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प्रादेशिक

भाजपा सरकार के अथक प्रयासों का नतीजा है श्री काशी विश्वनाथ धाम का विस्तार – सिद्धार्थनाथ सिंह

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने आज समाजवादी पार्टी और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान पर जमकर हमला बोला। समाजवादी पार्टी द्वारा प्रसारित किये गए एक बयान, काशी विश्वनाथ धाम को समाजवादी सरकार की कैबिनेट ने पास किया था, इस पर सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव अपनी एक और प्रचंड हार से अब इतना ज्यादा बौखला गए हैं, कि उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा कि उन्होंने क्या काम किया था। आगे सिद्धार्थनाथ सिंह ने ये भी कहा कि कल को अगर अखिलेश यादव, चाँद पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति को ही “समाजवादी” बता दें तो ताजुब करने वाली बात नहीं होनी चाहिए , क्योंकि अब अखिलेश यादव बेतहाशा बौखला गए हैं।

सिद्धार्थनाथ सिंह ने समाजवादी पार्टी के द्वारा जारी किये गए बयान पर तथ्य प्रस्तुत करते हुए बताया कि 2012 से लेकर 2017 तक तत्कालीन उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की 5 साल की सरकार में काशी विश्वनाथ धाम के विस्तारीकरण, सौंदर्यीकरण अथवा पुनरुद्धार के सम्बन्ध में कैबिनेट में कभी कोई प्रस्ताव ना ही लाया गया,ना ही चर्चा की गयी।

राज्य सरकार के प्रवक्ता कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि दरअसल पूरी समाजवादी पार्टी और उनके मुखिया अखिलेश यादव के हाथ से 2022 का चुनाव पूरी तरह निकल गया है, इसी कारण भाजपा सरकार के द्वारा 5 वर्षों में किये जा रहे एक एक कामो का अब लोकार्पण हो रहा है , और इसी कारण माफ़ियावादी पार्टी बन चुकी समाजवादी पार्टी अब झूठवादी भी बन गई है , इसी का नया उदाहरण समाजवादी पार्टी और उनके अध्यक्ष अखिलेश यादव का आज का बयान है, बौखलाहट में अखिलेश यादव अब बेतहाशा झूठ बोलने लगे हैं ।

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उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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