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‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’, सुब्रमण्यन स्वामी की ममता बनर्जी से मुलाक़ात

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नई दिल्ली। सियासी गलियारों में बीजेपी के पूर्व सांसद सुब्रमण्यन स्वामी को ऐसा नेता माना जाता है जो अपनी ही पार्टी की खिलाफत करने से नहीं चूकता। सभी जानते है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पीएम नरेन्द्र मोदी के बीच छत्तीस का आंकड़ा है लेकिन सुब्रमण्यन स्वामी अक्सर ममता की तारीफ़ कर भाजपा के लिए परेशानी पैदा करते रहते हैं।

इसी क्रम में उन्होंने ममता बनर्जी के साथ एक मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर डाली। वह कल गुरुवार को कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिले। उन्हें करिश्माई नेता बताते हुए मुलाकात की तस्वीर भी ट्वीट की। इसके बाद अटकलें तेज हो गई कि कहीं स्वामी अब टीएमसी का दामन तो नहीं थामने जा रहे।

‘ममता करिश्माई नेता और साहसी व्यक्ति’

सुब्रमण्यन स्वामी ने गुरुवार को ट्वीट किया, ‘आज मैं कोलकाता में था और करिश्माई नेता ममता बनर्जी से मिला। वह एक साहसी शख्स हैं। मैंने सीपीएम के खिलाफ उनकी लड़ाई की प्रशंसा की, जिसमें उन्होंने कम्युनिस्टों का सफाया कर दिया था।’

मोदी सरकार पर स्वामी के हमले जारी

सुब्रमण्यन स्वामी पिछले काफी समय से मोदी सरकार पर हमलावर हैं। वह कभी मंदिरों पर सरकार के नियंत्रण को लेकर तो कभी एलएसी पर चीन की आक्रामकता तो कभी अर्थव्यवस्था को लेकर अपनी ही पार्टी की सरकार को कठघरे में खड़ा करते दिख रहे हैं।

ममता को करिश्माई नेता बताने के अगले दिन शुक्रवार को उन्होंने बिना किसी का नाम पर इशारों हमला किया। उन्होंने ट्वीट किया कि हिंदू दो तरह के होते हैं- एक भगवान राम की तरह और दूसरे राक्षस रावण की तरह। मंदिरों पर सरकार के नियंत्रण का मतलब है कि आप रावण वाले हिंदू हैं।

बीजेपी में अब चुनाव नहीं होता

सुब्रमण्यन स्वामी ने बीजेपी संसदीय बोर्ड के पुनर्गठन को लेकर गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा था। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले संसदीय बोर्ड में पदाधिकारियों को भरे जाने के लिए चुनाव होते थे। पार्टी संविधान के हिसाब से यह जरूरी होता था लेकिन आज बीजेपी में कोई चुनाव नहीं होता। हर पद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंजूरी से नेताओं को मनोनीत किया जाता है।

जेपी और राजीव गांधी से कर चुके हैं ममता बनर्जी की तुलना

स्वामी की तरफ से बीजेपी और मोदी सरकार की लगातार आलोचना और ममता बनर्जी की तारीफ के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। वैसे यह कोई पहली बार नहीं है जब स्वामी ने दीदी की तारीफ की है। पिछले साल नवंबर में उन्होंने ट्वीट करके ममता बनर्जी की तारीफ की और उन्हें जेपी और राजीव गांधी के कद का नेता बताया था।

ममता में स्वामी को दिख रहे दुर्लभ गुण

तब स्वामी ने ट्वीट किया था, ‘मैं जितने भी राजनेताओं से मिला या उनके साथ काम किया, उनमें से ममता बनर्जी जेपी, मोरारजी देसाई, राजीव गांधी, चंद्रशेखर, और पीवी नरसिंह राव के कद की हैं। इन नेताओं की कथनी और करनी समान थी। भारतीय राजनीति में यह दुर्लभ गुण है।’

क्या यशवंत सिन्हा के इस्तीफे से खाली जगह को भरेंगे स्वामी?

लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने वाली ममता बनर्जी अब टीएमसी का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने की कोशिशों में हैं। वह बंगाल से इतर दूसरे राज्यों में अन्य पार्टियों के नेताओं को टीएमसी में जगह दे रही हैं।

उसी कड़ी में दीदी ने कभी बीजेपी के कद्दावर नेता रहे यशवंत सिन्हा को पार्टी में शामिल कराया था लेकिन विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के बाद उन्होंने टीएमसी से इस्तीफा दे दिया था। सवाल ये है कि क्या स्वामी अब सिन्हा की जगह लेंगे?

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उत्तर प्रदेश

दूसरे दिन के सर्वे के लिए ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंची, कृष्ण कूप का किया निरीक्षण

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संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम लगातार दूसरे दिन भी सर्वे करने पहुंची। ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंच गई है। अब यहां पर ASI की टीम सर्वे का काम कर रही है। ASI की टीम के साथ प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद हैं। आज सर्वे का काम कृष्ण कूप में किया जाना है, जो कल्कि मंदिर के मेन गेट के पास है। बताया जा रहा है कि ये कृष्ण कूप संभल के जामा मस्जिद के पास से महज 500 मीटर की दूरी पर है। कृष्ण कूप चारों तरफ दीवारों से घिरा हुआ है। इसके चारों तरफ 5 फीट ऊंची दीवार बनी हुई है। इसके साथ ही कूप के अंदर झाड़ियां और गंदगी फैली हुई है।

संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि आर्कियोलॉजी की टीम आई थी। यहां पर एक प्राचीन कृष्ण कूप है। जिसका काल निर्धारण होना है। वह कितना पुराना है। उसी का निरीक्षण किया है। टीम ने कल्की मंदिर के भी दर्शन किए हैं। यह टीम लगभग 15 मिनट यहां पर रुकी है।
कल्कि मंदिर के पुजारी महेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां पर एक टीम आई थी। उन्होंने एक कुआं देखा। वह कोने पर है। टीम परिसर में घूमी और मंदिर के अंदर की फोटो ली। मैंने उनसे कहा कि इस कार्य को मैं पुनर्जीवित करवाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मंदिर है। एक हजार वर्ष का नक्शा, उसमें यह मंदिर दिखाया गया है। जो हरि मंदिर है उसके अन्दर यह मंदिर बना है।

ज्ञात हो कि जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने संभल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए एएसआई निदेशक को पत्र भेजकर सर्वे कराने की मांग की थी। इसके बाद एएसआई की टीम ने संभल में प्राचीन धार्मिक स्थलों और कुओं का सर्वे शुरू किया। डीएम ने कहा था कि संभल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। 19 कूप और पांच तीर्थों का एएसआई की टीम ने सर्वे किया है। यह सर्वे करीब 9 घंटे तक चला है।

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