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उत्तर प्रदेश

‘जीवा को मारने आया था, मार दिया’: संजीव माहेश्वरी की हत्‍या के बाद बोला शूटर विजय

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Jeeva murder case

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लखनऊ। माफिया अतीक-अशरफ की प्रयागराज में पुलिस अभिरक्षा में हुई हत्या की तर्ज पर कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की कल लखनऊ कोर्ट परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस बार सड़क की जगह कोर्ट परिसर में ही घुसकर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई। अतीक हत्याकांड की तरह यहां भी हमलावर को पकड़ लिया गया है। अतीक की हत्या के लिए हमलावर मीडियाकर्मी बनकर आए थे, यहां वकील के भेष में हमलावर पहुंचे थे।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, पुलिस अभिरक्षा में संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा जैसे ही कोर्ट परिसर पहुंचा वहां मौजूद हमलावर ने उसे टारगेट करते हुए फायरिंग शुरू कर दी। इससे वहां भगदड़ मच गई। जीवा कोर्ट में जमीन पर गिर गया। इस दौरान वहां मौजूद अधिवक्ताओं ने हमलावर विजय यादव को पकड़ लिया, उसकी जमकर पिटाई की, फिर हत्या की वजह पूछी तो वह सिर्फ इतना बोला कि जीवा को मारने आया था, उसे मार दिया।

बिना बुलेट प्रुफ जैकेट के कैसे पहुंचा जीवा?

कुख्यात अपराधी जीवा की सुरक्षा में जगह-जगह पुलिस ने चूक की। जेल प्रशासन के मुताबिक जब 10 पुलिस कर्मी उसे पेशी पर लेकर रवाना हुए तो कोर्ट रूम में जाने के दौरान चार क्यों थे? इसके अलावा जीवा हर बार पेशी पर बुलेट प्रुफ जैकेट में आता था। बुधवार को वह बिना बुलेट प्रूफ जैकेट पहने पेशी पर क्यों गया?

इस संबंध में जेल प्रशासन का कहना है कि जीवा को वह पेशी पर जाने के दौरान कारागार के गेट पर पुलिस कर्मियों के सिपुर्द कर देते थे। इसके बाद उसे वह बुलेट प्रुफ जैकेट पहनाते थे अथवा नहीं इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। वहीं, कोर्ट रूम में मौजूद अधिवक्ता ने बताया कि जीवा घटना के समय बुलेट प्रुफ जैकेट नहीं पहने था। उसके हाथ में हथकड़ी भी लगी थी, जबकि पहले हथकड़ी नहीं लगी होती थी।

जीवा हत्याकांड में पहले भी दहल चुका है न्यायालय परिसर

13 फरवरी 2017 : लखनऊ बार के संयुक्त सचिव संजीव लोधी पर बम से हमला हुआ था।

वर्ष 2012: सिविल कोर्ट परिसर में सीढ़ियों के नीचे कूड़े के ढ़ेर में विस्फोट हुआ था।

15 मार्च 2008: सिविल कोर्ट में दूसरे तल पर बाथरूम के अंदर सुतली बम के ताबड़तोड़ धमाके हुए।

23 नवम्बर 2007: लखनऊ कोर्ट के साथ बनारस और अयोध्या कोर्ट में बम धमाके हुए थे।

27 फरवरी 2007: पोटा के मामले में पेशी पर आए आतंकी सईद और मकसूद ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए पुलिस अभिरक्षा से भागे थे।

मुकदमे की पैरोकारी करने आई महिला व बच्ची घायल

बीकेटी निवासी नीलम ने बताया, मैं अपनी बच्ची के साथ ससुर के केस की पैरोकारी के लिए आई थी। बच्ची सो गई थी इसलिए उसे जमीन पर लिटा दिया था। तभी अचानक फायरिंग हुई। मैंने बच्ची को गोद में उठाया और बाहर की ओर भागी। थोड़ी देर में देखा तो उसके शरीर से खून निकल रहा था। फिर पता चला कि उसे गोली लगी है। भगदड़ के दौरान मेरे हाथ में भी चोट लगी है।

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उत्तर प्रदेश

शामली मुठभेड़ में घायल हुए STF इंस्पेक्टर सुनील कुमार शहीद, गुरुग्राम के मेदांता में चल रहा था इलाज

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गुरुग्राम। उत्तर प्रदेश के शामली में हुई एक मुठभेड़ के दौरान स्पेशल टास्क फोर्स ने चार कुख्यात अपराधियों को ढेर कर दिया। इस अभियान में एसटीएफ इंस्पेक्टर सुनील कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया।

इस घटना में मारा गया मुख्य अपराधी अरशद जिसके सिर पर 1 लाख रुपए का इनाम था। अपने तीन साथियों के साथ मुठभेड़ में मारा गया। यह घटना कानून-व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। लेकिन एसटीएफ ने इस दौरान एक वीर अधिकारी को खो दिया।

शुरू में उन्‍हें करनाल के अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन बाद में हालत खराब होने पर गुरुग्राम के मेदांता में रेफर किया गया। बीते 24 घंटे खतरे से बाहर नहीं हुए थे इंस्पेक्टर सुनील कुमार। वह वहां आईसीसीयू में भर्ती थे।

बताया जा रहा है कि एक गोली इंस्‍पेक्‍टर के लिवर को पार करके पीठ में अटक गई थी। इसे निकाला संभव नहीं था, इसलिए इसे छोड़ दिया गया।इंस्‍पेक्‍टर सुनील कुमार ठोकिया एनकाउंटर में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाकर हेड कांस्टेबल से सब इंस्पेक्टर बने थे। शामली में सोमवार देर रात कग्‍गा गैंग के चार बदमाशों के एनकाउंटर में इंस्पेक्टर सुनील कुमार भी शामिल थे। बदमाश एक कार में सवार थे। घेरे जाने पर उन्‍होंने पुलिस पर फायरिंग कर दी थी। इसी में सुनील कुमार घायल हुए थे। जवाबी कार्रवाई में STF ने चार बदमाशों को मार गिराया था।

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