अन्तर्राष्ट्रीय
भारत में बढ़ती महंगाई क्या श्रीलंका की तरह करेगी कंगाल!
कोरोना के दंश को झेल कर जहा देश अर्थव्यवस्था को सुद्ध करने में लगा ही था, इसमें थोड़ी और राहत चुनावी ने भी दी, क्योंकि चुनाव है तो सब चीजें सस्ती तो होगी ही, लेकिन चुनावों के बाद अब ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे सरकार द्वारा ‘महगाई का घोषणापत्र’ जारी कर दिया गया हो। जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है। ऐसा लगता है जैसे महंगाई भी उसी क्रम में आसमान छू रही है।
लोगों को आशा थी कि कोरोना लगभग 2 वर्षों के बाद कम हुआ है तो अर्थव्यवस्था ठीक होगी लेकिन कम होने की बजाय महंगाई दोगुनी गति से बढ़ती जा रही है। घर की रसोई चलाता एक चुनौतीपूर्ण काम हो गया है। गैस का मूल्य आग की तरह बढ़ता जा रहा है और सबसे महत्वपूर्ण चीज जिस पर बाकी सारी चीज़ें निर्भर करती हैं,पेट्रोल व डीजल में तो मानो दौड़ लगी है कि कौन पहले सबसे ऊंचा आकड़ा छुएगा।
मध्यमवर्ग हो या उच्च वर्ग, इस वक़्त सबका बजट चौपट हो रहा है। इसके कारण आम आदमी परेशान है। सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। और दूसरी वस्तुओं के दाम भी धीरे-धीरे पहुंच से बहार हो रहे हैं। आज की बढ़ोतरी के बाद दिल्ली में पेट्रोल 104.61 रुपये और डीजल 95.87 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है। एक अप्रैल से एलपीजी सिलेंडर की कीमत एक झटके में 250 रुपये बढ़ा दी गई। गर्मियों का मौसम शुरू हो गया है और इस समय सब्जियों की कीमत ने किचन का बजट बिगाड़ दिया है।
श्री लंका एक भीषण आर्थिक संकट से लड़ रहा है। ऐसे में ये चिंता जताई का रही है कि भारत के कुछ प्रदेश भी श्रीलंका की तरह आर्थिक संकट से जूझने की कगार पर आ सकते हैं।
सोने की लंका कैसे हुई कंगाल
श्रीलंका में कंगाली से कोहराम मचा है। आर्थिक संकट से परेशान देश के सभी 26 मंत्रियों का इस्तीफा हो चुका है। देश के ऊपर अरबों रुपये का कर्ज है। कर्ज चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं। लोग महंगाई से त्रस्त हो रहे हैं। एक तरफ तो जरूरी चीजों की भारी किल्लत है और जहां थोड़ा बहुत सामान मिल भी रहा है, वहां कीमते आसमान छू रही हैं। श्रीलंका सरकार के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला और तेज हो गया है। राष्ट्रपति राजपक्षे ने इस्तीफा देने से साफ इनकार कर दिया है। सवाल ये है कि सोने की लंका क्यों सुलग रही है, कैसे श्रीलंका कंगाली की इस कगार पर पहुंचा।
अस्पतालों में बिजली ठप है। बिजली की कमी से हालात ये हो गए हैं कि मरीजों की जरूरी सर्जरी भी नहीं हो पा रही है, कागज की किल्लत के कारण परीक्षाएं रद्द की जा रही है, तेल की कमी से रेल-बस नेवर्क ठप हो गया है, जिससे देशभर की सप्लाई चेन टूट गई है, ईंधन की कमी से घरों के चूल्हे बंद हो चुके हैं और खाने-पीने की चीजों की किल्लत ऐसी हो गई है कि दुकानों में लूटपाट होने लगी है।
कंगाली में महंगाई का वार
चावल 250/kg
गेहूं 200/kg
चीनी 250/kg
नारियल तेल 900/लीटर
मिल्क पाउडर 2000/kg
देश की इस हालत के लिए लोग सिर्फ और सिर्फ सरकार को जिममेदार मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार की गलती नीतियों के कारण ही देश की ये हालत हुई है।
श्रीलंका की तरह ‘कंगाल’ होने के कगार पर देश
चुनावों में मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों में सबकुछ फ्री देने की होड़ मची रहती है और इस कारण देश के कई राज्य बदहाली के कगार पर पहुंच गए हैं। देश के कई शीर्ष नौकरशाहों ने चेतावनी दी है कि अगर इस प्रवृत्ति पर रोक नहीं लगी तो ये राज्य श्रीलंका और यूनान की तरह कंगाल हो जाएंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी चिंता से अवगत कराया है।
प्रधानमंत्री के साथ शनिवार को करीब चार घंटे तक चली बैठक में कुछ सचिवों ने इस बारे में खुलकर बात की। उनका कहना था कि कुछ राज्य सरकारों की लोकलुभावन घोषणाओं और योजनाओं को लंबे समय तक नहीं चलाया जा सकता है। अगर इन पर रोक नहीं लगी तो इससे राज्य आर्थिक रूप से बदहाल हो जाएंगे। उनका कहना है कि लोकलुभावन घोषणाओं और राज्यों की राजकोषीय स्थिति के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं होता है तो इन राज्यों का श्रीलंका या यूनान जैसा हाल हो सकता है।
कौन-कौन राज्य हैं शामिल
सूत्रों के मुताबिक इनमें से कई सचिव केंद्र में आने से पहले राज्यों में अहम पदों पर काम कर चुके हैं। उनका कहना है कि कई राज्यों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और अगर वे भारतीय संघ का हिस्सा नहीं होते तो अब तक कंगाल हो चुके होते। अधिकारियों का कहना है कि पंजाब, दिल्ली, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की सरकारों ने जो लोकलुभावन घोषणाएं की हैं, उन्हें लंबे समय तक नहीं चलाया जा सकता है। इसका समाधान निकालने की जरूरत है।
कई राज्यों में विभिन्न राजनीतिक दलों की सरकारें लोगों को मुफ्त बिजली दे रही है। इससे सरकारी खजाने पर बोझ पड़ रहा है। इससे हेल्थ और एजुकेशन जैसे अहम सामाजिक सेक्टरों के लिए फंड की कमी हो रही है। बीजेपी ने भी हाल में हुए विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेशऔर गोवा में मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने के साथ ही दूसरी कई लोकलुभावन घोषणाएं की थीं।
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यात्रियों से भरी बस को एक ट्रक ने मारी भीषण टक्कर, 38 लोगों की मौत
दक्षिण-पूर्वी ब्राजील। दक्षिण-पूर्वी ब्राजील में यात्रियों से भरी बस को एक ट्रक ने भीषण टक्कर मार दी। यह हादसा दक्षिण-पूर्वी ब्राजील के मिनास गेरैस राज्य में एक राजमार्ग पर हुआ। यहां बस और ट्रक की टक्कर में 38 लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मिनास गेरैस अग्निशमन विभाग ने बताया कि शनिवार सुबह हुए इस हादसे में घायल 13 अन्य लोगों को टियोफिलो ओटोनी शहर के पास के अस्पतालों में ले जाया गया।
बताया जा रहा है कि बस साओ पाउलो से चली थी और उसमें 45 यात्री सवार थे। अधिकारियों ने कहा कि जांच के बाद ही दुर्घटना का कारण स्पष्ट हो सकेगा। प्रत्यक्षदर्शियों ने बचाव दल को बताया कि बस का टायर फटने से बस अनियंत्रित हो गई और एक ट्रक से टकरा गई। हादसे के दौरान एक कार भी उस बस से टकरा गई, कार में तीन यात्री सवार थे और तीनों की जान बच गई।
राष्ट्रपति ने जाहिर किया शोक
इस भीषण सड़क दुर्घटना में हुई मौतों को लेकर ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने शनिवार को एक बयान जारी करके कहा ,‘‘ मुझे बेहद अफसोस है और मैं दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।’’ परिवहन मंत्रालय के अनुसार, इस वर्ष ब्राजील में यातायात दुर्घटनाओं में 10 हजार से अधिक लोग मारे गए हैं।
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