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उत्तर प्रदेश

अयोध्या: जयघोष के साथ दीपोत्सव के लिए सजने लगे दीप, घाटों पर जुटे स्वयंसेवक 

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Ayodhya Deepotsav program

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घाट संख्या 10 पर उकेरी गई राम दरबार व रामायण कालीन आकृतियां

अयोध्या। छठवें दीपोत्सव के मद्देनजर राम की पैड़ी घाट पर दीप लगाने का कार्य शुक्रवार से शुरू हो गया। 2017 में दीपोत्सव की परिकल्पना करने वाले योगी आदित्यनाथ के दूसरे मुख्यमंत्रित्व काल के पहले दीपोत्सव को दिव्य-भव्य बनाने में हर कोई जुटा है। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां शामिल होंगे।

राम की पैड़ी के घाटों पर 5 हजार स्वयंसेवक कार्य में जुटे

दीपोत्सव को ऐतिहासिक बनाने के लिए शुक्रवार को प्रातः 10 बजे से राम की पैड़ी के घाटों पर स्वयंसेवकों ने जयघोष के साथ दीयों को बिछाना शुरू कर दिया। स्वयंसेवकों को घाटों पर ले जाने के लिए प्रातः 8 बजे विश्वविद्यालय परिसर से दर्जनों बसों को लगाया गया। जो कई राउंड में पांच हजार स्वयंसेवकों को लेकर राम की पैड़ी पर पहुॅची। यहां घाट समन्वयकों की देखरेख में दीपों को सजाने का कार्य शुरू किया गया।

वहीं दूसरी ओर घाट संख्या दस पर राम दरबार व रामायण कालीन आकृतियां उकेरी गई है। सभी स्वयंसेवक गले में दीपोत्सव पहचान-पत्र व सिर पर कैप लगाये रहे। बीच-बीच में स्वयंसेवकों द्वारा जयश्रीराम के उदघोष के साथ दीपोत्सव के प्रति इनका उत्साह देखते ही बन रहा है।

आज बिछा दिए जाएंगे दीप
23 अक्टूबर यानी छोटी दीपावली पर दीपोत्सव होगा। इसे यादगार बनाने के लिए 22 की दोपहर तक सभी घाटों पर लगभग 17 लाख दीये सज जायेंगे। दीपोत्सव नोडल अधिकारी व विवि सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रो0 अजय प्रताप सिंह ने बताया कि छठवें दीपोत्सव को ऐतिहासिक व भव्य बनाने के लिए सभी लोग एकजुट होकर प्रयास कर रहे हैं।

विश्वविद्यालय के उत्साहित स्वयंसेवकों द्वारा 37 घाटों पर दीयों को सजाने का काम शुरू कर दिया गया है। अगले दिन विश्वविद्यालय, सम्बद्ध महाविद्यालयों व स्वयंसेवी संस्थाओं के 22 हजार स्वयंसेवक तैनात रहेंगे। सभी स्वयंसेवक दीपोत्सव पहचान-पत्र के साथ घाट पर उपस्थित रहेंगे। बिना पहचान पत्र के स्वयंसेवकों को प्रवेश नहीं दिया जायेगा। दूसरे के पहचान-पत्र लेकर चलने पर कार्रवाई की जाएगी। प्रो. सिंह ने बताया कि घाट संख्या तीन के समीप चिकित्सकीय टीम तैनात कर दी गई है।

आज ही होगी दीयों की गणना
22 अक्टूबर को गिनीज बुक की टीम बिछाये गये दीयों की गणना करेगी। यह कार्य घाट समन्वयकों व ग्रुप लीडर की उपस्थिति में किए जायेंगे। घाटों की साफ-सफाई के लिए नगर निगम के स्वच्छता कर्मियों को तैनात किया गया है।

स्वयंसेवकों के लिए की गई है पूरी व्यवस्था
जलपान व भोजन समिति के डाॅ. राना रोहित सिंह के नेतृत्व में स्वयंसेवकों के लिए दीपोत्सव तक जलपान व भोजन की व्यवस्था की गई है। घाट समन्वयकों की उपस्थिति में स्वयंसेवकों को बारी-बारी से भोजन कराया जा रहा है। नोडल अधिकारी ने बताया कि 23 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश सरकार के दिए गए 15 लाख दीयों के जलाने का लक्ष्य बहुत आसानी से पूरा करेंगे।

इसके लिए स्वयंसेवकों द्वारा 17 लाख दीपों को लगाया व जलाया भी जायेगा। पुनः गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज करेंगे। राम की पैड़ी के सभी घाटों पर दीये बिछाने की निगरानी उप-नोडल अधिकारी डाॅ. संग्राम सिंह, घाट समन्वयकों व पदाधिकारियों की उपस्थिति में कराई जा रही है।

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उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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