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उत्तर प्रदेश

शोध, नवाचार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का केंद्र बनेंगे प्रदेश के विश्वविद्यालय

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया है। इसके तहत योगी सरकार प्रदेश के 8 प्रमुख विश्वविद्यालयों में कुल 58 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करने जा रही है। सरकार की इस पहल का उद्देश्य उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध, नवाचार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण को बढ़ावा देना है, जिससे छात्रों और शिक्षकों को न सिर्फ भविष्य की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया जा सके, बल्कि इसके अनुरूप तैयार किया जा सके। इसके लिए सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए विश्वविद्यालयों को कुल 03 करोड़ 88 लाख 77 हजार 8 सौ रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई है। इस धनराशि से छात्रों और शिक्षकों को अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी।

युवाओं के करियर को मिलेगी नई दिशा

प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री, योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि योगी सरकार प्रदेश के विश्वविद्यालयों को वैश्विक मानकों के अनुरूप तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना से न केवल छात्रों को शोध और तकनीकी विशेषज्ञता के क्षेत्र में नई संभावनाएं मिलेंगी, बल्कि यह विश्वविद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता में भी सुधार लाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य प्रदेश के युवाओं को एक ऐसा मंच उपलब्ध कराना है, जहां वे विश्वस्तरीय शिक्षा और संसाधनों का लाभ उठाकर अपने करियर को नई दिशा दे सकें।

इन विश्वविद्यालयों में स्थापित होंगे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

“सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” योजना के तहत प्रदेश के प्रमुख विश्वविद्यालयों को जोड़ा जा रहा है। इस योजना के तहत महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय बरेली, वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय जौनपुर, लखनऊ विश्वविद्यालय, डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या, ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी, डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ और छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर को शामिल किया गया है।

छात्रों के शैक्षिक विकास को मिलेगा प्रोत्साहन

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस योजना के तहत राज्य के इन विश्वविद्यालयों में प्रोजेक्ट फेलो के साथ-साथ अत्याधुनिक शोध उपकरण, पुस्तकालयों का विकास और डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जाएगा। यह न केवल छात्रों के शैक्षिक विकास को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि उन्हें उद्योग और अनुसंधान क्षेत्र में नए अवसर प्रदान करेगा। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस योजनांतर्गत राज्य सरकार द्वारा समय समय पर निर्गत दिशा निर्देश प्रभावी रहेंगे। विश्वविद्यालय स्तर पर योजना के दिशा निर्देशों के अनुसार कार्यक्रमों की मॉनीटरिंग की जाएगी तथा शासन को अवगत कराया जाएगा।

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उत्तर प्रदेश

संकट में होती है व्यक्ति और संस्थान की पहचान, कोई बिखर तो कोई निखर जाता है: सीएम योगी

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लखनऊ |  संकट में हर व्यक्ति और संस्थान की पहचान होती है। जब अचानक कोई चुनौती आती है तो लोग बड़े-बड़े दावे करके मैदान छोड़ भाग जाते हैं। यह वह समय होता है, जब कोई बिखर जाता है और जो चुनौतियों का सामना करता है वो निखर जाता है। हमें बिखरना नहीं है। केजीएमयू के गौरव को बढ़ाना है। ध्यान रहे कि कोई भी मरीज निराश न जाए। सीएम ने कहा कि संस्थान नई-नई सेवाओं के साथ आगे बढ़ रहा है। वर्ष 1905 में जब मेडिकल कॉलेज खुलने की बात आई होगी तो उस समय रियासतों ने सहयोग किया होगा। 10 लाख 75 हजार 800 रुपये से मेडिकल कॉलेज शुरू हो गया। वहीं संस्थान आज अपनी शानदार यात्रा के साथ देश के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान के रूप में अग्रणी चिकित्सा संस्थान के रूप में लगातार आगे बढ़ रहा है। आज केजीएमयू का दायरा लगभग 100 एकड़ के क्षेत्रफल में होने जा रहा है। यह शानदार सफर ऐसे ही आगे बढ़ता रहेगा।

यह बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहीं। उन्होंने शनिवार को केजीएमयू के 120वें स्थापना दिवस समारोह में 67 मेधावी छात्रों को मेडल और सर्टिफिकेट प्रदान कर सम्मानित किया।

संस्थान को अगले 100 वर्ष का गोल सेट करके आगे बढ़ना होगा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शासन ने संस्थान को सब कुछ दिया है। हमारे पास पैसों की कमी नहीं है। हमें सेवाओं को बेहतर बनाने के बारे में सोचना चाहिये। संस्थान को अगले 100 वर्ष का गोल सेट करके आगे बढ़ना होगा, ताकि संस्थान के गौरव को और आगे बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान केजीएमयू में मिसाल पेश की है। सीएम ने कहा कि एक मेडिकल कॉलेज के कुछ डॉक्टरों ने खुद को क्वारंटीन कर लिया था, लेकिन जांच में वह निगेटिव मिले। इस पर उन्हें निलंबित कर दिया गया जबकि केजीएमयू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरुप पूरी तत्परता से काम किया। परिणाम हम सभी के सामने हैं। उन्होंने कहा कि यहां मेडिकल की सबसे अधिक सीटें हैं, जहां पर छात्र पढ़ाई करके आने वाले समय में चिकित्सा संस्थान की उपलब्धियों को और भी आगे लेकर जाएंगे। सरकार ने भी संस्थान को आगे बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक मशीनों और लैब के लिए 300 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। इसके अलावा 377 करोड़ रुपये से सर्जरी डिपार्टमेंट की एक नई बिल्डिंग के लिए स्वीकृत की है। वहीं फायर सिक्योरिटी के लिए लगभग 46 करोड़, लारी कॉर्डियोलॉजी के विस्तार के लिए 70 करोड़ रुपये दिये हैं।

बीमारी चली जाती है, लेकिन व्यवहार याद रहता है, इसका ध्यान रखें डॉक्टर्स और स्टाफ

सीएम योगी ने संस्थान के चिकित्सकाें को मरीजों की स्क्रीनिंग, वर्चुअल आईसीयू, टेलीमेडिसिन की सुविधा शुरू करने पर विचार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि उपचार के लिए पैसों की कोई कमी नहीं है, इलाज में पैसा समस्या नहीं है। दिनचर्या से आज मरीजों की भीड़ बढ़ रही है। दूसरी बीमारी स्मार्ट फोन बन गई है। इसके लिए मानसिक रोग विभाग का विस्तार किया जाना चाहिये। साथ ही इसे रोकने के लिए जागरुकता फैलानी होगी। सीएम ने कार्डियक सर्जरी, किडनी- आर्गन ट्रांसप्लांट के साथ डोनेशन पर तेजी के साथ विस्तार करने की अपील की। बोले-इसके बारे में लोगों के मन में एक चेतन को जागृत करने की आवश्यकता है। उन्हे बताने की आवश्यकता है कि कोई व्यक्ति अगर ब्रेन डेड हो गया है और उसके अंग अगर किसी दूसरे व्यक्ति की जान को बचा सकते हैं तो डोनेट करने में क्या बुराई है। इसे लेकर केजीएमयू को अवेयरनेस कैंप, विभिन्न कार्यक्रम, होर्डिंग और पंफलेट आदि के जरिये जागरुकता की ओर ध्यान देना चाहिये। सीएम ने कहा कि सेंटर फॉर एक्सीलेंस विभाग का पैसा खर्च नहीं हो पाता है। इस ओर ध्यान देना होगा। सीएम ने कहा कि डॉक्टरों के लिए सबसे बड़ी पूंजी उनकी संवेदना होती है। सबके निरोग होने की कल्पना के साथ डॉक्टर का व्यवहार ठीक होगा तो बाकी स्टाफ का काम और व्यवहार भी ठीक होगा। बीमारी चली जाती है, लेकिन व्यवहार याद रहता है। ऐसे में सेवा और शिक्षा दोनों फील्ड में यह मानक तय करने होंगे।

कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने सीएम योगी को स्मृति चिह्न भेंट किया। इस अवसर पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, निदेशक आईआईटी कानपुर प्राेफेसर मणिंद्र अग्रवाल, केजीएमयू की प्रतिकुलपति प्रो. अपजित कौर, डीन प्रो. अमिता जैन आदि की उपस्थिति रही।

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