उत्तर प्रदेश
कंपनियों की सेहत सुधरने से बढ़ा उप्र का CSR, 12वें स्थान से पहुंचा 5वें स्थान पर
लखनऊ। कारपोरेट सोशल रिस्पान्सबिलिटी (CSR- Corporate Social Responsibility) फंड में उत्तर प्रदेश ने लंबी छलांग लगाई है। नौ साल में 12वें स्थान से सीधे पांचवें स्थान पर आ गया है। प्रदेश में CSR गतिविधियों में खर्च बढ़ने का सीधा संकेत है कि यहां की कंपनियों का मुनाफा बढ़ा है और CSR के दायरे में आने की वजह से इस मद में खर्च बढ़ा है।
प्रदेश में कारोबारी माहौल बनने के बाद कंपनियों की सेहत में सुधार हुआ है। इसी का नतीजा है कि CSR फंड बढ़ गया है। यूपी इस मामले में देश के शीर्ष पांच राज्यों में शामिल हो गया है। नौ साल पहले यूपी सीएसआर फंड प्राप्त करने की सूची में देश का 12वां राज्य था।
एक साल में यूपी में 1321 करोड़ रुपये CSR फंड के तहत सामाजिक कार्यों में खर्च किए गए। जबकि वर्ष 2015 में महज 148 करोड़ रुपये CSR में खर्च किए गए थे। देश में किसी भी कंपनी को अपना व्यापार करने के लिए कंपनीज एक्ट 2013 के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है। हर कंपनी CSR के दायरे में नहीं आती।
प्राइवेट लिमिटेड या पब्लिक लिमिटेड कंपनी, जिनका एक हजार करोड़ रुपये का टर्न ओवर या एक साल में पांच करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ है, उन्हें अपने औसत शुद्ध लाभ का कम से कम दो प्रतिशत CSR गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य है।
इस फंड का इस्तेमाल पर्यावरण सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबा उन्मूलन, आपदा राहत, सामाजिक न्याय आदि क्षेत्रों में किया जा सकता है। साफ है कि CSR फंड तभी बढ़ता है, जब कंपनियों की आय बढ़ती है। प्रदेश में CSR गतिविधियों में खर्च बढ़ने का सीधा संकेत है कि यहां की कंपनियों का मुनाफा बढ़ा है और CSR के दायरे में आने की वजह से इस मद में खर्च बढ़ा है।
पिछले नौ साल में CSR फंड व्यय करने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश 12वें स्थान से 5वें स्थान पर पहुंच गया है। 5229 करोड़ के साथ महाराष्ट्र पहले, 1761 करोड़ के साथ कर्नाटक दूसरे, 1554 करोड़ के साथ गुजरात तीसरे और 1371 करोड़ के साथ तमिलनाडु चौथे स्थान पर है।
राज्य फंड
महाराष्ट्र 5229.31 करोड़
कर्नाटक 1761.39 करोड़
गुजरात 1554.16 करोड़
तमिलनाडु 1371.91 करोड़
उत्तर प्रदेश 1321.36 करोड़
दिल्ली 1158 करोड़
राजस्थान 700.44 करोड़
यूपी में साल-दर-साल बढ़ा CSR
वर्ष फंड
2017-18 435.21 करोड़
2018-19 521.32 करोड़
2019-20 577.98 करोड़
2020-21 907.32 करोड़
2021-22 1321.36 करोड़
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग का गठन, पूर्व विधायक बैजनाथ रावत बने अध्यक्ष
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (SC-ST) आयोग का गठन किया गया है। इस आयोग का अध्यक्ष पूर्व विधायक बैजनाथ रावत को बनाया गया है जबकि बेचन राम और जीत सिंह खरवार को आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है। आयोग में 16 सदस्य भी बनाए गए हैं। राज्यपाल की एक्सेप्टेन्स के बाद आयोग के नए सदस्यों की लिस्ट जारी कर दी गई है। बैजनाथ रावत बाराबंकी के रहने वाले हैं जबकि उपाध्यक्ष बेचन राम पूर्व विधायक हैं और गोरखपुर के रहने वाले हैं।
एससी-एसटी आयोग के सदस्यों के नाम
हरेन्द्र जाटव- मेरठ
महिपाल वाल्मीकि- सहारनपुर
संजय सिंह-बरेली
दिनेश भारत- आगरा
शिव नारायण सोनकर-हमीरपुर
नीरज गौतम-औरेया
रमेश कुमार तूफानी-लखनऊ
नरेन्द्र सिंह खजूरी-मेरठ
तीजाराम- आजमगढ़
विनय राम- मऊ
अनिता गौतम- गोंडा
रमेश चन्द्र- कानपुर
मिठाई लाल- भदोही
उमेश कठेरिया-बरेली
जितेन्द्र कुमार-कौशाम्बी
अनिता कमल-अम्बेडकरनगर
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