिया प्रभावित महिलाओं की संख्‍या में 5.1 प्रतिशत की कमी आई है । जबकि राष्‍ट्रीय स्‍तर पर यह कमी 1.8 प्रतिशत है। यूपी में बच्‍चों के वृद्धि‍ अवरोध के मामलों में 6.6 प्रतिशत की कमी हुई है। जो राष्‍ट्रीय स्‍तर पर 2.9 प्रतिशत है। राज्‍य में सामान्‍य से कम वजन के बच्‍चों के मामलों में 7.4 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। जबकि राष्‍ट्रीय स्तर पर 3.7 प्रतिशत है।

बच्चों के स्तनपान से लेकर टीकाकरण का बढ़ा ग्राफ

प्रदेश सरकार के अथक प्रयासों का परिणाम है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 में यूपी अव्‍वल है। प्रदेश सरकार ने पिछले साढ़े चार सालों में बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी विभिन्‍न विशेष योजनाओं की शुरूआत की। ये सभी योजनाएं जमीनी स्‍तर पर रंग लाई जिसका परिणाम है कि बच्चों के स्तनपान से लेकर उनके टीकाकरण का ग्राफ बढ़ा है। प्रदेश में छह माह के बच्चों का स्तनपान की दर 41.6 से बढ़कर 59.7 प्रतिशत हो गई है। बच्चों के सामान्य टीकाकरण की दर भी 51.1 से बढ़कर 69.6 प्रतिशत पर पहुंच गई है। प्रदेशवासियों में बच्चों की सेहत को लेकर जागरूकता भी बढ़ी है।

दिमागी बुखार पर लगाई लगाम

प्रदेश में साल 2017 से योगी सरकार ने विशेष अभियान चलाया। उचित रणनीति का ही परिणाम है कि वर्षों से हज़ारों बच्चों की जान ले चुकी दिमागी बुखार जैसी बीमारी में 75 प्रतिशत और उससे होने वाली मौतों में 95 प्रतिशत की कमी आई है। संक्रमण रोगों पर नियंत्रण के गोरखपुर मंडल की राष्‍ट्रीय व अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर सरहाना भी हुई ।

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उत्तर प्रदेश

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई

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नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।

पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।

हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।

 

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