उत्तर प्रदेश
योगी सरकार 2.0: 100 दिन का रिपोर्ट कार्ड पेश, CM बोले- उपचुनाव में जीत जनविश्वास का प्रतीक
लखनऊ। उप्र में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने लगातार दूसरी बार 25 मार्च, 2022 को शपथ ली थी। कल रविवार को सरकार का 100 दिन का कार्यकाल पूरा हो गया। अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रेस कांफ्रेस कर सरकार की उपलब्धियों को जनता के सामने रखा। इस मौके पर उन्होंने एक पुस्तक का भी विमोचन किया।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन जनता की सेवा, सुरक्षा और सुशासन को समर्पित रहे हैं। यही कारण है कि पहले विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत, फिर विधान परिषद चुनाव में जीत और अभी हाल ही में आजमगढ़ और रामपुर में हुए लोकसभा उपचुनाव में भाजपा की जीत सरकार पर जनविश्वास का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने जनता से जो भी वादे किए हैं वो पूरे किए। अब हम प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर की बनाने के लिए काम कर रहे हैं। जिससे कि उत्तर प्रदेश देश का ग्रोथ इंजन बन सके। प्रदेश को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा हमने 10 सेक्टरों को सूचीबद्घ किया जिसकी जिम्मेदारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। जिससे कि निवेश से लेकर विकास के हर क्षेत्र में प्रदेश तेजी से आगे बढ़ सके।
प्रदेश में 844 करोड़ रुपये पेशेवर अपराधियों व माफियाओं की संपत्ति जब्त की है। उन्होंने कहा कि 2017 के बाद से अब तक करीब 2925 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति जब्त की गई है। यह सरकार की अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति का परिणाम है।
पिछले पांच साल में प्रदेश में कानून का राज स्थापित हुआ है। पहले प्रदेश दंगा और अराजकता के लिए जाना जाता था पर भाजपा सरकार में एक भी दंगा नहीं हुआ है।
पिछले पांच साल में प्रदेश की जीडीपी दोगुना हुई है साथ ही प्रति व्यक्ति आय भी दोगुना के करीब हुई है। 2017 के पहले प्रदेश का बजट करीब तीन लाख करोड़ था जो कि अब 6 लाख 15 हजार करोड़ हो चुका है। बजट में सरकार के 97 संकल्पों को लागू किया गया है।
धार्मिक स्थलों से अनावश्यक लाउडस्पीकर हटाए गए हैं। यह बिना किसी विवाद के हुआ है। किसी भी धार्मिक त्योहार में सड़कों पर कोई आयोजन नहीं हुआ।
प्रदेश में पहली बार निवेश का माहौल बना है। प्रदेश में 80 हजार करोड़ रुपये की करीब 1400 परियोजनाओं का शिलान्यास किया। प्रदेश में डाटा सेंटर हब बन रहा है।
प्रदेश में नई डाटा सेंटर नीति लागू की। सूबे में चार डाटा सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों का भी ध्यान रखा और ई-पेंशन सेवा शुरू की।
प्रदेश में एक लाख 20 हजार से अधिक लाउडस्पीकर हटाए गए या उनकी आवाज कम की गई। यह बिना शोरगुल के हुआ। यह जनविश्वास का प्रतीक है।
प्रदेश में कोई भी सार्वजनिक कार्यक्रम सड़कों पर नहीं हुआ है। चाहे अलविदा की नमाज हो या कोई अन्य कार्यक्रम। ये सरकार के प्रति जनता के विश्वास को दर्शाता है। मुख्यमंत्री योगी ने जनता के सामने रिपोर्ट कार्ड रखा।
6 से 15 जुलाई तक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक सहित सभी मंत्री अपने-अपने विभाग की सौ दिन की उपलब्धियों के साथ आगामी कार्ययोजना प्रस्तुत करेंगे।
उत्तर प्रदेश
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई
नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।
पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।
हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।
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