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उत्तराखंड

अंकिता के दोस्त ने बताया- कमरे में पी थी शराब, फिर जबरन लगाने लगा गले

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अंकिता

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देहरादून। अंकिता भंडारी मर्डर केस में हर दिन नए खुलासा हो रहा है। इस केस के आरोपी और बीजेपी नेता के पुत्र पुलकित आर्य की एक-एक करतूत सामने आ रही है असल में अंकिता ने 17 सितंबर को ही ये फैसला कर लिया था कि वो 18 सितंबर को रिजॉर्ट से काम छोड़ देगी लेकिन 19 सितंबर को उस रिज़ॉर्ट में एक वीआईपी गेस्ट को आना था और रिजॉर्ट का मालिक पुलकित ये नहीं चाहता था कि अंकिता रिजॉर्ट से बाहर से जाए।

अंकिता के दोस्त पुष्प ने पूरी बातें बताई  करीब साल भर पहले की बात है। उस दौरान इंस्टाग्राम के ज़रिए पहली बार अंकिता को जाना और फिर धीरे-धीरे हमारी दोस्ती हो गई। कोरोना ने बहुत से लोगों की नौकरी छीन ली थी। अंकिता के पिता की भी नौकरी कोरोना की वजह से नौकरी चली गई। अंकिता की मम्मी आंगनवाड़ी में काम करती थीं। खुद अंकिता ने बारहवीं के बाद होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया था।

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उसका छोटा भाई दिल्ली में सीए की पढ़ाई कर रहा है। इसी साल अगस्त के शुरूआती दिनों की बात है। एक जॉब साइट पर मुझे वनंतरा रिजॉर्ट का ऐड दिखा।  इस रिजार्ट के लिए अलग-अलग पोस्ट पर फीमेल स्टाफ की ज़रूरत थी।

ये वो ऐड है, इसमें ये भी लिखा था कि सिर्फ वो लड़कियां यहां अप्लाई करें जो घर से बाहर रहने को तैयार हैं।उनके ठहरने के लिए यहां सारी सुविधाएं देने को भी कही गई थी। ये रिजॉर्ट अंकिता के घर से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर था। मुझे लगा ये अंकिता के लिए अच्छा होगा।

इसी के बाद मैंने पहली बार रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य उनके ऐड का हवाला देकर अंकिता की नौकरी की बात की। मगर पुलकित ने मुझजे ज्यादा बात नहीं की. उसने बस इतना कहा कि कैंडीडेट से कहो कि वो मुझसे डायरेक्ट बात करे।  इसके बाद अंकिता ने पुलकित से बात की थी।

अंकिता अपनी पहली नौकरी से बहुत खुश थी। इसलिए भी क्योंकि उसका घर यहां से करीब था। मगर तीन सितंबर को जब वो रिजॉर्ट पहुंची तो पाया कि वहां उसके अलावा इस बारे में जब उसने पुलकित से पूछा तो पुलकित ने बताया कि उसने होटल के सारे स्टाफ को कुछ वक्त पहले ही निकाल दिया है और अब नए स्टाफ की भर्ती कर रहा है। पुलकित ने बताया कि कुछ वक्त पहले यहां प्रियंका नाम की एक लड़की काम किया करती थी, लेकिन वो चोरी करते हुए पकड़ी गई।

इसीलिए उसने सभी स्टाफ को नौकरी से निकाल दिया। इसके बाद मुझे अंकिता ने बताया कि पुलकित ने सचमुच पुराने सभी स्टाफ को निकाल दिया है। सिवाए दो लोगों के.. एक सौरव और दूसरा अंकित सौरव रिजॉर्ट का मैनेजर है।

मगर असलीयत ये है कि वो पुलकित का ना सिर्फ बचपन का दोस्त है बल्कि दोनों ने साथ पढ़ाई भी की थी। अंकिता की ज्वाइनिंग के पहले हफ्ते में ही ऐसी ही एक पार्टी में एक गेस्ट ने शराब पीने के बाद अंकिता को जबरन गले लगाने की कोशिश की।

इस पर अंकिता ने उसी वक्त पुलकित से इसकी शिकायत की तब पुलकित ने उस गेस्ट को अंकिता के सामने खूब डांटा। ये देख कर तब अंकिता की नजर में पुलकित के लिए इज़्ज़त बढ़ गयी थी।

ज्वाइनिंग के दूसरे हफ्ते में पुलकित ने एक बार गेस्ट आने और कम कमरे होने की बात कहा और अंकिता को अपने साथ उसी इंटरकनेक्टेड रूम में शिफ्ट होने को कहा, ये दूसरी बार था। मगर इस बार पुलकित ने अंकिता के रूम में बैठ कर शराब पी, फिर अंकिता को जबरन गले लगाने की कोशिश की। अंकिता ने जब इसका विरोध किया तो अचानक पुलकित माफी मांगने लगा और फिर अपने कमरे में चला गया।

अंकिता को अहसास हो चुका था कि ये रिजॉर्ट नौकरी करने के लिए ठीक जगह नहीं है। उसने ये बात मुझसे भी कही थी। इसी रिजॉर्ट भी आयुष नाम का एक और स्टाफ था। वो अंकिता को बहन जैसा मानता था। अंकिता ने आयुष से कहा कि वो नौकरी छोड़ना चाहती है। उसे कोई और नौकरी दिला दो।

इसपर आयुष ने अपने पिता से बात की और फिर अंकिता की बात कराई। आयुष का घर रिजॉर्ट से बहुत ज्यादा दूर नहीं था। उसके पिता ने कहा कि ठीक है तुम हमारे घर पर एक कमरा लेकर रह लेना और मैं तुम हमारे घर पर एक कमरा लेकर रह लेना और मैं तुम्हें कहीं सुपरवाइजर की नौकरी दिला देंगे।

अंकिता ने 17 सितंबर को उसने पहली बार डिटेल में मुझसे चैट पर अपनी सारी बात बताई। 18 सितंबर को उसने रिजॉर्ट छोड़ने का फैसला कर लिया था मगर तभी उसे पुलकित ने कहा ने कहा कि 19 सितंबर को एक खास मेहमान रिजॉर्ट में आने वाले हैं  और वो कहीं नहीं जा रही।

इसी के बाद 18 सितंबर को अंकिता और पुलकित के बीच काफी झगड़ा हुआ। इसके बाद 18 सितंबर की रात साढ़े आठ बजे अंकिता ने मुझे फोन किया। तब भी शायद तीनों उसके आसपास थे। करीब 22 मिनट तक हमारी बात हुई। अंकिता परेशान थी। इसके बाद रात को मैंने अंकिता को कई बार फोन किया पर फोन बंद मिला।

आखिरी बार मैंने उस रात ढाई बजे अंकिता को कॉल किया था। तब भी फोन स्विच ऑफ था। इसके बाद मैंने उसी रात और अगले दिन बारी-बारी से पुलकित, अंकित और सौरव को फोन किया पर तीनों मुझे बातों में  उलझाते रहे।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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