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गांवों तक अच्छी शिक्षा के द्वार खोलने में मददगार है तकनीक: आलोक रंजन

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शिक्षा

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लखनऊ। शिक्षा एक ऐसा हथियार है जिससे सभी बुराइयों से लड़ा जा सकता है। सरकार भी नई शिक्षा नीति के तहत दूर दराज के गांवों तक के बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाने का हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार के इन प्रयासों को कैसे सफल बनाया जाये इस पर हम सभी को न सिर्फ सोचना है बल्कि आगे बढ़कर कुछ योगदान भी देना है।

शिक्षा में सुधार के सरकारी प्रयासों को सफल बनाने में हमसबको जुटना होगा। नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए विश्वगुरु एजुकेशन एकेडमी के एजुकेशन टूल्स काफी मददगार साबित होंगे। दूरदराज के गांवों में अच्छी शिक्षा के दरवाजे तकनीक की मदद से खोले जा रहे हैं।यह बातें पूर्व मुख्यसचिव व लेखक आलोक रंजन ने गोमतीनगर स्थित एक होटल में आयोजित सेमिनार ‘एजुकेशन रिअमेजिन्ड’ में कही।

नई शिक्षा नीति के संदर्भ में विश्वगुरु एजुकेशन अकादमी द्वारा ‘एजुकेशन रिअमेजिन्ड’ शीर्षक से आयोजित इस सेमिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर उन्होंने कहा कि उम्मीद ही नहीं विश्वास भी है कि विश्वगुरु एजुकेशन एकेडमी के एजुकेशन टूल्स से बच्चों में पढ़ाई के साथ साथ भारतीयता की भावना भी पैदा होगी और वो अपनी परम्पराओं व संस्कारों से आसानी से परिचित होंगे।

उन्होंने कहा कि विश्वगुरु एजुकेशनल एकेडमी एडवांस टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रणाली को विकसित कर रही है, यह प्रशंसनीय है। नैतिक मूल्यों और आधुनिक सोच पर केन्द्रित ऐसी शिक्षा से हम समाज में सुखद बदलाव ला सकते हैं।

गांवों तक तकनीक के सहारे पहुंच सकती है क्वालिटी एजुकेशन  

संगोष्ठी में विश्वगुरु एजुकेशनल एकेडमी के संस्थापक मुकेश पाण्डेय ने कहाकि वो बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने के लिए सरकारें प्रयासरत हैं। सरकार की नई शिक्षा नीति भी बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के सपने दिखाती है।

सरकार की शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए विश्व गुरु एजुकेशनल एकेडमी ने बच्चों के लिए एजूकेशन टूल्स बनाए हैं। यह एजूकेशन टूल्स बच्चों को न सिर्फ पढ़ाई में आगे रखेंगे बल्कि उन्हें अपने संस्कारों परम्पराओं व गौरवशाली अतीत से परिचय भी करायेंगे। प्रकृति के महत्व को अपने क्लासरूम में वो खेल खेल में ही समझ जायेंगे।

मुकेश बताते हैं कि उन्होंने महसूस किया कि बच्चों को जिस स्तर की शिक्षा की आवश्यकता है वो उनसे अभी काफी दूर है। क्वालिटी एजुकेशन बहुत महंगी होने के कारण आम आदमी की पहुंच से बाहर है लेकिन विश्वगुरु ने स्टूडेंट टूल्स के माध्यम से क्वालिटी एजुकेशन को बेहद कम मूल्य में समाज के अंतिम छोर तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। विश्वगुरु के एजुकेशन टूल्स बच्चों में व्यक्तिगत रूप से बौद्धिक व शारीरिक विकास भी करते हैं।

बच्चों के आई क्यू को समय समय पर चेक कर उनकी बौद्धिक क्षमता का विकास करने के लिए भी अकादमी के एजुकेशन टूल्स बेहद उपयोगी हैं। विश्वगुरु एजुकेशनल एकेडमी का सपना है कि भारत दुनिया में शिक्षा की महाशक्ति बने। शिक्षा के क्षेत्र में भारत प्राचीनकाल से ही दुनिया में सबसे आगे रहा है।

पढ़ाई के साथ-साथ चरित्र निर्माण पर भी दे रहे हैं जोर

विश्व गुरु एजुकेशन एकेडमी के सह संस्थापक अविनाश पाण्डेय ने जोर देकर कहा कि  भारतीय संस्कृति परम्पराओं, संस्कारों और भारतीयता पर विशेष ध्यान देता है। बच्चों में क्वालिटी एजुकेशन के साथ चरित्र निर्माण का होना बेहद जरूरी है।

उन्होंने कहा कि तेजी से आगे बढ़ रही दुनिया और प्रतिस्पर्धा के इस दौर में हम अपने बच्चों को विश्व का नेतृत्व करने के लिए तैयार कर रहे हैं। विश्व गुरु एजुकेशन एकेडमी का सपना हर बच्चे तक क्वालिटी एजुकेशन पहुंचाना है। हम अपने सपने को पूरा करने के लिए लगातार आगे बढ़ रहे हैं।

विश्व गुरु एजुकेशन एकेडमी के संस्थापकों ने बताया कि एकेडमी पढाई में तकनीक का इस्तेमाल इस प्रकार कर रही है कि बच्चा किसी भी स्थान से अपनी पढाई सम्बन्धी जिज्ञासा शांत कर सके। टेक्नोलॉजी के माध्यम से पढ़ाई का तरीका बदलने जा रहा है।

विश्व गुरु एजुकेशन एकेडमी के एजुकेशन टूल्स में किताबों की भी अहम भूमिका है। नई शिक्षा नीति में जो भी प्रमुख बाते हैं उन सबका ध्यान रखते हुए ही एकेडमी ने स्टूडेंट टूल्स बनाये हैं जिसे स्कूल व बच्चे अपनी अपनी जरूरतों के अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं।

यह बच्चों व शिक्षकों के बीच बेहतर तालमेल बैठाते हुए निर्धारित पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाते हैं।विश्वगुरु एजुकेशन अकादमी के एजुकेशन टूल्स पढ़ाई के साथ साथ भारतीयता और गौरवशाली परम्पराओं से भी परिचय कराते हैं।

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विश्वगुरु एजुकेशनल एकेडमी के इस सेमिनार में आईआईएम लखनऊ के प्रोफेसर देबाशीष दास गुप्ता, बीएचयू में संस्कृत के प्रोफेसर शारदिन्दु कुमार त्रिपाठी, लखनऊ विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अरविंद मोहन, शिक्षाविद मदीहा अहमद, कैरियर कोच और शिक्षाविद शुभंकर भट्टाचार्य और वीईए के मेंटर कौशिक भट्टाचार्य ने भी शिक्षा में आ रही चुनौतियों पर अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम के दौरान विश्वगुरु एजुकेशनल एकेडमी के एजुकेशन टूल्स और भविष्य की योजनाओं के बारे में भी बताया गया कि कैसे एडवांस तकनीक के इस्तेमाल से परम्परागत शिक्षा का चेहरा बदल जायेगा। किस प्रकार क्वालिटी एजुकेशन सस्ती होगी जो हर किसी की पहुंच में होगी। विश्वगुरु एजुकेशनल एकेडमी के एजुकेशन टूल्स कैसे दूरदराज के गांवों में बैठे बच्चे को आधुनिक शिक्षा से जोड़ेंगे।

विश्वगुरु एजुकेशनल एकेडमी की भावी योजनाओं और अन्य राज्यों में अपनी मौजूदगी को प्रजेंटेशन के जरिये दर्शकों को बताया। एकेडमी ने वहां मौजूद लोगों के सामने भविष्य की शिक्षा का खाका भी खींचा।

विश्वगुरु एजुकेशनल एकेडमी के इन प्रयासों को वहां मौजूद सभी लोगों ने सराहा। विश्व गुरु एजुकेशनल एकेडमी के एजुकेशन टूल्स न सिर्फ छात्रों बल्कि अध्यापकों व स्कूल प्रबंधकों के लिए भी बेहद उपयोगी हैं।

कार्यकम के दौरान मीडिया व अध्यापकों, छात्रों और मौजूद मेहमानों के एजुकेशन टूल्स को लेकर सभी जिज्ञासाओं का समाधान एकेडमी के संस्थापक मुकेश पाण्डेय ने किया। समारोह के अंत में सभी मेहमानों का एकेडमी के सह संस्थापक अविनाश पाण्डेय ने आभार व्यक्त किया।

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उत्तर प्रदेश

दूसरे दिन के सर्वे के लिए ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंची, कृष्ण कूप का किया निरीक्षण

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संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम लगातार दूसरे दिन भी सर्वे करने पहुंची। ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंच गई है। अब यहां पर ASI की टीम सर्वे का काम कर रही है। ASI की टीम के साथ प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद हैं। आज सर्वे का काम कृष्ण कूप में किया जाना है, जो कल्कि मंदिर के मेन गेट के पास है। बताया जा रहा है कि ये कृष्ण कूप संभल के जामा मस्जिद के पास से महज 500 मीटर की दूरी पर है। कृष्ण कूप चारों तरफ दीवारों से घिरा हुआ है। इसके चारों तरफ 5 फीट ऊंची दीवार बनी हुई है। इसके साथ ही कूप के अंदर झाड़ियां और गंदगी फैली हुई है।

संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि आर्कियोलॉजी की टीम आई थी। यहां पर एक प्राचीन कृष्ण कूप है। जिसका काल निर्धारण होना है। वह कितना पुराना है। उसी का निरीक्षण किया है। टीम ने कल्की मंदिर के भी दर्शन किए हैं। यह टीम लगभग 15 मिनट यहां पर रुकी है।
कल्कि मंदिर के पुजारी महेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां पर एक टीम आई थी। उन्होंने एक कुआं देखा। वह कोने पर है। टीम परिसर में घूमी और मंदिर के अंदर की फोटो ली। मैंने उनसे कहा कि इस कार्य को मैं पुनर्जीवित करवाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मंदिर है। एक हजार वर्ष का नक्शा, उसमें यह मंदिर दिखाया गया है। जो हरि मंदिर है उसके अन्दर यह मंदिर बना है।

ज्ञात हो कि जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने संभल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए एएसआई निदेशक को पत्र भेजकर सर्वे कराने की मांग की थी। इसके बाद एएसआई की टीम ने संभल में प्राचीन धार्मिक स्थलों और कुओं का सर्वे शुरू किया। डीएम ने कहा था कि संभल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। 19 कूप और पांच तीर्थों का एएसआई की टीम ने सर्वे किया है। यह सर्वे करीब 9 घंटे तक चला है।

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