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प्रादेशिक

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार हर स्तर पर हर सम्भव प्रयास कर रही हैः सुरेश खन्ना

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लखनऊ। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि प्रदेश में कोविड-19 महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार हर स्तर पर हर सम्भव प्रयास कर रही है। विपक्षी लोग सरकार के कार्यों में सिर्फ कमी ढूंढने का प्रयास करते हैं और समाज में माहौल खराब करते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर सरकार ट्रेसिंग, टेस्ट और ट्रीट के फार्मूले पर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री जी स्वयं गांव के लोगों का हालचाल ले रहे हैं।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री खन्ना आज अपने कार्यालय कक्ष में पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि प्रदेश में 24 अप्रैल, 2021 को कोविड के सर्वाधिक 38,055 केस आये थे, लेकिन सरकार के प्रयासों एवं प्रभावशाली प्रबंधन से आज 20,463 केस हैं। इस प्रकार 40 से 50 प्रतिशत तक की कोविड केस में कमी आ चुकी है। उन्होंने कहा कि गांव में निगरानी समितियों के माध्यम से गांव के लोगों को महामारी से बचाव और इसको रोकने के सभी प्रयास किये जा रहे हैं। गांव के संक्रमित लोगों को गांव के पंचायत भवन/स्कूल/सरकारी इमारतों में आइसोलेट करके उनका उपचार भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गांव में चलाये जा रहे इस अनूठे अभियान की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सराहना की है, जो सरकार के लिए प्रशंसा प्रमाण पत्र जैसा ही है।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार की सक्रियता एवं मुख्यमंत्री जी के आवश्यक निर्देशों के अनुपालन के कारण जहां 30 अप्रैल, 2021 को कुल 3,10,783 एक्टिव केस थे, वहीं अब दस दिन में 97,000 की कमी होकर 2,16,057 हो गई है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में हमारा रिकवरी रेट 85 प्रतिशत तक हो गया है। वर्तमान में कोविड का पाॅजिटिविटी रेट 3.6 प्रतिशत तथा मृत्यु दर 1.0 प्रतिशत है।
श्री खन्ना ने बताया कि प्रधानमंत्री जी के निर्देशानुसार 01 मई, 2021 से 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है। पहले चरण में 07 जनपदों में टीकाकरण किया गया, जिसमें 09 मई तक 1,17,514 लोगों का टीकाकरण किया गया। 10 मई से इस आयु वर्ग के टीकाकरण के लिए अब 18 जनपदों का चयन किया गया है, जिसमें कल 50,460 लोगों का टीकाकरण किया गया। इसमें सर्वाधिक मेरठ जनपद में 90.70 प्रतिशत टीकाकरण किया गया। साथ ही प्रदेश में 45 वर्ष से ऊपर के 1.39 करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश में टीके का वेस्टेज भी एक प्रतिशत से कम .60 प्रतिशत है।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों को शीघ्र चिकित्सा सुविधा मिले इसके लिए प्रत्येक मेडिकल कालेज, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में बेड की उपलब्धता बढ़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार डीआरडीओ द्वारा स्थापित कोविड अस्पताल तथा कैंसर इन्स्टीट्यूट में कोरोना के इलाज की व्यवस्था की गई है। लोहिया संस्थान में भी 120 बेड बढ़ाये गये हैं। केजीएमयू के सर्जरी वार्ड में 127 बेड के साथ मानसिक रोग चिकित्सालय में भी 140 बेड की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए टीकाकरण आवश्यक है तथा वैक्सीनेशन भी कोरोना में सर्वाधिक कारगर उपाय है। उन्होंने कहा कि लोगों का जल्द से जल्द वैक्सीनेशन हो, इसके लिए ग्लोबल टेण्डर जारी किया गया है।

 

उत्तर प्रदेश

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई

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नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।

पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।

हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।

 

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