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सीमा हैदर को डिपोर्ट किए जाने के संकेत, जानें भारत में इसके क्या हैं नियम?   

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Signs of deportation of Seema Haider

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नई दिल्ली। पाकिस्तान से बिना वैध वीजा के उप्र के नोएडा आई पाकिस्तानी नागरिक सीमा हैदर को वापस पाकिस्तान भेजा जा सकता है। यूपी के विशेष पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने इसके संकेत दिए हैं। हालांकि इस सवाल का उन्होंने सीधे तौर पर जवाब नहीं दिया।

जब उनसे पूछा गया कि क्या सीमा को निर्वासित किया जा सकता है तो उन्होंने कहा, ‘इस संबंध में कानून मौजूद है और इसका पालन किया जाएगा। कानूनी आदेश के अनुसार कार्रवाई की जा रही है।’

कुमार ने यह भी कहा कि जब तक हमारे पास पर्याप्त सबूत न हों तब तक यह कहना उचित नहीं होगा कि पाकिस्तानी नागरिक सीमा हैदर एक जासूस है। 30 साल की सीमा और उसके भारतीय प्रेमी सचिन मीना (22) से दो दिन तक यूपी एटीएस ने पूछताछ की है।

4 जुलाई को ग्रेटर नोएडा पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था, लेकिन 7 जुलाई को एक अदालत ने उन्हें जमानत दे दी। सीमा ने बताया है कि वह नेपाल के रास्ते भारत में दाखिल हुई थी और सचिन के साथ रहने के लिए बस से नोएडा आई।

दोनों की जान पहचान पबजी खेलते समय ऑनलाइन हुई थी और बाद में प्यार हो गया। न्यूज चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक सीमा को लेकर बहुत कुछ कहा जा रहा है। लखनऊ में डीजीपी मुख्यालय के सीनियर पुलिस अधिकारियों ने बताया है कि केंद्रीय एजेंसियों को सीमा के डिपोर्ट को लेकर फैसला लेना है।

पाकिस्तान के सिंध प्रांत की रहने वाली सीमा के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह आईएसआई एजेंट हो सकती है। कुछ एक्सपर्ट स्लीपर सेल की भी बातें कर रहे हैं। जब से डिपोर्ट की चर्चा चली है लोगों के मन में सवाल है कि किसी को कब डिपोर्ट किया जाता है और अपने देश का कानून क्या कहता है।

​भारत में कौन करता है​ डिपोर्ट

अपने देश में अवैध रूप से रहने वाले विदेशी नागरिक की पहचान और उसे डिपोर्ट करने का फैसला इमिग्रेशन विभाग के जरिए गृह मंत्रालय लेता है। इसकी एक प्रक्रिया है और यह काम फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर यानी FRRO करता है। अवैध रूप से रहने वाले प्रवासियों को पहले गिरफ्तार किया जाता है।

इसके बाद कोर्ट में उनके खिलाफ केस चलाने की बजाय डिपोर्ट कर दिया जाता है। गिरफ्तारी के फौरन बाद ऐसे लोगों को FRRO में पेश किया जाता है, जहां से इन्हें डिटेंशन सेंटर भेजने का आदेश जारी होता है। इसके बाद इन्हें इनके देश डिपोर्ट करने में 15 से 60 दिन लग जाते हैं। अलग-अलग शहरों में ऐसे ऑफिस और डिटेंशन सेंटर बने हैं।

​डिपोर्ट करने का कानून और सीमा की मुश्किल​

  • वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद अवैध तरीक से रह रहे हों तो डिपोर्ट किया जा सकता है।
  • वीजा रूल का उल्लंघन करने पर भी कार्रवाई हो सकती है। पिछले साल असम में 7 जर्मन नागरिकों को डिपोर्ट करने का फैसला लिया गया था क्योंकि बिना मिशनरी वीजा लिए वे धार्मिक आयोजन में शामिल हुए थे।
  • गंभीर अपराध करने वाले, देश में अवैध रूप से घुसे विदेशी, वीजा अवधि से ज्यादा रह रहे विदेशी या वीजा की शर्तों का उल्लंघन करने या देश में रहने का कानूनी हक खोने वाले शख्स को देश से निर्वासित किया जाता है।
  • भारतीय कानून के तहत देखें तो सीमा हैदर एक अवैध प्रवासी है। अवैध प्रवासी वह होता है जो बिना वैध यात्रा दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और वीजा के देश में प्रवेश करता है। इन्हें भारतीय नागरिकता नहीं मिल सकती है।
  • सीमा पर फॉरेनर्स एक्ट 1946 के सेक्शन 14 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके तहत पांच साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। ऐसे में डिपोर्ट करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

क्या बताया यूपी पुलिस ने  

यूपी पुलिस की ओर से बताया गया है कि सचिन और सीमा पहली बार 2020 में ऑनलाइन गेम पबजी के जरिए एक दूसरे के संपर्क में आए थे। 15 दिन तक ऑनलाइन गेम खेलने के बाद उन्होंने अपने व्हाट्सएप नंबर एक दूसरे को दिए। सचिन और सीमा इसी साल मार्च में पहली बार काठमांडू में मिले, जहां वे 10 से 17 मार्च तक साथ रहे।

सीमा पर्यटन वीजा पर 10 मई को कराची से दुबई होते हुए नेपाल दोबारा लौटी। वह काठमांडू से पोखरा पहुंची और रात को वहीं रुकी। इसके बाद 12 मई की सुबह सीमा ने पोखरा से बस से रूपन्देही-खुनवा (खुनवा) सीमा से भारत के सिद्धार्थनगर जिले के रास्ते दाखिल हुई। लखनऊ और आगरा के रास्ते वह 13 मई को गौतमबुद्ध नगर के रबूपुरा कट पहुंची। सचिन ने पहले से ही रबूपुरा में एक किराए का कमरा ले लिया था, जहां वे साथ रहने लगे।

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संसद में धक्का-मुक्की के दौरान घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसद हुए अस्पताल से डिस्चार्ज

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नई दिल्ली। संसद परिसर में 19 दिसंबर को हुई धक्का-मुक्की की घटना में घायल हुए भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल से चार दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। बता दें कि 19 दिसंबर को संसद परिसर में विपक्ष और एनडीए के सांसदों के बीच धक्का-मुक्की हो गई थी। इस धक्का-मुक्की के दौरान बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए थे। उनके सिर में गंभीर चोट आई थी। उसके बाद उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें सिर में चोट आई थी और ब्लड प्रेशर की भी समस्या हो गई थी।

संसद परिसर में धक्का-मुक्की के बाद घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसदों को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उसके दो दिन बाद यानी 21 दिसंबर को उन्हें एक वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि, “दोनों सांसदों की हालत अब काफी बेहतर है और उन्हें छुट्टी दे दी गई है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. शुक्ला एमएस ने पहले कहा था कि, ‘एमआरआई और सीटी स्कैन में चोट के संबंध में कुछ भी महत्वपूर्ण बात सामने नहीं आई है।

बता दें, कांग्रेस के राहुल गांधी पर ये आरोप लगाया गया कि उन्होंने भाजपा के सांसदों को धक्का मारा जिस वजह से वे घायल हो गए। दोनों को अस्पताल में तुरंत भर्ती करवाया गया।जानकारी के मुताबिक, इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फोन पर घायल सांसदों से बात की थी। इसके अलावा, उन्होंने सांसद मुकेश राजपूत से कहा, “पूरी देखभाल करना, जल्दबाजी नहीं करना और पूरा इलाज कराना।”

घटना को लेकर बीजेपी ने विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने धक्का देकर बीजेपी सांसदों को घायल कर दिया। बीजेपी ने इस घटना को लेकर राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए पलटवार भी किया है जिसमें बीजेपी पर ये आरोप लगाया कि उनके सांसदों ने धक्का-मुक्की की थी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे चोटिल होते-होते बचे। फिलहाल घायल सांसद डॉक्टरों की निगरानी में हैं और पूरी तरह से स्वस्थ होने तक आराम करेंगे।

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