उत्तर प्रदेश
उमेश पाल हत्याकांड: चला PDA का बुलडोजर, सफदर अली का मकान जमींदोज
प्रयागराज। प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड के आरोपितों की मदद करने वालों व अतीक अहमद गैंग के करीबियों पर योगी सरकार का बुलडोजर कहर बनकर टूट रहा है। बुधवार को खालिद जफर के घर को खंडहर बनाने के बाद आज सफदर अली के मकान को ध्वस्त किया गया।
आज धूमनगंज थाना क्षेत्र के चकिया इलाके में सफदर अली के मकान को प्रयागराज विकास प्राधिकरण (PDA) के बुलडोजर ने जमींदोज किया। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से पहले मौके पर भारी फोर्स तैनात कर दी गई। जहां पर कार्रवाई होनी है उस रास्ते को पुलिस ने बंद कर दिया। आरएएफ की टुकड़ी भी तैनात की गई।
माफिया अतीक अहमद के करीबी सफदर अली का घर चकिया में दो सौ वर्गगज में बना है। तीन जेसीबी और एक पोकलैंड के जरिए PDA ने मकान को खंडहर में तब्दील कर दिया। घर गिराने की कार्रवाई शुरू हुई तो सफदर के बेटे और बहू अंदर घुस गए, उन्होंने बाहर निकलने से मना कर दिया। इस पर पुलिस ने अंदर जाकर सबको जबरन बाहर निकाला। इसके बाद मकान तोड़ने की कार्रवाई शुरू हुई।
प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि मकान बिना नक्शा पास कराए बनाया गया है। इसको लेकर लगातार नोटिस दी जा रही थी, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं दिया गया। इस पर बीती 28 फरवरी को नोटिस देकर ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया गया है।
इसी कारण प्रयागराज विकास प्राधिकरण मकान गिरवा रहा है। मकान को ध्वस्त करने से पहले सारा सामान बाहर निकाल लिया गया। बिजली का कनेक्शन भी काट दिया गया।
वहीं, सफदर का कहना है कि उसने वर्ष 2002 में मकान बनवाया था। मकान उसके बेटों के नाम पर है। फिर मुझे कैसे नोटिस दे सकते हैं? कहा कि उसका अतीक से कोई संबंध नहीं है। न ही उमेश पाल हत्याकांड में उसके परिवार के सदस्य का हाथ है।
बता दें कि पुलिस को सफदर अली का कोई क्रिमिनल रिकार्ड नहीं मिला है, लेकिन जांच में सामने आया है कि उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने के बाद शूटरों ने यहां रात गुजारी थी।
उत्तर प्रदेश
गरीब बच्चों को बड़े स्कूलों में प्रवेश दिला रही योगी सरकार, प्रथम चरण में 1.32 लाख से अधिक आवेदन आए
लखनऊ | उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। सरकार के ‘मिशन शिक्षा’ के तहत, गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर प्रदान करने के लिए शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। इसका परिणाम यह है कि आवेदन प्रक्रिया के प्रथम चरण (01 दिसंबर से 19 दिसंबर) के दौरान 1.32 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं।
ज्ञातव्य हो कि योगी सरकार इस वर्ष यह प्रयास कर रही है कि किसी भी गरीब बच्चे की पढ़ाई में एक दिन भी देरी न हो और उसे समय से स्कूल में प्रवेश दिलाकर अप्रैल के पहले दिन से ही उसकी नियमित पढ़ाई शुरू करा दी जाए। इस प्रथम चरण में वंचित और अलाभित परिवारों के अभिभावकों ने उत्साहपूर्वक आवेदन किया है, जिनमें सर्वाधिक आवेदन वाराणसी (10,278), लखनऊ (8,714) और कानपुर नगर (8,276) से प्राप्त हुए हैं। अब सरकार ने इन आवेदनों के सत्यापन कार्य में तेजी लाकर बच्चों को उनके अधिकार शीघ्र प्रदान करने की प्रक्रिया को सुनिश्चित किया है। योगी सरकार के इस ऐतिहासिक कदम से उत्तर प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र में एक नई उम्मीद और परिवर्तन की लहर दौड़ रही है, जिससे हर बच्चे के लिए शिक्षा का दरवाजा खुल रहा है।
19 दिसंबर तक आये सर्वाधिक आवेदन की स्थिति
सभी जिलों से प्राप्त हुए कुल 1,32,446 आवेदनों में जिन जिलों से सर्वाधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं, उनमें शीर्ष पर वाराणसी (10,278) है, जबकि दूसरे स्थान पर लखनऊ (8,714) है। इसी प्रकार तीसरे स्थान पर कानपुर नगर (8,276), चौथे स्थान पर अलीगढ़ (4,880) और पांचवें स्थान पर आगरा (4,626) ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है।
सरकार ने दिये हैं निर्देश
इसके साथ ही बीईओ और बीएसए स्तर पर लंबित आवेदनों को लेकर सरकार ने जिलों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रक्रिया को शीघ्र पूरा कर बच्चों के अधिकार सुनिश्चित किए जाएं। सरकार ने अधिकारियों से कहा है कि 23 दिसंबर को पोर्टल स्वतः बंद हो जाएगा, इसलिए अधिकारी 22 दिसंबर तक सर्वोच्च प्राथमिकता पर आरटीई आवेदन सत्यापन को रखते हुए आवेदनों का सत्यापन कार्य पूर्ण करें।
चार चरणों में दिया जा रहा मौका
बच्चों का समय पर नामांकन सुनिश्चित करने के लिए सत्र 2025-26 के लिए 4 चरणों में आवेदन प्रक्रिया का निर्धारण किया गया है, जो क्रमशः 1 दिसंबर, 1 जनवरी, 1 फरवरी और 1 मार्च से उस महीने की 19 तारीख तक चलाई जा रही है। पहले चरण में आवेदनों की संख्या आने के बाद उनके सत्यापन का कार्य गतिशील है, जबकि शेष चरणों में आने वाले प्रार्थना पत्रों के बाद निर्धारित समय से सत्यापन कार्य शुरू कर दिए जाएंगे।
–पिछले सत्रों में यह रही स्थिति
शैक्षिक सत्र 2022-23 में 71,214 बच्चों के मुकाबले सत्र 2024-25 में इस योजना के अंतर्गत 1,14,196 बच्चों का प्रवेश गैर सहायतित मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों में कराया गया था, जो कि एक बड़ा उछाल था। इसके अतिरिक्त, सत्र 2024-25 तक राज्य भर के 5 लाख से अधिक बच्चे निजी विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। बता दें कि इन दो वित्तीय वर्षों में योगी सरकार ने 436 करोड़ रुपये की फीस प्रतिपूर्ति का भुगतान किया था और विद्यालयों को गरीब बच्चों को बिना किसी बाधा के प्रवेश देने में सहायता मिली थी।
सरकार का प्रयास-बच्चों के प्रवेश में न हो देरीः संदीप सिंह
योगी सरकार के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने बताया कि आरटीई के तहत प्रत्येक चरण के लिए लॉटरी और नामांकन की तारीखें तय हैं। जिला प्रशासन भी सहयोग कर रहा है, जिससे आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र जैसे आवश्यक दस्तावेजों की सुविधा प्रदान कर नामांकन प्रक्रिया को सरल बनाया जा रहा है। सरकार का प्रयास है कि किसी भी बच्चे के प्रवेश में देरी न हो और वह समय से अपनी नियमित पढ़ाई शुरू कर सके। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे बच्चों के नामांकन के लिए आवश्यक दस्तावेजों को समय से तैयार करा लें और आवेदन प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे, सभी अभिभावक इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलवाने में सरकार का सहयोग करें।
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