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नेशनल

Population Control वाली याचिका SC ने की ख़ारिज, कहा- यह सरकार का काम

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) के लिए दो-बच्चे के नियम को लागू करने के लिए कदम उठाने की मांग करने वाली दलीलों पर विचार करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि इस मुद्दे को देखना सरकार का काम है।

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जन्मदर में वृद्धि के बावजूद भारत की जनसंख्या स्थिर होने के बारे में मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि ये ऐसा मुद्दा नहीं है जिसमें अदालत को हस्तक्षेप करना चाहिए।

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि जनसंख्या कोई ऐसी चीज नहीं है जो एक दिन में रुक जाए। याचिकाकर्ताओं में से एक अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि इस मुद्दे पर विधि आयोग की रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका

उपाध्याय ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर कर दिल्ली हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी थी जिसमें बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए दो बच्चों के मानदंड सहित कुछ कदमों की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था।

शीर्ष अदालत के यह कहने के बाद कि वह याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं है, उन्होंने इसे वापस ले लिया। उनकी दलील के अलावा पीठ ने इस मुद्दे पर दायर कुछ अन्य याचिकाओं पर भी विचार करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद अधिवक्ताओं ने उन्हें वापस ले लिया।

जब उपाध्याय ने तर्क दिया कि उनकी अर्जी का उद्देश्य विधि आयोग को इस मुद्दे पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश देना है, तो पीठ ने पूछा कि आयोग जनसंख्या विस्फोट पर एक रिपोर्ट कैसे तैयार कर सकता है।

इसमें कई सामाजिक और पारिवारिक मुद्दे शामिल

अदालत ने कहा कि वह इसमें नहीं जा सकती क्योंकि इसमें कई सामाजिक और पारिवारिक मुद्दे शामिल हैं, यह सरकार को करना है। पीठ ने कहा, क्या यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर हमें हस्तक्षेप करना चाहिए? हमारे पास करने के लिए बेहतर चीजें हैं।

सुनवाई के अंत में उपाध्याय ने कहा कि भारत के पास लगभग दो प्रतिशत भूमि और चार प्रतिशत पानी है, लेकिन दुनिया की 20 प्रतिशत आबादी है। शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी, 2020 को उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा था।

भारत की जनसंख्या चीन से आगे निकली

याचिका में 3 सितंबर, 2019 के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि कानून बनाना संसद और राज्य विधानसभाओं का काम है न कि अदालत का।

याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट इसे समझने में विफल रहा कि जनसंख्या नियंत्रण के बिना स्वच्छ हवा का अधिकार, पीने के पानी का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, शांतिपूर्ण नींद का अधिकार, आश्रय का अधिकार, आजीविका का अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 21 और 21ए के तहत शिक्षा के अधिकार की गारंटी नहीं दी जा सकती।

भारत की जनसंख्या चीन से आगे निकल गई है, क्योंकि लगभग 20 प्रतिशत भारतीयों के पास आधार नहीं है और इसलिए उनका हिसाब नहीं है। करोड़ों रोहिंग्या और बांग्लादेशी अवैध रूप से देश में रह रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और डॉ. कुमार विश्वास ने संगम में लगाई डुबकी, गौतम अदानी ने की श्रद्धालुओं की सेवा

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महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ 2025 के तहत संगम घाट पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रख्यात कवि डॉ. कुमार विश्वास ने औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी के साथ संगम के पवित्र जल में पुण्य की डुबकी लगाई। वहीं, देश के शीर्ष उद्योगपति गौतम अदानी ने श्रद्धालुओं के लिए चल रहे भंडारे में सेवा की और फिर बड़े हनुमान मंदिर में पूजन अर्चन किया।

रामनाथ कोविंद ने सपरिवार किया स्नान

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी पत्नी और पुत्री के साथ संगम की पवित्र त्रिवेणी में स्नान किया। इस दौरान मंत्री नंदी ने स्वयं उनका हाथ पकड़कर स्नान में सहयोग किया। स्नान के बाद मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने सपरिवार मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की पूजा-अर्चना की। उन्होंने महाकुम्भ की भव्यता और दिव्यता की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन भारत की आध्यात्मिक धरोहर और सांस्कृतिक समृद्धि का उत्कृष्ट उदाहरण है। पूर्व राष्ट्रपति ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की अवधारणा को देश के आर्थिक विकास के लिए गेम चेंजर बताया। उन्होंने कहा कि इससे देश की जीडीपी और आर्थिक स्थिति में व्यापक सुधार होगा।

कुमार विश्वास बोले- सामाजिक समरसता का परिचायक है महाकुम्भ

डॉ. कुमार विश्वास ने मां गंगा का जयकारा लगाते हुए स्नान किया। उन्होंने गंगा के महात्म्य पर अपनी कविता से सबको मंत्रमुग्ध करते हुए कहा कि
“तपस्वी राम के चरणों चढ़ी उपहार तक आई,
हमारी मां हमारे लोक के स्वीकार तक आई।”
उन्होंने कहा कि महाकुम्भ का यह आयोजन 144 वर्षों के बाद आया दुर्लभ संयोग है, जो भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में प्रेरणा देगा। उन्होंने सभी से राजनीतिक भेदभाव भूलकर इस सर्वसमावेशी आयोजन में भाग लेने का आह्वान किया। डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का सार है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक समरसता का परिचायक है, जो पूरे विश्व को एक नई दिशा देगा।

गौतम अदानी ने सेवा में तत्पर शासन-प्रशासन, सफाई कर्मियों और सुरक्षा बलों को कहा धन्यवाद

उद्योगपति गौतम अदानी ने इस्कॉन द्वारा संचालित इस्कॉन रसोई में सेवा की और श्रद्धालुओं को खाना खिलाया। उन्होंने महाकुम्भ को अद्भुत, अद्वितीय, एवं अलौकिक कहा। उन्होंने कहा कि प्रयागराज आकर ऐसा लगा मानो पूरी दुनिया की आस्था, सेवाभाव और संस्कृतियां यहीं मां गंगा की गोद में आकर समाहित हो गयी हैं। कुम्भ की भव्यता और दिव्यता सजीव बनाए रखने वाले सभी साधु, संत, कल्पवासी एवं श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर शासन-प्रशासन, सफाई कर्मियों और सुरक्षा बलों को मैं हृदय से धन्यवाद देता हूँ। मां गंगा का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे। गौतम अदानी संगम और हनुमान जी के दर्शन करते हुए शंकर विमान मंडपम पहुंचे, जहां मुख्य द्वार पर 21 वैदिक ब्राह्मणों ने ‘वैदिक वेलकम’ किया। उन्होंने विमान मंडपम मंदिर प्रांगण में मौजूद गीता प्रेस की आरती संग्रह पगोडा पर श्रद्धालुओं बातचीत भी की।

राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने दूसरे दिन भी किया पवित्र स्नान

उधर, राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए तीन दिन तक पवित्र स्नान और तर्पण करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा, “मैंने कल पवित्र स्नान किया, आज भी करूंगी और कल फिर करूंगी। मेरे नाना, नानी, दादा-दादी यहां नहीं आ सके, इसलिए उनकी ओर से तर्पण कर रही हूं। यह मेरे लिए गर्व और खुशी की बात है।” सुधा मूर्ति ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा, “योगी जी और उनकी टीम ने यहां बहुत अच्छा काम किया है। मैं उनके लंबे जीवन की कामना करती हूं।”

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