प्रादेशिक
बाढ़ से बचाव के लिए कराये जा रहे निर्माण कार्यों में न हो लापरवाहीः डॉ महेंद्र सिंह
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डॉ0 महेन्द्र सिंह ने अधिकारियों को कड़े निर्देश देते हुये कहा कि बाढ़ से बचाव के लिए कराये जा रहे निर्माण कार्यों में लापरवाही नही होनी चाहिए। इसके साथ ही मानक के अनुरूप गुणवत्ता, पारदर्शिता एवं समयबद्धता पर विशेष ध्यान दिये जाने के निर्देश दियेे। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही पाये जाने पर सम्बन्धित अधिकारी के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी। डा0 महेन्द्र सिंह आज जनपद सिद्धार्थनगर के बूढ़ी राप्ती नदी के दांए तट पर मदरहवा- अशोगवा बांघ एवं लखनापार-बैदौला बांघ पर चल रहे बाढ़ सुरक्षात्मक के कार्यों का स्थलीय निरीक्षण कर रहे थे।
डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार निरन्तर इस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है कि बाढ़ बचाव कार्य समय से प्रारम्भ हों, गुणवत्तापरक हों तथा पूर्ण पारदर्शिता से सम्पादित कराये जाएं। इस वर्ष 2020-21 के बाढ़ काल की तैयारियों के दृष्टिगत मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा एक साहसिक एवं अभूतपूर्व निर्णय लेते हुए माह जनवरी, 2021 में ही बाढ़ कार्यों हेतु पुनर्विनियोग के माध्यम से धनराशि उपलब्ध करायी गयी, जिसके अन्तर्गत 184 नई बाढ़ परियोजनाओं पर धनराशि स्वीकृत की गयी तथा समस्त कार्य माह फरवरी, 2021 में प्रारम्भ कर दिये गये थे। उन्होंने कहा कि विश्वव्यापी कोरोना महामारी के संकट काल में भी और पंचायत चुनाव सम्पन्न होने के बावजूद बाढ़ परियोजनाओं में तेजी से कार्य किया गया, जिसके फलस्वरूप 22 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी है तथा शेष अधिकांश परियोजनाएं पूर्णता की ओर अग्रसर है। समस्त परियोजनाओं के कार्य आसन्न मानसून पूर्व अतिशीघ्र कराये जाने है। परियोजनाओं के कार्य मानसून के पूर्व होने से जनता जनार्दन बाढ़ से सुरक्षित होगी और जनधन की हानि नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यदि दूरदृष्टि रखकर समय से धनराशि निर्गत करने का यह निर्णय नहीं लिया गया होता तो वर्तमान कोरोना महामारी के कारण बाढ़ कार्यो के समय से क्रियान्वयन में कठिनाई का सामना पड़ता।
डा0 महेन्द्र सिंह ने वर्षा काल से पहले बाढ़ से सम्बन्धित सुरक्षा परियोजनाओं को प्रत्येक दशा में पूरा करने के निर्देश दिये। इसके साथ ही बरसात के दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में जलप्लावन की समस्या को दूर करने के लिए सभी नालों की सफाई भी वर्षाकल से पूर्व कराये जाने की हिदायत दी। उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि आंशिक कोरोना कफ्र्यू के बावजूद भी बाढ़ से बचाव सम्बंधी परियोजनाओं को हरहाल में तय समय सीमा से पूरा किया जाना है। इसके साथ ही ठेकेदारों को भी सचेत किया कि महामारी की आड़ में यदि किसी ठेकेदार के कार्य में गुणवत्ता अधोमानक पायी जाती है, तो उनका भुगतान रोक दिया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए हैं कि कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए कार्य स्थल पर कोविड प्रोटोकाल का अनुपालन कड़ाई सुनिश्चित किया जाए तथा श्रमिकों को मास्क, सेनेटाइजर आदि उपलब्ध कराते हुए उनके प्रयोग के निर्देश दिए जाएं।
जलशक्ति मंत्री ने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षा के दौरान जलप्लावन की समस्या के निराकरण करने के उद्देश्य से समस्त ड्रेनों/नालों की सफाई कराये जाने का अभियान भी प्रारम्भ किया गया है। ड्रेनों/नालों के इस सफाई कार्यक्रम में उन पर निर्मित क्षतिग्रस्त पुल/पुलियों का जीर्णोद्धार भी कराया जायेगा। विभाग के अन्तर्गत कुल 10787 नाले है जिनकी कुल लम्बाई 60205 किमी0 है। इनमें से वित्तीय वर्ष 2019-20 में 2751 नालों की 13300 किमी0 लम्बाई, वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2481 नालों की 12073 किमी0 लम्बाई में सफाई कराई गयी। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में 4811 नालो की 23944 किमी0 लम्बाई में सफाई करायी जा रही है। नालों पर सफाई के कार्यो से ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि भूमि जलप्लावन से मुक्त हो सकेगी जिससे कृषकों की फसलों की क्षति को रोका जा सकेगा।
डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि कोविड महामारी के बावजूद सिंचाई विभाग द्वारा बाढ़ की तैयारियों के समस्त कार्य समयानुसार कराये जा रहे है। वर्ष 2020-21 में सिंचाई विभाग के अन्तर्गत 254 बाढ़ परियोजनाएं संचालित थीं जिनमें से 83 परियोजनाओं के कार्य बाढ़ काल 2020 के प्रारम्भ होने से पूर्व माह जून तक पूर्ण कर लिए गये थे तथा शेष परियोजनाओं के कार्य सुरक्षित स्तर तक इस प्रकार सम्पादित कराये गये कि उनका लाभ जनता को प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि अतिसंवेदनशील स्थलों जिन पर बाढ़ परियोजनाएं स्वीकृत नहीं थी उन स्थलों पर अनुरक्षण मद से अति आवश्यक कार्य कराकर बाढ़ से सुरक्षा प्रदान की गयी। उन्होंने कहा कि माह दिसम्बर, 2020 तक 146 परियोजनाएं पूर्ण की गयी तथा वर्ष के अन्त तक अर्थात माह मार्च, 2021 तक 193 परियोजनाएं पूर्ण की गयी। वर्तमान वर्ष में अब तक कुल 215 परियोजनाएं पूर्ण हुई है। शेष परियोजनाओ के कार्य तेजी से प्रगति में हैं तथा आसन्न मानसून से पूर्व पूर्ण किये जाने हैं।
निरीक्षण के समय सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियन्ता (परि0 एवं नियो0) श्री अशोक कुमार सिंह, मुख्य अभियन्ता (गण्डक) गोरखपुर, श्री आलोक जैन एवं अधीक्षण अभियन्ता श्री अवनीश साहू, अधिशासी अभियन्ता श्री आर0के0 नेहरा तथाश्री आर0के0 सिंह आदि उपस्थित रहे।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन की वृद्धि
लखनऊ | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले साढ़े सात वर्ष से चल रहा ‘पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ जनअभियान’ रंग ले आया। 2024 में 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण करने वाले उत्तर प्रदेश में आईएसएफआर 2023 के अनुसार 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन से अधिक की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश से आगे केवल छत्तीसगढ़ है, जबकि अन्य सभी राज्य उत्तर प्रदेश से पीछे हैं। इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के नेतृत्व में आए इस सकारात्मक पहल की बधाई दी। वहीं केंद्रीय वन-पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी इस उपलब्धि पर उत्तर प्रदेश को शुभकामना दी।
देहरादून में भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई
🌳भारत का वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किमी है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है। इसमें 7,15,343 वर्ग किमी (21.76%) वन आवरण और 1,12,014 वर्ग किमी (3.41%) वृक्ष आवरण है।
🌳2021 के आकार-फ़ाइल आधारित मूल्यांकन की तुलना में वन एवं वृक्ष आवरण में 1,445 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है, जिसमें वन आवरण में 156 वर्ग किमी और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग किमी की वृद्धि शामिल है।
🌳वन एवं वृक्ष आवरण में अधिकतम वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष चार राज्यों में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किमी) के साथ शीर्ष पर है। ओडिशा का क्षेत्रफल (558.57 वर्ग किमी), राजस्थान (394 वर्ग किमी) व झारखंड (286.96 वर्ग किमी.) है।
इनसेट
इन राज्यों में हुई वृद्धि
राज्य एरिया
छत्तीसगढ़ 683.62 वर्ग किमी.
उत्तर प्रदेश 559.19 वर्ग किमी.
ओडिशा 558.57 वर्ग किमी.
राजस्थान 394.46 वर्ग किमी.
झारखंड 286.96 वर्ग किमी.
‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है नया उत्तर प्रदेश:सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट ‘एक्स’ पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि नया उत्तर प्रदेश ‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है। आईएसएफआर 2023 के अनुसार उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग कि.मी. की वन और वृक्ष आच्छादन की ऐतिहासिक वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान ‘एक पेड़ मां के नाम’ और भारतीय दर्शन ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ भाव से उत्तर प्रदेश वासियों के जुड़ाव का प्रतिफल है।
मानवता के कल्याण को समर्पित इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए पौधरोपण अभियान से जुड़े सभी लोगों, प्रकृति प्रेमियों एवं प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई!
यूपी में लगाए गए 36.80 करोड़ से अधिक पौधे
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक दिन (20 जुलाई) को 36.51 करोड़ पौधरोपण कर इतिहास रचने वाले उत्तर प्रदेश ने 30 सितंबर तक 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण किए। साढ़े सात वर्ष में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 210 करोड़ पौधरोपण किये गए।
भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2023 में प्रकाशित रिपोर्ट के परीक्षण करने पर उत्तर प्रदेश में वनावरण की स्थिति…
वनावरण
1. अति सघन वन 2,688.73 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 4,001.41 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8.355.66 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 15045.80 वर्ग कि०मी० (6.24%)
वृक्षावरण 8950.92 वर्ग कि0मी (3.72%)
कुल वनावरण व वृक्षावरण 23996.72 वर्ग कि0मी0 (9.96%)
भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2021 (यथा संशोधित) में प्रकाशित रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित आंकड़े…
वनावरण
1. अति सघन वन 2655.29 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 3995.53 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8276.55 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 14927.37 वर्ग कि०मी० (6.20%)
5-वृक्षावरण 8510.16 वर्ग कि0मी0 (3.53%)
6-कुल वनावरण व वृक्षावरण 23437.53 वर्ग कि0मी0.( 9.73%)
सर्वाधिक वृद्धि वाले उत्तर प्रदेश के पांच जनपद
1- झांसी – 8597 एकड़
2- अमरोहा – 7769 एकड़
3- इटावा – 7127 एकड़
4- कानपुर नगर – 6249 एकड़
5- बिजनौर – 3343 एकड
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