Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

सोम प्रदोष व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

Published

on

Som Pradosh fast today

Loading

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रत्येक पक्ष (कृष्ण व शुक्ल पक्ष) की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 5 दिसंबर दिन सोमवार को है। सोमवार को प्रदोष तिथि पड़ने के कारण सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है।

यह भी पढ़ें

कल है काल भैरव अष्टमी तिथि, इस तरह करें पूजा-अर्चना

लखनऊ: स्टेज पर दूल्हे को वरमाला पहनाने जा रही दुल्हन को आया हार्ट अटैक, तोड़ा दम

इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी रखा जाता है।

सोम प्रदोष व्रत का महत्व

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, प्रदोष व्रत करने वाले जातकों की जीवन में कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता और उन पर सदैव शिव कृपा बनी रहती है।

मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और उस समय सभी देवी-देवता उनके गुण का स्तवन करते हैं।

ऐसे में जो भी जातक इस समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करता है, उसकी सभी मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति होती है और व्यक्ति जन्म-मरण के चक्कर से मुक्त हो जाता है।

सोम प्रदोष व्रत का संबंध चंद्रमा से हैं और इस दिन व्रत रखने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। इस व्रत के शुभ प्रभाव से किसी भी कार्य में आ रही अड़चन दूर हो जाती है।

इस समय को कहते हैं प्रदोष काल

सोम प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ का अभिषेक, रुद्राभिषेक और श्रृंगार का विशेष महत्व है। इस दिन प्रदोष काल में सच्चे मन से की गई पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है। प्रदोष काल वह समय कहलाता है, जब सूर्यास्त हो रहा होता है और रात्रि आने के पूर्व समय को प्रदोष काल कहा जाता है। अर्थात सूर्यास्त के 45 मिनट पहले से और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक के काल को प्रदोष काल कहा जाता है।

सोम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

त्रयोदशी तिथि का आरंभ – 5 दिसंबर, सुबह 05 बजकर 57 मिनट

त्रयोदशी तिथि का समापन – 6 दिसंबर, सुबह 06 बजकर 46 मिनट

पूजा शुभ मुहूर्त – 5 दिसंबर, सायंकाल 05 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 15 मिनट तक

सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि

सोम प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मवेला में उठकर स्नान आदि करने के बाद शिव मंदिर में जाकर ‘अहमद्य महादेवस्य कृपाप्राप्त्यै सोमप्रदोषव्रतं करिष्ये’ यह कहकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूरे दिन उपवास रखें। पूजा में लाल या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करना शुभ रहेगा।

प्रदोष व्रत की पूजा सायंकाल के समय प्रदोष काल में की जाती है। इस दिन भक्त नियमपूर्वक शिवजी की पूजा करते हैं। सबसे पहले शिव का षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाता है।

शिवलिंग पर बेलपत्र, अक्षत, धूप-दीप, जल, गंगाजल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें। इसके धूप-दीप से आरती उतारें और भोग लगाएं। इसके बाद एक माला ‘ऊँ नमः शिवाय’ और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें और कथा सुनें। इसके बाद आप अन्न-जल ग्रहण कर सकते हैं।

Som Pradosh fast today, Som Pradosh fast auspicious time, Som Pradosh fast method of worship, Som Pradosh fast,

Continue Reading

आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

Published

on

Loading

महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

Continue Reading

Trending