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आध्यात्म

वाराणसी का श्रापित मंदिर जहां नहीं होती है पूजा, हज़ारों सालों से एक ओर झुका है मंदिर

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भोले की नगरी बनारस अपने मंदिरों और घाटों के लिए मशहूर है। कहते हैं किसी को अगर कहीं की सुबह देखनी हो तो बनारस आए। ये शहर अपने आप में कई अनूठे संस्मरण समेटे हुए है। काशी गए और वहां के मंदिरों के दर्शन नहीं किये तो आपका देशाटन अधूरा रह गया। आपको बता दें कि बनारस गंगा के किनारे बसे अपने घाटों के लिए काफी मशहूर है। अगर आप वहां पर जाते हैं और काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर वहां पर घाट के किनारे आपको बहुत सारे अन्य देवी देवताओं के प्रसिद्ध मंदिर भी मिलेंगे, लेकिन इस रिपोर्ट में हम आपको ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां ना आरती होती है ना घंटी बजती है। इसके अलावा यह मंदिर पानी में डूबे रहने और झूके होने की वजह से भी आकर्षण का केंद्र है।

बनारस का ये मंदिर मणिकर्णिका घाट के पास दत्तात्रेय घाट पर है। यह मंदिर तिरछा खड़ा हुआ है। जी हां, इस प्राचीन मंदिर को देखकर इटली के पीसा टॉवर की याद आ जाती है। आपको शायद अब तक इस मंदिर के बारे में पता नहीं होगा, लेकिन यह एक ऐसी इमारत है, जो पीसा से भी ज्यादा झुकी हुई और लंबी है। पीसा टॉवर लगभग 4 डिग्री तक झुका हुआ है, लेकिन वाराणसी में मणिकर्णिका घाट के पास स्थित रत्नेश्वर मंदिर लगभग 9 डिग्री तक झुका हुआ है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, मंदिर की ऊंचाई 74 मीटर है, जो पीसा से 20 मीटर ज्यादा है। एतिहासिक रत्नेश्वर मंदिर सदियों पुराना है।

वाराणसी का रत्नेश्वर मंदिर महादेव को समर्पित है। इसे मातृ-रिन महादेव, वाराणसी का झुका मंदिर या काशी करवात के नाम से भी जाना जाता है। रत्नेश्वर मंदिर मणिकर्णिका घाट और सिंधिया घाट के बीच में स्थित है। यह साल के ज्यादातर समय नदी के पानी में डूबा रहता है। कई बार पानी का स्तर मंदिर के शिखर तक भी बढ़ जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण 19वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था। मंदिर को 1860 के दशक से अलग-अलग तस्वीरों में चित्रित गया है।

Ratneshwar Mahadev - The Leaning Temple of Kashi

यह मंदिर क्यों झुका हुआ है, इसके पीछे भी एक कहानी है। ऐसा कहा जाता है कि ये मंदिर राजा मानसिंह के एक सेवक ने अपनी मां रत्ना बाई के लिए बनवाया था। मंदिर बनने के बाद, उस व्यक्ति ने गर्व से घोषणा की कि उसने अपनी मां का कर्ज चुका दिया है। जैसे ही ये शब्द उनकी जुबान से निकले, मंदिर पीछे की तरफ झुकने लगा, यह दिखाने के लिए कि किसी भी मां का कर्ज कभी नहीं चुकाया जा सकता। इस तीर्थ का गर्भगृह वर्ष के ज्यादातर समय गंगा के जल के नीचे रहता है।

अजब-गजब: वास्तुकला का अद्भुत नमूना है काशी का रत्नेश्वर मंदिर, पीसा की झुकी  हुई मीनार से होती है तुलना | TV9 Bharatvarsh

मानसून के दौरान इस मंदिर में कोई भी अनुष्ठान नहीं किया जाता। बारिश के मौसम में कोई भी पूजा या प्रार्थना की आवाज सुनाई नहीं देती। घंटियों को बजते कोई देख और सुन नहीं सकता। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह एक शापित मंदिर है और पूजा अर्चना करने से उनके घर में कुछ बुरा हो सकता है।

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आध्यात्म

मौनी अमावस्या स्नान के पहले नव्य प्रकाश व्यवस्था से जगमग हुई कुम्भ नगरी प्रयागराज

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महाकुम्भ नगर। त्रिवेणी के तट पर आस्था का जन समागम है। महाकुम्भ के इस आयोजन को दिव्य ,भव्य और नव्य स्वरूप देने के लिए इससे जुड़े शहर के उन मार्गों और चौराहों को भी आकर्षक स्वरूप दिया गया है जहां से होकर पर्यटक और श्रद्धालु महा कुम्भ पहुंच रहे हैं। इसी क्रम में अब सड़क किनारे के वृक्षों को रोशनी के माध्यम से नया स्वरूप दिया गया है।

मौनी से पहले शहर की प्रकाश व्यवस्था को दिया गया नया लुक

प्रयागराज महा कुम्भ आ रहे आगंतुकों के स्वागत के लिए की कुम्भ नगरी की सड़कों को सजाया गया, शहर के चौराहे सुसज्जित किए गए और बारी है सड़क के दोनों तरह मौजूद हरे भरे वृक्षों को नया लुक देने की । नगर निगम प्रयागराज ने इस संकल्प को धरती पर उतारा है। नगर निगम के मुख्य अभियंता ( विद्युत ) संजय कटियार बताते हैं कि शहर में सड़क किनारे लगे वृक्षों का नया लुक देने के यूपी में पहली बार नियॉन और थीमेटिक लाइट के संयोजित वाली प्रकाश व्यवस्था लागू की गई है। इस नई व्यवस्था में शहर के महत्वपूर्ण मार्गों के 260 वृक्षों के तनों, शाखाओं और पत्तियों में अलग अलग थीम की रोशनी लगाई गई है। इनमें नियॉन और स्पाइरल लाइट्स को इस तरह संयोजित किया गया है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कैसे रात के अंधेरे में पूरा वृक्ष आलोकित हो गया है। शहर से गुजरकर महा कुम्भ जाने वक्ष पर्यटक और श्रद्धालु इस भव्य प्रकाश व्यवस्था का अवलोकन कर सकेंगे।

शहर के 8 पार्कों में भी लगाए म्यूरल्स

सड़कों और चौराहों के अलावा शहर के अंदर के छोटे बड़े पार्कों में भी पहली बार उन्हें सजाने के लिए नए ढंग से संवारा गया है। नगर निगम के चीफ इंजीनियर ( विद्युत) संजय कटियार का कहना है कि शहर के चयनित आठ पार्कों में पहली बार कांच और रोशनी के संयोजन से म्यूरल्स बनाए गए हैं जो वहां से गुजरने वालों का ध्यान खींच रहे हैं। 12 तरह के म्यूरल्स इन पार्कों में लगाए गए हैं जो बच्चों के लिए खास तौर पर आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। इसके पूर्व शहर शहर की 23 प्रमुख सड़कों , आरओबी , और फ्लाईओवर्स पर स्ट्रीट लाइट और पोल पर अलग-अलग थीम पर आधारित रंग-बिरंगे डिजाइन वाले मोटिव्स लगाए गए थे ।

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