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मुख्य समाचार

योगी सरकार ने पश्चिमी यूपी में सपा सरकार से करीब ढाई गुना अधिक किया भुगतान

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर पिछली कई सरकारों से चली आ रही परिपाटी को बदल दिया है। पहले की अपेक्षा अब गन्ना किसानों को समय पर भुगतान हो रहा है। साथ ही साल दर साल चलने वाली पेंडेंसी पर भी विराम लगा है। पश्चिमी यूपी में सपा सरकार से दुगुने से ज्यादा योगी सरकार ने गन्ना मूल्य का भुगतान किया है। पिछले पौने पांच साल में चीनी मिलें भी अपडेट हुईं हैं। अब वही गन्ना पश्चिमी यूपी में मिठास घोल रहा है।

देश में गन्ना और चीनी उत्पादन में प्रदेश न सिर्फ पहले पायदान पर है, बल्कि सीएम योगी ने गन्ना किसानों को पिछली सरकारों की तुलना में ज्यादा भुगतान भी किया है। अब तक सरकार की ओर से प्रदेश में गन्ना किसानों को करीब डेढ़ लाख करोड़ से ज्यादा का भुगतान किया है। पश्चिमी यूपी के सहानपुर, मेरठ, मुरादाबाद और बरेली मंडल में पिछली सरकार ने वर्ष 2012-17 के बीच करीब 39,738 करोड़ रुपए का भुगतान किया था। जबकि योगी सरकार ने 2017 से 29 दिसंबर 2021 तक 95,650 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। यानि योगी सरकार ने गन्ना किसानों को पिछली सरकार से करीब ढाई गुना भुगतान किया है। समय से किसानों को पेमेंट मिलने के कारण काफी हद तक किसानों की समस्याएं भी दूर हुई हैं।

फर्क साफ है: पश्चिमी यूपी में गन्ना भुगतान के आंकडे दे रहे गवाही

पश्चिमी यूपी में गन्ना भुगतान की तुलना पिछली सरकार से करने पर फर्क साफ हो जाता है कि योगी सरकार ने भुगतान में कोई कोताही नहीं बरती है। योगी सरकार ने पश्चिमी यूपी में 2017 से 2021 दिसंबर तक सबसे ज्यादा मुरादाबाद मंडल में 30,645.67 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। जबकि सपा सरकार में 18,521.03 करोड़ का ही भुगतान हुआ था। इसी तरह सहारनपुर मंडल में 25,564.02 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। जबकि सपा सरकार में 14,628.09 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था। योगी सरकार ने तीसरे नंबर पर मेरठ मंडल में 22,455.73 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। जबकि सपा सरकार ने 13,324.50 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था।

गन्ना मूल्य भुगतान में प्रदेश में पिछले सारे रिकार्ड टूटे

योगी सरकार ने पूरे प्रदेश में पेराई सत्र 2021-22 में 4,907.98 करोड़, 2020-21 में 30,547.23 करोड़, पेराई सत्र 2019-20 में 35,898.85 करोड़, 2018-19 में 33,048.06 करोड़ और 2017-18 के 35,444.06 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। साथ ही पिछले पेराई सत्रों का 10,661.38 करोड़ सहित अब तक कुल 1,50,508 करोड़ का गन्ना मूल्य भुगतान कराया है, जो वर्ष 2012 से 2017 के बीच गन्ना मूल्य भुगतान के मुकाबले 55,293 करोड़ और वर्ष 2007 से 2012 के बीच गन्ना मूल्य भुगतान के मुकाबले 98,377 करोड़ अधिक है।

पश्चिमी यूपी का मंडलवार भुगतान

मंडल 2012-17 2017 से 29 दिसंबर 2021 तक
सहारनपुर 14,628.09 25,564.02
मेरठ 13,324.50 22,455.73
मुरादाबाद 18,521.03 30,645.67
बरेली 9,934.80 16,985.24
कुल 39738.42 95650.66

(नोट- धनराशि करोड़ में है)

उत्तर प्रदेश

दूसरे दिन के सर्वे के लिए ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंची, कृष्ण कूप का किया निरीक्षण

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संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम लगातार दूसरे दिन भी सर्वे करने पहुंची। ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंच गई है। अब यहां पर ASI की टीम सर्वे का काम कर रही है। ASI की टीम के साथ प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद हैं। आज सर्वे का काम कृष्ण कूप में किया जाना है, जो कल्कि मंदिर के मेन गेट के पास है। बताया जा रहा है कि ये कृष्ण कूप संभल के जामा मस्जिद के पास से महज 500 मीटर की दूरी पर है। कृष्ण कूप चारों तरफ दीवारों से घिरा हुआ है। इसके चारों तरफ 5 फीट ऊंची दीवार बनी हुई है। इसके साथ ही कूप के अंदर झाड़ियां और गंदगी फैली हुई है।

संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि आर्कियोलॉजी की टीम आई थी। यहां पर एक प्राचीन कृष्ण कूप है। जिसका काल निर्धारण होना है। वह कितना पुराना है। उसी का निरीक्षण किया है। टीम ने कल्की मंदिर के भी दर्शन किए हैं। यह टीम लगभग 15 मिनट यहां पर रुकी है।
कल्कि मंदिर के पुजारी महेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां पर एक टीम आई थी। उन्होंने एक कुआं देखा। वह कोने पर है। टीम परिसर में घूमी और मंदिर के अंदर की फोटो ली। मैंने उनसे कहा कि इस कार्य को मैं पुनर्जीवित करवाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मंदिर है। एक हजार वर्ष का नक्शा, उसमें यह मंदिर दिखाया गया है। जो हरि मंदिर है उसके अन्दर यह मंदिर बना है।

ज्ञात हो कि जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने संभल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए एएसआई निदेशक को पत्र भेजकर सर्वे कराने की मांग की थी। इसके बाद एएसआई की टीम ने संभल में प्राचीन धार्मिक स्थलों और कुओं का सर्वे शुरू किया। डीएम ने कहा था कि संभल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। 19 कूप और पांच तीर्थों का एएसआई की टीम ने सर्वे किया है। यह सर्वे करीब 9 घंटे तक चला है।

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