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आध्यात्म

इस बार संकष्‍टी चतुर्थी का है विशेष महत्व, जानें पूजन का शुभ मुहूर्त

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Sankashti Chaturthi

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नई दिल्ली। प्रत्‍येक हिंदी महीने के कृष्‍ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्‍टी चतुर्थी कहते हैं। माघ मास में पड़ने वाली संकष्‍टी चतुर्थी का विशेष महत्‍व होता है। नए साल की पहली संकष्‍टी चतुर्थी इस बार 10 जनवरी को पड़ रही है।

इस बार की संकष्‍टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ने से य‍ह और भी खास मानी जा रही है। मंगलवार को होने की वजह से इसे अंगारकी संकष्‍टी चतुर्थी कहा जाता है।

इस दिन माताएं अपने पुत्र की दीर्घायु की कामना करते हुए निर्जला व्रत करती हैं और गणेशजी की पूजा करती हैं। माताएं रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर व्रत का पारण करती हैं।

संकष्‍टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त

पंचांग में दिए गए समय के अनुसार संकष्‍टी चतुर्थी का व्रत 10 जनवरी 2023 को रखा जाएगा।

संकष्‍टी चतुर्थी का आरंभ 10 जनवरी को दिन में 12 बजकर 09 मिनट पर होगा और इसका समापन 11 जनवरी को दिन में 2 बजकर 31 मिनट पर होगा।

यह व्रत रात को चंद्रमा को अर्घ्‍य देने के बाद खोला जाता है, इसलिए इस व्रत की तिथि 10 जनवरी को मानना ही सर्वसम्‍मत होगा।

10 जनवरी को चंद्रोदय का वक्‍त रात को 8 बजकर 41 मिनट पर बताया गया है।

संकष्‍टी चतुर्थी पूजा विधि

संकष्‍टी चतुर्थी पर सूर्योदय से पहले तिल के पानी से स्‍नान करें और फिर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके भगवान गणेश की पूजा करें।

गणेशजी को तिल, गुड़, लड्डू, दुर्वा और चंदन अर्पित करें। साथ ही मोदक का भोग लगाएं।

इस व्रत में तिल का खास महत्व है इसलिए जल में तिल मिलाकर अर्घ्य देने का विधान है।

पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को सूर्यास्‍त के बाद पुन: गणेशजी की पूजा करें और उसके बाद चंद्रोदय की प्रतीक्षा करें।

चंद्रोदय के बाद चांद को तिल, गुड़ आदि से अर्घ्य देना चाहिए।

इस अर्घ्य के बाद ही व्रती को अपना व्रत खोलना चाहिए।

गणेशजी की पूजा के बाद तिल का प्रसाद खाना चाहिए।

जो लोग व्रत नहीं रखते हैं उन्हें भी गणेशजी की पूजा अर्चना करके संध्या के समय तिल से बनी चीजें खानी चाहिए।

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आध्यात्म

मौनी अमावस्या स्नान के पहले नव्य प्रकाश व्यवस्था से जगमग हुई कुम्भ नगरी प्रयागराज

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महाकुम्भ नगर। त्रिवेणी के तट पर आस्था का जन समागम है। महाकुम्भ के इस आयोजन को दिव्य ,भव्य और नव्य स्वरूप देने के लिए इससे जुड़े शहर के उन मार्गों और चौराहों को भी आकर्षक स्वरूप दिया गया है जहां से होकर पर्यटक और श्रद्धालु महा कुम्भ पहुंच रहे हैं। इसी क्रम में अब सड़क किनारे के वृक्षों को रोशनी के माध्यम से नया स्वरूप दिया गया है।

मौनी से पहले शहर की प्रकाश व्यवस्था को दिया गया नया लुक

प्रयागराज महा कुम्भ आ रहे आगंतुकों के स्वागत के लिए की कुम्भ नगरी की सड़कों को सजाया गया, शहर के चौराहे सुसज्जित किए गए और बारी है सड़क के दोनों तरह मौजूद हरे भरे वृक्षों को नया लुक देने की । नगर निगम प्रयागराज ने इस संकल्प को धरती पर उतारा है। नगर निगम के मुख्य अभियंता ( विद्युत ) संजय कटियार बताते हैं कि शहर में सड़क किनारे लगे वृक्षों का नया लुक देने के यूपी में पहली बार नियॉन और थीमेटिक लाइट के संयोजित वाली प्रकाश व्यवस्था लागू की गई है। इस नई व्यवस्था में शहर के महत्वपूर्ण मार्गों के 260 वृक्षों के तनों, शाखाओं और पत्तियों में अलग अलग थीम की रोशनी लगाई गई है। इनमें नियॉन और स्पाइरल लाइट्स को इस तरह संयोजित किया गया है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कैसे रात के अंधेरे में पूरा वृक्ष आलोकित हो गया है। शहर से गुजरकर महा कुम्भ जाने वक्ष पर्यटक और श्रद्धालु इस भव्य प्रकाश व्यवस्था का अवलोकन कर सकेंगे।

शहर के 8 पार्कों में भी लगाए म्यूरल्स

सड़कों और चौराहों के अलावा शहर के अंदर के छोटे बड़े पार्कों में भी पहली बार उन्हें सजाने के लिए नए ढंग से संवारा गया है। नगर निगम के चीफ इंजीनियर ( विद्युत) संजय कटियार का कहना है कि शहर के चयनित आठ पार्कों में पहली बार कांच और रोशनी के संयोजन से म्यूरल्स बनाए गए हैं जो वहां से गुजरने वालों का ध्यान खींच रहे हैं। 12 तरह के म्यूरल्स इन पार्कों में लगाए गए हैं जो बच्चों के लिए खास तौर पर आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। इसके पूर्व शहर शहर की 23 प्रमुख सड़कों , आरओबी , और फ्लाईओवर्स पर स्ट्रीट लाइट और पोल पर अलग-अलग थीम पर आधारित रंग-बिरंगे डिजाइन वाले मोटिव्स लगाए गए थे ।

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