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आध्यात्म

इस दिन है सफला एकादशी का व्रत, राशि के अनुसार करें उपाय

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Saphala Ekadashi

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नई दिल्ली। हिन्दू वर्ष का दसवां महीना पौष शुरू हो चुका है। इस मास में भगवान सूर्य की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पौष मास में पड़ने वाले एकादशी तिथि का भी विशेष महत्व है। पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 19 दिसंबर को सफला एकादशी व्रत रखा जाएगा।

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शास्त्रों के अनुसार इस दिन पूजा-पाठ करने से सभी कार्य सफल हो जाते हैं और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत रखने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है। आइए जानते हैं सफला एकादशी के दिन कुछ ऐसे उपाय जिन्हें करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है।

सफला एकादशी पर राशि के अनुसार उपाय

मेष राशि: इस दिन भगवान विष्णु को गुड़ का भोग चढ़ाएं और उनकी विशेष पूजा करें। ऐसा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

वृषभ राशि: सफला एकादशी पर भगवान श्रीहरि और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने से के लिए घर पूर्व दिशा में विधिवत तुलसी पौधा लगाएं।

मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातक इस दिन धन लाभ के लिए आंवले के वृक्ष में जल चढ़ाएं और भगवान विष्णु के सहस्रनाम का जाप करें।

कर्क राशि: कर्क राशि के जातक सफला एकादशी पर विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए और अटके हुए धन को वापस पाने के लिए श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें।

सिंह राशि: सफला एकादशी पर सिंह राशि के जातक आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु पीला चंदन अर्पित करें। साथ ही माता लक्ष्मी को लाल चंदन चढ़ाएं।

कन्या राशि: वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए कन्या राशि के जातक इस दिन कुशा की पत्तियां भगवान विष्णु को अर्पित करें।

तुला राशि: तुला राशि के जातक दुश्मनों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु के समक्ष 16 बत्तियों वाला घी का दीप प्रज्वलित करें। साथ ही विधिवत पूजा करें।

वृश्चिक राशि: मानसिक तनाव से छुटकारा पाने के लिए वृश्चिक राशि के जातक दक्षिणावर्ती शंख में दूध और गंगाजल डालकर श्रीहरि का अभिषेक करें।

धनु राशि: विवाह के योग्य व्यक्ति की प्राप्ति के लिए सफला एकादशी के दिन धनु राशि के जातक भगवान विष्णु को केला और गेंदे का पुष्प अर्पित करें।

मकर राशि: एकादशी व्रत के दिन सभी पापों से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए 108 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।

कुंभ राशि: जिन जातकों को नुक्ती अथवा व्यापर में समस्याएं आ रही हैं उन्हें सफला एकादशी के दिन किसी जरूरतमंद और गरीबों को अन्न, धन या वस्त्र का दान करें।

मीन राशि: धन की प्राप्ति के लिए मीन राशि के जातक एकादशी व्रत के दिन स्नान-ध्यान के बाद मुख्य द्वार पर हल्दी व रोली से स्वस्तिक बनाएं और लक्ष्मी-नारायण की पूजा करें।

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आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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