प्रादेशिक
सपा के पांच साल के कार्यकाल में हुए थे एक हजार से अधिक दंगेः गिरीश यादव
लखनऊ। किसी भी दंगे में अधिकांश क्षति बेगुनाहों के जान-माल की होती है। दंगे किसी देश और प्रदेश के लिए स्थाई कलंक होते हैं। ये मुल्क की अस्मिता के लिए खतरे होते हैं। दो समुदायों में नफरत का जहर घोलते हैं। ऐसे में अपने छुद्र राजनीतिक हित में दंगा कराने वाले और दंगाइयों को शह देने वाले मुल्क और समाज के दुश्मन हैं। तुष्टिकरण की राष्ट्रघाती राजनीति करने वाली समाजवादी पार्टी न केवल दंगे कराती रही है, बल्कि दंगाइयों को खुला संरक्षण भी देती रही है।
यह बातें प्रदेश सरकार के आवास एवं शहरी नियोजन राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव ने कही। शनिवार को जारी बयान में उन्होंने कहा कि अपने गन्ने और उसके गुड़ की मिठास के लिए देश-दुनियां में मशहूर मुजफ्फर को तो समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकाल में सांप्रदायिकता की प्रयोगशाला बना दिया। जब मुजफ्फरनगर दंगों की आग में जल रहा था उस समय अखिलेश सैफई के जश्न का आनंद लूट रहे थे।
दंगाइयों को सरकार का खुला संरक्षण प्राप्त था, एक समुदाय के लोंगों के जान-माल की क्षति पहुंचाने और उनकी बहू-बेटियों की इज्ज़त से खिलवाड़ करने का।बहू-बेटियों की इज्जत बचाने के लिए दंगे से सर्वाधिक प्रभावित कैराना कस्बे के सैंकड़ों परिवारों को पलायन करना पड़ा। मुजफ्फरनगर के दंगे तो सपा की तुष्टिकरण की आत्मघाती राजनीति का सबसे विभत्स उदाहरण था। राज्य प्रायोजित इस दंगे से पूरे देश-दुनिया में उत्त्तर प्रदेश की किरकिरी हुई। मिलजुलकर रहने वालों के रिश्ते बुरी तरह प्रभावित हुए।
राज्यमंत्री श्री यादव ने कहा कि अखलेश के पिछले कार्यकाल में हर चंद रोज बाद दंगे होते थे। आंकड़े इस बात के सबूत हैं। 2012 में 227, 2013 में 247, 2914 में 242,2015 में 219 और 2916 में 100 से अधिक दंगे हुए। अखिलेश के समय में उत्त्तर प्रदेश की पहचान दंगा प्रदेश के रूप में बन गई थी। चूंकि हर दंगे में वर्ग विशेष के ही जान-माल की सर्वाधिक क्षति होती थी। लिहाजा इनमें तबकी सरकार की भूमिका होती थी। हर चंद रोज बाद होने वाले दंगे और अराजकता ने प्रदेश को बदनाम कर दिया था। कोई निवेशक यहां पूंजी लगाने को तैयार नहीं था। जो लगाए थे वह यहां से कारोबार समेटने की तैयारी में थे। कुछ ने तो समेट भी लिया था। इस बाबत अखिलेश यादव द्वारा किया जाने वाला कोई कुतर्क बेइमानी की श्रेणी में आता है। आप इसे उनकी मूर्खता भी कह सकते हैं।
रही बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली भाजपा सरकार की तो उनके अब तक के कार्यकाल में अब तक एक भी दंगे नहीं हुए। बेहतर कानून-व्यवस्था और विश्व स्तरीय बुनियादी सविधाओं के नाते आज माहौल बदल चुका है। निवेश के आंकड़े इसके सबूत हैं। भाजपा की मौजूदा सरकार के हर क्षेत्र में रिकॉर्ड परफॉर्मेंस के नाते देश ही नहीं दुनियां का परसेप्शन उत्तर प्रदेश के बारे में बदल चुका है। अब यह निवेशकों की निवेश की सबसे पसंदीदा जगह बन चुका है।
उत्तर प्रदेश
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई
नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।
पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।
हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।
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