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जुर्म

पुलिस की सुस्ती ने ले ली कन्हैयालाल की जान, कट्टरपंथियों के खिलाफ नहीं हुआ एक्शन

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उदयपुर। राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की निर्मम हत्या से पूरे देश में लोगों में गुस्सा है। नूपुर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट की वजह से कट्टरपंथियों ने इस्लामिक स्टेट के आतंकियों की तर्ज पर कन्हैया की गर्दन काट डाली।

कन्हैया के मर्डर पर राजस्थान पुलिस भी सवालों के घेरे में आ गई है। खुद गहलोत सरकार भी पुलिस महकमे से चूक को स्वीकार कर रही है लेकिन अभी सिर्फ एएसआई को सस्पेंड किया गया है।

कन्हैया को गिरफ्तार करने में चुस्त थी पुलिस

दरअसल, नूपुर शर्मा को लेकर कन्हैयालाल के फोन से गलती से हुई पोस्ट को लेकर कुछ लोगों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत पर त्वरित ऐक्शन लेते हुए उदयपुर पुलिस ने कन्हैयालाल को गिरफ्तार कर लिया। बाद में उसे कोर्ट से जमानत मिल गई।

जमानत मिलने के बाद कन्हैया को धमकियां मिलने लगीं। उसे अलग-अलग नंबरों से फोन और मैसेज के जरिए जान से मारने की धमकी दी जाने लगी।

खतरे को देखते हुए कन्हैया 15 जून को उसी थाने में शिकायत और गुहार लेकर पहुंचा, जहां की पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। उसने धमकियों की जानकारी देते हुए सुरक्षा की मांग भी की।

पुलिस ने कर दी गलती

कन्हैया को गिरफ्तार करने में देर न करने वाली पुलिस ने धमकी देने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने या गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं समझी। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कुछ लोगों को थाने में बुलाकर समझा-बुझा दिया और शांति-मेल मिलाप से रहने का उपदेश देकर घर भेज दिया।

सवाल यह है कि पुलिस मामले की संवेदनशीलता क्यों नहीं समझ पाई? सिर कलम करने की धमकी को इतने हल्के में क्यों लिया गया? क्यों नहीं समय रहते आरोपियों को गिरफ्तार किया गया?

उत्तर प्रदेश

मेरी पत्नी से शिक्षक का था अफेयर, इसलिए मार डाला; वकील के कबूलनामे से आया नया ट्विस्ट

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कानपुर। उप्र के कानपुर के पनकी के पतरसा में शिक्षक दयाराम सोनकर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार वकील संजीव कुमार के बयान ने पेंच फंसा दिया है। वकील ने जो बयान दिया, उसके मुताबिक शिक्षक के उसकी पत्नी से अवैध संबंध थे। चूंकि शिक्षक वर्तमान में कानपुर देहात में ही रह रहा था।

इसके चलते पत्नी भी कानपुर देहात स्थित मायके में ही थी। इसलिए उसने रविवार को दयाराम को बुलाकर अकेले ही बंद कमरे में जिंदा जलाकर मार डाला। वहीं, मृतक के भाई का कहना है कि भाभी के संबंध ढाबा संचालक से थे। विरोध करने पर भाभी ने प्रेमी और वकील के साथ मिलकर भाई की हत्या कर दी।

मृतक दयाराम के छोटे भाई अनुज ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि भाई दयाराम ने अपने मोबाइल फोन से उन्हें कॉल करके बताया था कि संजीव, पवन और संगीता ने उन्हें कमरे में बंद करके आग लगा दी है और भाग गए हैं। तहरीर के आधार पर पुलिस ने जब वकील संजीव को उठाकर पूछताछ शुरू की तो कहानी में नया मोड़ आ गया।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक संजीव ने बताया कि दयाराम जिस कॉलेज में पढ़ाता था, उसी में संजीव का साला शिक्षक है। दोनों में गहरी दोस्ती थी। दयाराम का संजीव के साले के घर में भी आना-जाना था। संजीव को दयाराम और उसकी पत्नी के बीच अवैध संबंध का शक था।

संजीव के अनुसार, पत्नी को कई बार घर लाने की कोशिश की, लेकिन वो राजी नहीं हुई। पत्नी से संबंधों को लेकर बातचीत के लिए दयाराम को घर बुलाया। इसके बाद पेट्रोल डालकर आग लगा दी। हालांकि, पुलिस को अन्य हत्यारोपियों की घटनास्थल के आसपास लोकेशन भी नहीं मिली है। दोनों कहानियों की तह तक जाने के लिए पुलिस अब सक्ष्यों की मदद ले रही है।

संजीव कई बार बुला चुका था दयाराम को

अनुज ने बताया कि संजीव कई बार दयाराम को फोन करके उसकी पत्नी से समझौता कराने की बात कहकर बुला चुका था। परिवार वालों की राय के बाद वे समझौते के लिए गए थे, वहां सभी ने मिलकर उनके भाई की हत्या कर दी।

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