Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तर प्रदेश

कोर्ट में तब्दील हुई यूपी विधानसभा, 6 पुलिसकर्मियों को एक दिन कारावास की सजा

Published

on

UP assembly turned into court

Loading

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में आज शुक्रवार को ऐतिहासिक नजारा देखने को मिला। बीजेपी विधायक सलिल विश्नोई के विशेषाधिकार हनन मामले में सदन को कोर्ट में तब्दील किया गया था। इस मामले के आरोपी 6 पुलिसकर्मियों को कटघरा बनाकर सदन के सामने पेश किया गया।

संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने आरोपियों के एक दिन के कारावास का प्रस्ताव सदन के सामने रखा, जिस पर स्पीकर ने वोटिंग कराई। वोटिंग के दौरान सपा के विधायक सदन में मौजूद नहीं थे। बाकी बचे सदस्यों ने ध्वनिमत से प्रस्ताव को पारित करा दिया। मंत्री के प्रस्ताव से स्पीकर ने सहमति जताई और आरोपियों को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई।

सभी आरोपियों ने बारी-बारी से सदन के सामने माफी भी मांगी। स्पीकर ने कहा कि कमिटी ने इनके निलंबन की कार्रवाई के लिए कहा था लेकिन पुलिसकर्मियों के आचरण आदि को देखते हुए उन्हें एक दिन के कारावास की सजा दी जा रही है। पुलिसकर्मी सिर्फ आज भर के लिए सदन में ही बनी एक स्पेशल सेल में बंदी बनाए जाएंगे।

विधायिका का सम्मान बने रहना जरूरी

दरअसल, सदन को अदालत में तब्दील किए जाने के बाद संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने सभी आरोपियों के आरोप बताते हुए उन्हें एक दिन यानी आज रात 12 बजे तक कारावास की सजा दिए जाने का प्रस्ताव रखा था। सुरेश खन्ना ने इस दौरान कहा कि लोकतंत्र में विधायिका का सम्मान बने रहना जरूरी है। लाखों की आबादी से चुने ये प्रतिनिधि जनता के हितों में काम करते हैं।

उन्होंने कहा कि ये सच है कि अधिकारी लोग शासन के निर्देशों का पालन करते हैं लेकिन ये अधिकार नहीं मिल जाता कि ये लोग किसी को गाली दें, अपमानित करें या डंडा चलाएं। वहां पर ऐसी कोई स्थिति नहीं थी कि डंडा चलाया जाता। संवेदनशीलता जरूरी है।

कहां कैद होंगे आरोपी

खन्ना के प्रस्ताव पर स्पीकर सतीश महाना ने कहा कि दोषी सभी पुलिसकर्मियों को एक दिन के कारावास की सजा दी जाए। एक दिन का मतलब चौबीस घंटे होता है लेकिन मैं संसदीय कार्यमंत्री के प्रस्ताव से सहमत हूं कि आज रात 12 बजे तक ये आरोपी विधानसभा में ही बने सेल में रहेंगे।

सूर्य प्रताप शाही के प्रस्ताव का विरोध

दरअसल, विधानसभा में कारावास के लिए अलग से सेल बना हुआ है। उसी में दोषी पुलिसकर्मी शुक्रवार रात 12 बजे तक रहेंगे। सजा सुनाए जाने के दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही कहा कि कुछ घंटे के लिए इन पुलिसकर्मियों के बैठने की व्‍यवस्‍था कर दी जाए जिस पर पूरे सदन में ‘नहीं-नहीं’ की आवाज आने लगी।

शाही के इस प्रस्‍ताव को सदस्‍यों ने मानने से इनकार कर दिया। संसदीय कार्यमंत्री ने इस पर कहा कि स्पीकर के फैसले के बाद उस पर विचार या पुनर्विचार की जरूरत नहीं है लेकिन आप (स्पीकर) संवेदनशील हैं और बड़ी उदारता से यह फैसला दिया है। आपसे अनुरोध है कि इन लोगों के साथ व्यवहार ठीक हो। पानी-भोजन की व्यवस्था करवा दें।

स्पीकर ने दिए लॉकअप में भेजने के आदेश

इसके बाद स्पीकर ने आदेश दिया कि श्रीकांत शुक्ला, त्रिलोकी सिंह, छोटे सिंह यादव, विनोद मिश्रा, मेहरबान सिंह आदि को विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के मामले में सभी दोषियों को एक दिन के लिए तारीफ बदलने तक विधानसभा के लॉकअप में रखा जाए। कारावास में किसी भी तरह का उत्पीड़न नहीं होगा। सारी अनुमन्य सुविधाएं, भोजन इत्यादि की व्यवस्था भी रहेगी।

क्या था मामला

मामला 15 सितंबर, 2004 का है। कानपुर में उस वक्त के भाजपा विधायक सलिल विश्नोई अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ बिजली कटौती की समस्या को लेकर डीएम को ज्ञापन देने जा रहे थे। रास्ते में प्रयाग नारायण शिवालय के गेट पर उन्हें सीओ बाबूपुरवा अब्दुल समद के नेतृत्व में पुलिसकर्मियों ने रोक लिया था।

नोकझोंक के बाद पुलिसकर्मियों ने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ उनकी पिटाई कर दी थी और गाली-गलौज की गई थी। विश्नोई ने इसे विधायक के विशेषाधिकार की अवहेलना करार देते हुए अक्टूबर 2004 में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी। मामला विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के सुपुर्द कर दिया गया था।

27 जुलाई, 2005 को विशेषाधिकार समिति ने इसे विशेषाधिकार की अवहेलना और सदन की अवमानना करार देते हुए तत्कालीन सीओ अब्दुल समद को कारावास की सजा दिए जाने की संस्तुति की थी। साथ ही घटना में उनके साथ मौजूद तत्कालीन थानाध्यक्ष किदवई नगर ऋषि कांत शुक्ला, दरोगा त्रिलोकी सिंह, सिपाही छोटे लाल, विनोद मिश्र और मेहरबान सिंह को सदन में बुला कर चेतावनी देने की भी संस्तुति की थी। हालांकि, कुछ वजहों से इसे सदन में नहीं रखा जा सका था।

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

शामली मुठभेड़ में घायल हुए STF इंस्पेक्टर सुनील कुमार शहीद, गुरुग्राम के मेदांता में चल रहा था इलाज

Published

on

Loading

गुरुग्राम। उत्तर प्रदेश के शामली में हुई एक मुठभेड़ के दौरान स्पेशल टास्क फोर्स ने चार कुख्यात अपराधियों को ढेर कर दिया। इस अभियान में एसटीएफ इंस्पेक्टर सुनील कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया।

इस घटना में मारा गया मुख्य अपराधी अरशद जिसके सिर पर 1 लाख रुपए का इनाम था। अपने तीन साथियों के साथ मुठभेड़ में मारा गया। यह घटना कानून-व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। लेकिन एसटीएफ ने इस दौरान एक वीर अधिकारी को खो दिया।

शुरू में उन्‍हें करनाल के अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन बाद में हालत खराब होने पर गुरुग्राम के मेदांता में रेफर किया गया। बीते 24 घंटे खतरे से बाहर नहीं हुए थे इंस्पेक्टर सुनील कुमार। वह वहां आईसीसीयू में भर्ती थे।

बताया जा रहा है कि एक गोली इंस्‍पेक्‍टर के लिवर को पार करके पीठ में अटक गई थी। इसे निकाला संभव नहीं था, इसलिए इसे छोड़ दिया गया।इंस्‍पेक्‍टर सुनील कुमार ठोकिया एनकाउंटर में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाकर हेड कांस्टेबल से सब इंस्पेक्टर बने थे। शामली में सोमवार देर रात कग्‍गा गैंग के चार बदमाशों के एनकाउंटर में इंस्पेक्टर सुनील कुमार भी शामिल थे। बदमाश एक कार में सवार थे। घेरे जाने पर उन्‍होंने पुलिस पर फायरिंग कर दी थी। इसी में सुनील कुमार घायल हुए थे। जवाबी कार्रवाई में STF ने चार बदमाशों को मार गिराया था।

Continue Reading

Trending