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प्रादेशिक

यूपी में तेजी से लोकप्रिय हो रही संस्कृत भाषा, 8 हजार से अधिक लोग कर रहे हैं ऑनलाइन क्‍लास

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लखनऊ। यूपी में संस्‍कृत भाषा को बढ़ावा देने की प्रदेश सरकार की मुहिम रंग ला रही है। खासकर युवाओं में संस्‍कृत भाषा सीखने का उत्‍साह काफी बढ़ा है। यूपी संस्‍कृत संस्‍थानम की शुरू की गई संस्‍कृत संभाषण प्रशिक्षण के जरिए संस्‍कृत सीखाने की मुहिम काफी कारगर साबित हो रही है। महज एक महीने में 8 हजार से अधिक लोगों ने संस्‍कृत की वर्चुअल कक्षाओं में अपना रजिस्‍ट्रेशन कराया है। संस्‍थान की ओर से रोजाना एक घंटा संस्‍कृत की कक्षाएं संचालित की जा रही हैं।

उत्तर प्रदेश संस्‍कृत संस्‍थान की ओर से संस्कृत बोलने, पढ़ने और सीखने के इच्छुक लोगों के लिए संस्कृत संभाषण प्रशिक्षण की सुविधा शुरू की है। सबसे खास बात यह है कि छात्र व संस्‍कृत सीखने के इच्‍छुक लोग मोबाइल फोन नंबर 9522340003 पर एक मिस काल एलर्ट के जरिए वर्चुअल कक्षा में अपना रजिस्‍ट्रेशन करा सकते हैं। इस सुविधा से संस्‍थान को काफी फायदा भी मिला है। बड़ी संख्‍या में युवा व छात्रों ने मिस काल के जरिए अपना रजिस्‍ट्रेशन वर्चुअल कक्षाओं के लिए कराया। इसमें जुलाई महीने में 8533 छात्रो व संस्‍कृत सीखने के इच्‍छुक लोगों ने अपना रजिस्‍ट्रेशन कराया और नियमित कक्षाएं कर रहे हैं।

संस्‍थान के मुताबिक वर्चुअल माध्‍यम से संस्‍कृत सीखने के इच्‍छुक लोगों के लिए 47 कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। इसमें शिक्षक ऑनलाइन संस्‍कृत की पाठशाला लगा रहे हैं। संस्‍थान के मुताबिक संस्‍कृत सीखने वालों में युवा वर्ग की संख्‍या अधिक है। शिक्षक रोजाना 1 घंटे की वर्चुअल कक्षाओं ले रहे हैं, जो पूरी तरह से निःशुल्क है।

उत्तर प्रदेश सरकार लगातार देव भाषा संस्कृत के प्रति लगाव पैदा करने और संस्कृत सीखने के इच्छुक लोगों को मौका देने में जुटी है। इसमें उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान बड़ी भूमिका निभा रहा है। संस्‍थान के अध्‍यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र के बहुत से लोग संस्‍कृत भाषा को सीखना चाहते हैं। खासकर नौकरी पेशा, डॉक्टर, इंजीनियर, व्यापारी वर्ग समय के अभाव के चलते संस्‍कृत सीखने का समय नहीं मिल पाते हैं। उनके लिए यह सेवा एक वरदान है। इससे जुड़ कर वही संस्कृत बोलने, पढ़ने निशुल्क प्रशिक्षण हासिल कर सकते हैं।

उन्‍होंने बताया कि पंजीकरण के लिए अभ्‍यर्थियों का बस एक गूगल फार्म भरना होगा। फार्म में उनको अपने व्यवसाय,नौकरी व पढ़ाई की जानकारी देना होगी। इसके बाद व्यवसाय के अनुरूप ग्रुपवार इसमें संस्कृत की पढ़ाई कराई जाएगी। उन्‍होंने बताया कि संस्कृत पढऩे के इच्छुक छात्रों को संस्कृत के ज्ञान के साथ ही नैतिक संस्कारों के बारे में जानकारी दी जाएगी। हिन्दी और अंग्रेजी के साथ छात्रों को संस्कृत में बोलना भी सिखाया जाएगा।

उत्तर प्रदेश

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई

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नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।

पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।

हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।

 

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