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संजय निरुपम का केजरीवाल पर निशाना, बोले- कस्टडी में होकर भी मुख्यमंत्री पद से चिपके हुए हैं

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नई दिल्ली। कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि कस्टडी में होकर भी वो मुख्यमंत्री के पद से अभी तक चिपके हुए हैं। उन्होनें कहा कि केजरीवाल को तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। भारत की राजनीति में महज 11 साल पुरानी पार्टी राजनीति के पूरी तरह अनैतिक हो जाने की एक मिसाल पेश कर रही है। केजरीवाल जी की अपनी कुरसी से चिपके रहने की जिद आगे जाकर भारतीय राजनीति को और खोखली कर देगी।

संजय निरुपम ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से गुजर रहे हैं। इंसानियत के नाते हमें उनके प्रति सहानुभूति है। कांग्रेस पार्टी ने भी उन्हें सार्वजनिक रूप से समर्थन दिया है, लेकिन वे भारतीय राजनीति में नैतिकता की जो नई परिभाषा लिख रहे हैं,उसने मुझे यह पोस्ट लिखने के लिए मजबूर कर दिया।

एक समय था जब एक हवाला कारोबारी जैन की कथित डायरी में अडवाणी जी,माधवराव सिंधिया और कमलनाथ जैसे नेताओं के नाम आए थे और उनपर रिश्वत लेने के आरोप लगे,तब उन्होंने नैतिकता का तकाजा देकर तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। लाल बहादुर शास्त्री ने एक ट्रेन दुर्घटना पर इस्तीफा दे दिया था। अभी हाल में जब वे इंडिया अगेंस्ट करप्शन का तमाशा पूरे देश को दिखा रहे थे तब UPA सरकार के मंत्रियों ने भ्रष्टाचार के छिछले आरोपों पर भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

कुछ महीने पहले की बात है, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से पहले पद छोड़कर एक नैतिक आचरण पेश किया था. हजारों साल पीछे जाएं तो अपने पिता के वचन के लिए राम ने राजपाट त्याग दिया था। कांग्रेस नेता ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पर कई सवाल खड़े करते हुए पूछा कि दिल्ली के शराब घोटाले की सच्चाई क्या है, इसका फैसला अदालत को करना है। मगर एक मुख्यमंत्री पर इस घोटाले में भ्रष्टाचार का आरोप लगा है, उनकी गिरफ्तारी हुई है, वे कस्टडी में है और मुख्यमंत्री के पद से अभी तक चिपके हुए हैं? यह कैसी नैतिकता है ?

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नेशनल

शराब घोटाला: केजरीवाल के खिलाफ चलेगा केस, एलजी ने ईडी को दी मंजूरी

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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैँ। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ईडी को आबकारी नीति मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को ईडी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।

ईडी ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।

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