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उत्तर प्रदेश

मैनपुरी उपचुनाव में SBSP को करारा झटका, प्रत्याशी का नामांकन निरस्त

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मैनपुरी। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) को बड़ा झटका लगा है। सुभासपा प्रत्याशी रमाकांत कश्यप का नामांकन निरस्त हो गया है। वैध और अवैध नामांकन पत्रों की सूची जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के बाहर चस्पा करा दी गई है।

उपचुनाव के लिए किए गए 13 नामांकन पत्रों की शुक्रवार को जांच की गई। पूरे दिन अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच में जुटे रहे। देर शाम डिंपल यादव और रघुराज शाक्य समेत छह नामांकन वैध पाए गए। सुभासपा प्रत्याशी समेत सात नामांकन निरस्त कर दिए गए।

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बता दें कि उपचुनाव के लिए 10 नवंबर से लेकर 17 नवंबर तक जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में नामांकन प्रक्रिया संपन्न हुई थी । इसमें सपा प्रत्याशी डिंपल यादव, भाजपा प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य, सुभासपा प्रत्याशी रामाकांत कश्यप समेत कुल 13 प्रत्याशियों ने अपने नामांकन पत्र दाखिल किए थे।

शुक्रवार को इन नामांकन पत्रों की जांच कराई गई। जांच में छह नामांकन वैध पाए गए और सात अवैध पाए जाने पर निरस्त कर दिए गए।उपचुनाव के लिए दाखिल जो नामांकन पत्र जांच में वैध पाए गए हैं, उन्हें नाम वापसी के लिए एक और मौका मिलेगा। 21 नवंबर तक कोई भी प्रत्याशी जिला निर्वाचन अधिकारी के सामने प्रस्तुत होकर नामांकन वापस ले सकेगा।

इन प्रत्याशियों के नामांकन वैध

डिंपल यादव-सपा।

रघुराज सिंह शाक्य-भाजपा।

भूपेंद्र धनगर-राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी।

सुषमा देवी-निर्दलीय।

प्रमोद यादव-भारतीय कृषक दल।

सुरेश चंद्र-निर्दलीय।

इनके पर्चे हुए निरस्त

रमाकांत कश्यप- सुभासपा।

सुनील मिश्रा- सर्व समाज जनता पार्टी।

उर्मिला भारती-वोटर्स पार्टी इंटनरेशनल।

कपिंजल-भारतीय किसान परिवर्तन पार्टी।

रामकुमार-निर्दलीय।

महेश चंद्र शर्मा-निर्दलीय।

विद्यावती-निर्दलीय।

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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव पर समाजवादी पार्टी के मुखिया ने उठाया सवाल, जानें अब कैसे चुने जाएंगे डीजीपी

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सवाल उठाया है। अखिलेश यादव ने कहा कि यह जो नियम बना है उससे साबित हो रहा है कि लखनऊ और दिल्ली में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कहीं ये दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा नेता ने कहा कि सरकार के इस फैसले से कई सीनियर आईपीएस अधिकारी निराश हैं।

क्या है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने डीजीपी पद पर तैनाती के लिए नई नियमावली बना दी है. इस प्रत्सव पर सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में मुहर भी लग गई. इसके लागू होते ही राज्य सरकार अपने स्तर से ही डीजीपी की तैनाती कर सकेगी. इससे पहले राज्य सरकार नामों का पैनल यूपीएससी को भेजती थी, जहां से मुहर लगती थी. हालांकि योगी सरकार के इस फैसले पर सियासत के साथ ही पुलिस महकमे में भी तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं.

क्या है नया नियम

नई नियमावली के तहत पे मैट्रिक्स 16 लेवल के सभी अधिकारी डीजीपी बनने के लिए अब क्वालीफाई कर सकेंगे, जिनकी छह महीने की नौकरी बची हो. आमतौर पर डीजी स्तर के सभी अधिकारी इस लेवल पर होते हैं. अभी तक यूपीएससी गाइडलाइंस के तहत डीजी स्तर के सभी अफसरों का नाम प्रदेश सरकार यूपीएससी को भेजती है, यूपीएससी इनमें से सीनियर मोस्ट तीन अफसरों के नाम प्रदेश सरकार को वापस भेजती थी. इनमें से ही किसी एक को ही विजिलेंस क्लियरेंस के बाद डीजीपी बनाना होता है. सितंबर 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को एक पुलिस एक्ट बनाने के लिए कहा था, जिससे डीजीपी के चयन की व्यवस्था को दबाव से मुक्त रखा जाए, लेकिन तब से अब तक चयन के लिए यूपी ने कोई अलग व्यवस्था नहीं की थी. अब यूपी में डीजीपी के चयन की अपनी नियमावली कैबिनेट से पास करके बना ली है.

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