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प्रादेशिक

यूपीः स्वतंत्रता दिवस की 75वी वर्षगांठ से पहले 75 महिला बंदियों को किया गया रिहा

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लखनऊ। स्वतंत्रता दिवस की 75वी वर्षगांठ पर प्रदेश की जेलों में निरुध्द कुल 75 सिद्धदोष महिला बंदियों की समयपूर्व रिहाई की गई, जिनमें से 54 महिला बन्दी रिहाई के बाद आज राजभवन में उपस्थित थीं, जिन्हें महामहिम राज्यपाल महोदया श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने उपहार और आशीर्वाद प्रदान किया। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने महिला बंदियों से यह संकल्प लिया कि वे रिहाई के उपरांत शेष जीवन में वे घर परिवार तथा समाज को मजबूत करने के लिए सृजनात्मक कार्य करेंगी तथा दहेज़ जैसी अन्य सामाजिक बुराइयों के प्रति समाज को जागरूक करने का कार्य भी करेंगी।

कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव गृह ,श्री अवनीश अवस्थी, अपर मुख्य सचिव राजभवन श्री महेश कुमार गुप्ता,डी जी जेल श्री आनन्द कुमार सहित कारागार मुख्यालय के सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश अवस्थी ने समारोह में बोलते हुए कारागार विभाग द्वारा अर्जित उपलब्धियों तथा बन्दी सुधार कार्यों के लिए श्री आनन्द कुमार डी जी जेल की खुले हृदय से भूरी भूरी प्रशंसा की .उन्होंने राज्यपाल महोदय को जेल में चल रहे बंदी सुधार और पुनर्वास के अनेक कार्यों से अवगत भी कराया।

डीजी जेल श्री आनंद कुमार ने महिला बन्दियों की रिहाई के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी तथा अपर मुख्य सचिव श्री अवनीश अवस्थी जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की. कारागार विभाग में प्रमोशन, नियुक्ति, सुधार और विकास कार्यों हेतु विशेष रुचि लेने के लिए भी आभार व्यक्त किया, उन्होंने अवगत कराया कि कोरोना काल में बंदियों ने 28 लाख मास्क बनाए जिसे अनेक अस्पतालों तथा सरकारी विभागों को तब दिया गया जब बाज़ार में मास्क आसानी से उपलब्ध नहीं थे।

जेलों में कोरोना संक्रमण के प्रति पूरी सतर्कता बरते जाने से पहली और दूसरी लहर में जनसंख्या के लिहाज से भारी ओवर क्राउडिंग की चुनौती के बाद भी जनहानि को लगभग नगण्य स्तर पर रखने में सफलता मिली। यह भी बताया कि युद्धस्तर पर टीकाकरण अभियान चलाकर 14 लाख की बन्दी आबादी में से 92,000 बन्दियों को कोविड की पहली डोज़ तथा 20,000 बन्दियों को दोनों डोज़ दी जा चुकी है। अंत में उन्होंने महिला बन्दियों की समयपूर्व रिहाई हेतु प्रेरित करने व उन्हे राजभवन बुलाकर आशीर्वाद प्रदान करने हेतु माननीय राजयपाल महोदया के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन श्री वी पी त्रिपाठी प्रभारी अपर महानिरीक्षक कारागार ने किया।

उत्तर प्रदेश

लखनऊ में बाघ का आतंक : वन विभाग ने पकड़ने के लिए किए तरह – तरह के उपाय, नहीं आ रहा है हाथ

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लखनऊ। रहमानखेड़ा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ ने एक और पड़वे (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। यह बाघ का 15वां शिकार है। बाघ ने वन विभाग को एक बार फिर चकमा देते हुए जंगल में उसी जगह शिकार किया जहां उसको फंसाने के लिए गड्ढा खोदा गया है। जंगल के जोन एक के बेल वाले ब्लॉक में वन विभाग ने 15 फीट गहरा गड्ढा खोद झाड़ियों से ढक दिया है ताकि बाघ शिकार करने का प्रयास करें तो गहरे गड्ढे में गिर जाए।

फिर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। यहीं एक पिंजरा भी लगाया गया है जिसमें पड़वे को बांधा गया था। हालांकि वन विभाग की सारी तरकीबें धरी रह गई हैं। मंगलवार भोर में बाघ ने पड़वा को अपना निवाला बनाया। न वो पिंजरे में फंसा न गड्ढे में गिरा। सुबह जानकारी पर जांच करने पहुंची टीम को पड़वे का क्षतविक्षत शव मिला। मौके से बाघ के पगचिह्न भी मिले।

विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ 24 घंटे के अंदर अपने शिकार का बचा हुआ मांस खाने के लिए दोबारा आ सकता है। वन विभाग की टीम ने बाघ की तलाश में मीठेनगर, उलरापुर और दुगौली के आसपास मौजूद जंगल में डायना और सुलोचना हथिनियों से कॉम्बिंग की लेकिन उसका पता नहीं लगा। शिकार की जानकारी पर अपर मुख्य वन संरक्षक रेणू सिंह ने टीम लीडर आकाशदीप बधावन व डीएफओ सितांशु पांडेय के साथ शिकार स्थल का जायजा लिया। यहां सक्रिय टीम को मृत पड़वे के पास निगरानी करने का निर्देश दिए।

तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही नो- गो- जोन में कर रही शोर गुल

वन विभाग ने रहमान खेड़ा में नो-गो जोन घोषित किया है। इसके बावजूद वन विभाग के ही 30 से ज्यादा वाहनों की हलचल यहां हर दिन रहती है। मंगलवार को दोपहर में अधिकारियों समेत वन विभाग टीम के करीब दो दर्जन चार पहिया वाहन कमांड ऑफिस के आस-पास खड़े थे। संस्थान के कर्मियों के वाहन व बसों की आवाजाही भी यहां रहती है। मचान व पिंजरों के पास भी वाहनों के साथ अधिकारी आ जा रहे हैं। इसी के चलते बाघ पकड़ में नहीं आ पा रहा है।

 

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