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प्रादेशिक

वाराणसीः कानून व्यवथा को चाक-चौबंद रखने के लिए लगे फेस रिकाग्निशन कैमरे, पीएम मोदी आज करेंगे उद्घाटन

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वाराणसी। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सूबे की कानून व्यस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में सरकार ने वाराणसी में फेस रिकाग्निशन कैमरे लगवाए हैं। ये कैमरे किसी भी हालात में अपराधी की पहचान कर सकेंगे। ये सीसीटीवी कैमरे काफी यातायात और कानून व्यवस्था को बनाए रखने में पुलिस के लिए काफी मददगार साबित होंगे।

वाराणसी में फेस रिकाग्निशन वाले कैमरे लग चुके हैं, जो अपराधी की पहचान कर सकेंगे। ये कैमरे इतने कारगार हैं कि अपराधियों की कई साल पुरानी फोटो से भी चेहरे का मिलान कर सकेंगे। यदि अपराधी वेश बदलने में माहिर है तो भी इन हाईटेक कैमरों से बच नहीं पाएगा। वीडियो एनालिटिक्स के माध्यम से पूरे जिले के चप्पे-चप्पे पर नज़र रखी जाएगी। लाखों की भीड़भाड़ हो या धुंध हो ये कैमरे शातिर अपराधियों की पहचान करने में सक्षम हैं।

वाराणसी स्मार्ट सिटी लिमिटेड के मुख्य महाप्रबंधक प्रोजेक्ट्स एंड कोआर्डिनेशन डॉ. डी. वासुदेवन ने बताया कि 500 किलोमीटर तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया है। 720 अलग-अलग जगहों पर 2200 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं। इसमें 22 कैमरे फेस रिकाग्निशन वाले हैं। जरूरत के हिसाब से इसकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। शहर की विभिन्न गतिविधियां रियल टाइम रिकॉर्ड होंगी, जो सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। 34.70 करोड़ की लगात से यह योजना पूरी हुई है।

डॉ. डी. वासुदेवन ने बताया कि डाटा बेस में मौजूद फ़ोटो का कैमरे से कैप्चर फोटो से मिलान किया जाएगा। इसके बाद विशेष पहचान कोडिंग और नाम से अपराधी का पता चल जाएगा। कैमरे करीब 7.5 मीटर की दूरी से अपराधियों की पहचान कर लेगा और काशी इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल रूम के सिस्टम में बैठे एक्सपर्ट पुलिस कर्मियों को सूचना देगा। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को वाराणसी के दौरे में करेंगे।

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उत्तर प्रदेश

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई

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नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।

पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।

हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।

 

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