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उत्तर प्रदेश

मठ-मंदिर व कुंडों के जीर्णोद्धार, नगर के उद्धार से ‘राम के राज्य’ का सपना हो रहा साकार

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अयोध्या। धरती पर साक्षात साकेत धाम, सूर्यवंश की राजधानी, सप्तपुरियों में अग्रणी नगरी तथा वैवस्वत मनु के साम्राज्य की राजधानी जैसे विशिष्ट अलंकार भले ही रामनगरी अयोध्या को प्राप्त हैं, मगर उसके मौजूदा स्वरूप और 2017 के पहले के स्वरूप में जमीन-आसमान का फर्क था। यू्ं तो, अयोध्या के कण-कण में राम बसते हैं मगर 500 वर्षों के पराभव काल ने अयोध्या को अपमान, अपयश, उपेक्षा और तिस्कार के अलावा कुछ नहीं दिया। अयोध्या के त्रेतायुगीन वैभव की साक्षी रही सरयू की निर्मल जलधारा आज जिस तरह कल-कल करते हुए बह रही है, वह वर्ष 2017 के पहले घोर उपेक्षा की शिकार थी। राम की पैड़ी हो, सूर्य कुंड हो, दशरथ महल हो या फिर प्रभु श्रीराम से जुड़े अन्य स्थल, सभी की हालत जर्जर हो चुकी थी। मगर, 2017 में सीएम योगी द्वारा प्रदेश की सत्ता की कमान संभालते ही अयोध्या में विकास के नए ‘आदित्य का उदय’ प्रारंभ हुआ।

डबल इंजन की सरकार ने अयोध्या के कायाकल्प के सपने को किया साकार

प्रदेश की योगी सरकार ने अयोध्या के वृहद कायाकल्प का मार्ग प्रशस्त किया है। रामनगरी के कोने-कोने में तीव्र गति से सौंदर्यीकरण व विकास की विभिन्न योजनाएं संचालित हैं। आज अयोध्या अपने प्राचीन वैभव के संरक्षण के साथ ही आधुनिक शहरी विकास के नए प्रतिमान स्थापित कर रही है, तो इसके पीछे साफ तौर पर डबल इंजन सरकार की इच्छा शक्ति है, जो कि पीएम मोदी के मार्गदर्शन और सीएम योगी के कुशल क्रियान्वयन से संभव हो सका है।

अयोध्या के 37 मठ-मंदिरों का हो रहा जीर्णोद्धार

योगी सरकार ने सबसे पहले अयोध्या के मठ मंदिरों की सुधि ली। 68 करोड़ की लागत से उनका सौन्दर्यीकरण कराया जा रहा है। इनमें जानकी घाट, बड़ा स्थान, दशरथ भवन मंदिर, मंगल भवन, अक्षरी मंदिर, राम कचेहरी मंदिर, सियाराम किला, दिगम्बर अखाड़ा, तुलसी चौराहा मंदिर, भारत किला मंदिर, हनुमान मंदिर, कालेराम मंदिर, नेपाली मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर, छोटी देवकाली मंदिर, मौर्य मंदिर, राम गुलेला मंदिर, करतलिया बाबा मंदिर, तिवारी मंदिर, वेद मंदिर, मणिराम दास छावनी मंदिर, बरेली मंदिर, रंग महल मंदिर, टेढ़ीयाती महादेव मंदिर, राम पुस्तकालय मंदिर, विद्या देवी मंदिर, देवीकाली कुण्ड मंदिर, रत्न सिंहासन मंदिर सहित पौराणिक मंदिर/आश्रमों व कुंड शामिल हैं। साकेत सदन को बिल्डिंग को रिपेयर किया जा रहा हैं। जिसमें सिर्फ चूने,सुखी, का प्रयोग किया जा रहा हैं। जिस रूप में पहले बिल्डिंग थी पुनः उसी रूप में लाने का प्रयास किया जा रहा। व पार्क का भी कायाकल्प होना हैं। इस परियोजना की लागत 1682.87 लाख है।

2017 से पहले की स्थितिः 2017 के पहले की सरकारों में इन मठ मंदिरों को कोई पूछने वाला नहीं था। जगह-जगह गंदगी का ढेर लगा रहता था व पुराने समय में बने मंदिरों दीवारों में दरारें आ चुकी थी।

2017 बाद की स्थितिः योगी सरकार में अयोध्या का प्राचीन वैभव दोबारा लौट रहा है। अयोध्या के मठ मंदिरों का जीर्णोद्धार फसाड ट्रीटमेंट से हो रहा है। उप्र राज्य पर्यटन विकास निगम जीर्णोद्धार करा रहा है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का फैसला आने से पहले ही केंद्र की मोदी व प्रदेश की योगी सरकार ने रामनगरी के लिए धनवर्षा करनी शुरू कर दी। खास तौर से यहां की संस्कृतियों को फिर से सजोने का काम शुरू कराया। पौराणिक ताल व नदियों के किनारे पक्के घाट बनवाये गए। माना जाता है कि अयोध्या में तकरीबन आठ हजार के करीब मंदिर हैं। इनमें कई मठ मंदिरों के सौंदर्यीकरण का कार्य कराया जा रहा है। प्रभु रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने से बाद से और तेजी से कार्य शुरू हो गए हैं।

चार वेदों से प्रेरणा लेकर बनाए गए पथों ने सुगम यातायात का किया मार्ग प्रशस्त

चार वेद, चार युग की प्रेरणा से योगी सरकार में बने चार पथों ने अवधपुरी के वृहद कायाकल्प का मार्ग प्रशस्त किया है। योगी सरकार के नेतृत्व में पुरातन वैभव को आधुनिक जीवनशैली के अनुरूप ढालकर अयोध्या में कायाकल्प करने का मार्ग सुनिश्चित किया जा रहा है। यहां के चार प्रमुख पथ भक्ति पथ, जन्मभूमि पथ, राम पथ व धर्म पथ चार वेदों और चार युगों की अवधारणा पर विकसित किए गए हैं, जिन्हें म्यूरल पेंटिंग, वॉल पेंटिंग, पेबल स्टोन स्कल्चर, आधुनिक लाइटिंग, वाई-फाई कनेक्टिविटी समेत सौर ऊर्जा के उचित प्रयोग से वैश्विक प्रतिमान गढ़ने के अनुरूप बनाया गया है।

2017 से पहले की स्थितिः सड़कों की दशा बेहद दयनीय थी। किसी सड़क पर वाहन चलना तो दूर, पैदल भी नहीं चला जा सकता था। कई सड़कें तो अवैध अतिक्रमण के कारण संकरी गलियों में परिवर्तित हो गईं थीं। इन सड़कों पर यात्रा करते हुए श्रद्धालुओं व आम नागरिकों को भारी अवसुविधा का सामना करना पड़ता था।

2017 के बाद की स्थितिः अब-करोड़ों की लागत से चार प्रमुख मार्ग बन चुके हैं। लक्ष्मण पथ, सुग्रीव टीला व आगमन पथ, क्षीरसागर पथ तैयार किया जा रहा है। यानी, आज अयोध्या में ये मार्ग नागरिक परिवहन के साथ अयोध्या के गौरवशाली अतीत और यहां की समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं।

प्रभु श्रीराम के साक्षी रहे कुंडों का हो रहा कायाकल्प, नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनकर उभरे

भगवान राम के समय के कुंडों का पौराणिक महत्व है। यहां कई ऐसे हैं, जिसमें भगवान राम अपने भाइयों के संग दातून से लेकर स्नान तक किया करते थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन कुंडों को संवारने के बीड़ा उठाया। पर्यटन व धार्मिक दृष्टि से अयोध्या को और भी दर्शनीय बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करते हुए उनका जीर्णोद्धार शुरू कराने का कार्य किया। यहां भगवान राम से जुड़े 108 कुंड हैं। अब तक 10 से अधिक कुंडों का जीर्णोद्धार कराया जा चुका है जो आज अयोध्या में नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर उभर रहे हैं।

2017 से पहले की स्थितिः अयोध्या के प्राचीन कुंड उपेक्षा के कारण बेहद दयनीय स्थिति में थे। कई तो सूख गए थे जबकि जियातर कुंडों पर काई की मोटी परतें सीढ़ियों पर जमी दिखती थी। कुंडों का जल भी काई और बजबजाते कूड़े के कारण स्नान व आचमन योग्य नहीं रह गया था।

2017 के बाद की स्थितिः सनातन धर्म की सप्तपुरियों में सर्वप्रथम अयोध्या के त्रेतायुगीन वैभव व आधुनिक विकास का समुचित तालमेल सूर्य कुंड समेत अयोध्या के विभिन्न कुंडों में देखने को मिल रहा है। सूर्य कुंड वह स्थान है जहां कभी सूर्य भी आकर ठहर गए थे और कहते हैं तब अयोध्या में एक महीने तक रात नहीं हुई थी। पौराणिक विवरणों में उल्लेखित सूर्य कुंड आध्यात्मिक व ऐतिहासिक धरोहर है। इसके बावजूद वर्षों तक यह उपेक्षा झेलता रहा। योगी सरकार ने जब अयोध्या की दशा-दिशा बदलने का बीड़ा उठाया तो इस विख्यात कुंड के भी भाग्य जाग उठे। आज यह कुंड लोगों को आरोग्य व पुण्य का प्रसाद देने के साथ ही उनके मनोरंजन का भी प्रमुख केंद्र बन गया है। यहां विकसित पार्क में लेजर शो समेत तमाम आकर्षण विकसित किए गए हैं जिससे पर्यटक यहां खिंचे चले आ रहे हैं। कमोबेश यही हाल अयोध्या के बाकी कुंडों की भी है।

भव्य प्रवेश द्वार बन रहे अयोध्या की नई पहचान

अयोध्या में प्रवेश मार्गो को त्रेता युग का लुक देने का कार्य किया जा रहा है, जिस प्रकार प्राचीन राजधानियों में प्रवेश द्वार बनाए जाते थे, उसी तर्ज पर अयोध्या के सभी प्रवेश मार्गों पर भव्य प्रवेश द्वार बनाए है। इन प्रवेश द्वारों पर 140 करोड़ रुपये का बजट खर्च किया जा रहा है जिसमें कुछ प्रवेश मार्गों पर निर्माण कार्य चल रहा है।लखनऊ-अयोध्या मार्ग पर श्रीराम द्वार, गोरखपुर से अयोध्या मार्ग पर हनुमान द्वार, गोंडा से अयोध्या मार्ग पर लक्ष्मण द्वार, प्रयागराज से अयोध्या मार्ग पर भरत द्वार, अंबेडकरनगर से अयोध्या मार्ग पर जटायु द्वार तथा रायबरेली से अयोध्या मार्ग पर गरुण द्वार शामिल हैं।

2017 के पहले की स्थितिः प्रवेश द्वार तो छोड़िए, अयोध्या धाम में सड़कें ही नहीं थीं। नयाघाट से फैजाबाद जाने वाला मार्ग भारी अतिक्रमण के कारण सिंगल लेन बन चुका था। आज के भव्य प्रवेश द्वारों की तो धाम वासी 2017 के पहले कल्पना भी नहीं कर सकते थे।

2017 के बाद की स्थितिः अयोध्या में आज भव्य प्रवेश द्वार साकार हो रहे हैं। ये अयोध्या धाम में प्रवेश लेते ही आपको रामनगरी की भव्यता और दिव्यता का अहसास कराते हैं। ये प्रवेश द्वारा सेल्फी अट्रैक्शन के तौर पर भी कार्य कर रहे हैं और दीपोत्सव समेत विशिष्ट कार्यक्रमों में देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालु यहां सेल्फी खींचकर व रील और वीडियो बनाकर खुद को धन्य समझते हैं।

सरयू घाट के किनारे बना आधुनिक भजन संध्या मंच

भजन संध्या स्थल को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त बनाया गया है। यहां ओपेन हाल,साज-सज्जा के लिए अतिरिक्त कमरे। इसके साथ ही, अत्याधुनिक टायलेट और जन सुविधाओं समेत कम से कम पांच हजार दर्शकों के बैठने की सुविधा यहां उपलब्ध है। भव्य मंच और साउंड प्रूफ प्रस्तुति स्थल,रिकार्डिग और फोटो शूट की सुविधा के साथ ही यह सरयू तट का विहंगम और मनमोहक नजारा भी दर्शकों को उपलब्ध कराता है।

2017 के पहले की स्थितिः अयोध्या धाम में आध्यात्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए भारी कमी थी। अक्सर सरयू किनारे ऐसे आयोजनों को किया जाता था। वहीं, इंडोर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए फैजाबाद का रुख करना पड़ता था।

2017 के बाद की स्थिति: अब अयोध्या में ऐसा कोई भी सांस्कृतिक स्थल नहीं बचा है, जिसका सौन्दर्यीकरण न कराया जा रहा हो। धीरे-धीरे अयोध्या के चौतरफा फैली संस्कृति का व्यापक स्तर पर विस्तार हो रहा है।

अयोध्या की राजकुमारी के साथ कोरिया के साथ गहरे रिश्ते को भी अयोध्या के अंदर जो है वह संरक्षित किया गया क्वीन हो मेमोरियल‌ पर 22 करोड़ रुपए खर्च किया गया। आज आधुनिक बनकर खड़ा है और अयोध्या की ऐतिहासिक खाकी को दर्शा रहा है। अटल आवासीय विद्यालय लगभग 12.5 करोड़ रुपये विद्यालय के निर्माण में खर्च किया गया। जो आधुनिक शिक्षा के साथ राम राज्य की परिकल्पना को साकार करते हुए गरीब बच्चों को मुफ्त और मूल्य पर शिक्षा उपलब्ध कराने की योगी सरकार प्रतिबद्धता अटल आवास विश्वविद्यालय के जरिए पूरा। वहीं वेद और वेदांगों पर शोध किया जाएगा। जो रामायण विश्वविद्यालय को 21 एकड़ में बनाया जा रहा है। महर्षि महेश योगी रामायण विद्यापीठ विश्वविद्यालय के भवन के नाम राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न पर रखे जाएंगे। मुख्य भवन का नाम रघुकुल भवन रखा जाएगा।

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उत्तर प्रदेश

महाकुम्भ 2025 के सफल आयोजन के लिए 07 हजार बसों के अलावा 550 शटल बसें संचालित करेगा परिवहन निगम

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लखनऊ/प्रयागराज। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में उ0प्र0 परिवहन निगम दिव्य, भव्य एवं ग्रीन महाकुम्भ मेला-2025 के सफल आयोजन के लिए 07 हजार बसों को संचालित करेगा। परिवहन निगम प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण स्थानों से सुगम, सस्ती एवं आरामदायक सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध है।

महाकुम्भ मेला में सड़क मार्ग से पूर्वाचल से अधिक संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। इसके दृष्टिगत पूर्वांचल के छोटे-छोटे कस्बों से मेला स्थल को जोड़ते हुए बसों के संचालन की योजना परिवहन निगम ने तैयार की है। महिला एवं वृद्ध तीर्थयात्रियों को विशेष सुविधा प्रदान करने की योजना बनाई गयी है।

3 चरणों में संचालन

एमडी परिवहन निगम मासूम अली सरवर ने बताया कि महाकुम्भ मेला 2025 के दौरान मुख्य स्नान 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 के बीच पड़ रहे, जिसमें मौनी अमावस्या का शाही स्नान 29 जनवरी एवं बसंत पंचमी का शाही स्नान 03 फरवरी, 2025 को है। महाकुम्भ 2025 के दौरान लगभग 6800 परिवहन बसें एवं लगभग 200 वातानुकूलित बसों का संचालन किये जाने की योजना है।

प्रथम चरण में 12 जनवरी से 23 जनवरी तक द्वितीय चरण में 24 जनवरी से 07 फरवरी तक एवं तीसरे चरण में 08 फरवरी से 27 फरवरी तक तीन चरणों में महाकुम्भ मेले में संचालन को बाटा गया है। निगम के कुल 19 क्षेत्रों से लगभग 165 मार्गों पर निगम की बसों का संचालन किया जायेगा।

550 शटल बसें चलाई जाएंगी

एमडी परिवहन निगम ने बताया कि बसों के अतिरिक्त 550 शटल बसें विभिन्न स्थाई एवं अस्थाई बस स्टेशनों एवं विभिन्न मार्गों पर निर्धारित वाहन पार्किंग स्थलों से संगम तट के निकट स्थित भारद्वाज पार्क एवं भारत स्काउट गाइड कालेज बैक रोड तक तथा लेप्रोसी बस स्टेशन व अंधावा बस स्टेशन तक संचालित किये जाने की योजना है।

उन्होंने बताया कि मुख्य स्नान पर्व पर शश्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ बढ़ने के कारण शास्त्रीपुल, फाफामऊ पुल एवं यमुना पुल यातायात हेतु प्रतिबंधित रहने की स्थिति में शहर के बाहर कुल 08 अस्थाई बस स्टेशन गठित किये जायेंगे, जिसमें झूसी बस स्टेशन, दुर्जनपुर बस स्टेशन, सरस्वतीगेट बस स्टेशन, नेहरू पार्क बस स्टेशन, बेली कछार बस स्टेशन, बेला कछार बस स्टेशन, सरस्वती हाइटेक सिटी मेनू एवं लेप्रोसी मिशन बस स्टेशन हैं।

इन मार्गों प्रभाग संचालन

एमडी ने बताया कि झूसी बस स्टेशन से दोहरी घाट, बड़हलगंज, गोला, उरूवा, खजनी, सीकरीगंज, गोरखपुर मार्ग, आजमगढ़-बलिया-मऊ व सम्बद्ध मार्ग के लिए बसों का संचालन किया जायेगा। दुर्जनपुर बस स्टेशन का उपयोग झूसी बस स्टेशन की बसों का संचालन मेला प्रशासन द्वारा रोके जाने पर किया जायेगा।

इसी प्रकार सरस्वतीगेट बस स्टेशन से बदलापुर, शाहगंज, टांडा व सम्बद्ध मार्ग एवं वाराणसी एवं संबद्ध मार्ग के लिए बसों का संचालन किया जायेगा, नेहरू पार्क बस स्टेशन से कानपुर एवं कौशाम्बी को संबद्ध मार्ग के लिए, बेला कछार बस स्टेशन से रायबरेली लखनऊ व संबद्ध मार्ग एवं फैजाबाद, अयोध्या, गोण्डा, बस्ती, बहराइच व संबद्ध मार्ग के लिए, सरस्वती हाइटेक सिटी नैनी से विन्ध्यांचल, मिर्जापुर, शक्तिनगर व संबद्ध मार्ग के लिए, लैप्रोसी मिशन बस स्टेशन से बांदा-चित्रकूट व संबद्ध मार्ग एवं रीवा-सीधी व संबद्ध मार्ग के लिए संचालन किया जायेगा।
नेहरू पार्क बस स्टेशन पर बसों का संचालन मेला प्रशासन द्वारा रोके जाने पर बसों का संचालन बेली कछार बस स्टेशन से किया जायेगा।

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