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अमरिंदर सिंह को उप राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस को झटका दे सकती है भाजपा

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति पद के लिए आदिवासी महिला को प्रत्याशी बनाकर विरोधियों का भी मुंह बंद करने वाली भाजपा अब उप राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर भी कुछ अप्रत्याशित करने के मूड में है।

कहा जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को उप राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाकर भाजपा सिख समुदाय में एक बेहतर संदेश देने की कोशिश कर सकती है। भाजपा की इस रणनीति को कांग्रेस को एक और झटका देने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है।

इससे भाजपा को पंजाब में अपना आधार बढ़ाने में कुछ मदद मिल सकती है, तो इसके बदले में कैप्टन अमरिंदर सिंह को क्या मिल सकता है, इस पर अटकलें जारी हैं।

कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी ‘पंजाब लोक कांग्रेस’ का जल्द ही भाजपा में विलय हो सकता है। दोनों दलों के बीच इस पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। अगले कुछ दिनों में इस पर अंतिम फैसला किया जा सकता है।

दरअसल, कैप्टन अमरिंदर सिंह इस समय स्पाइन की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। उनका लंदन में ऑपरेशन हुआ है और इस समय वह आराम कर रहे हैं। उनका परिवार भी इस समय उनके साथ है। इस बीमारी से उबरने में उन्हें कुछ समय लग सकता है।

स्वास्थ्य कारणों से कैप्टन लंबे समय से अपनी पार्टी को समय नहीं दे पा रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भी वे पार्टी को बहुत सही तरीके से संचालित नहीं कर पाए और लंबे वक्त तक मुख्यमंत्री रह चुके कैप्टन अपनी पार्टी को पंजाब में एक मजबूत स्थिति में लाने में नाकाम रहे।

पार्टी ने एनडीए के गठबंधन में पंजाब की 28 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन किसी एक सीट पर भी उसके उम्मीदवार जीतने में असफल रहे। ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई।

उनकी सेहत को देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि आगे भी वे पार्टी को बहुत सक्रिय रूप से चला पाएंगे। इससे पार्टी और कार्यकर्ताओं, दोनों का भविष्य अंधेरे में पड़ गया है। कहा जा रहा है कि ऐसी स्थिति में अपने करीबी सलाहकारों की बात पर चलते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टी में कर देंगे।

उप राष्ट्रपति बनाने की चर्चा

चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी कैप्टन अमरिंदर सिंह को उप राष्ट्रपति उम्मीदवार बना सकती है। इससे भाजपा सिख समुदाय में एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश कर सकती है, जिसका लाभ उसे पंजाब विधानसभा के अगले चुनावों के दौरान हो सकता है।

वहीं, इससे वह कांग्रेस को एक मनोवैज्ञानिक झटका देने में भी सफल साबित हो सकती है। गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे व्यक्ति के उच्च सदन में सभापति होने से उसे लगातार असहज स्थिति में रखा जा सकता है।

किसान आंदोलन के समय से ही भाजपा खुद को सिख समुदाय का करीबी बताने की कोशिश करती रही है। इसके लिए कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुद्वारा रकाबगंज जाते हुए देखे गए, तो कभी पंजाब में पगडी पहने देखे गए। सिख गुरु के अवतरण दिवस पर कृषि कानूनों की वापसी को भी उनकी इसी कोशिश के रूप में देखा गया था।

कहा जा रहा है कि इसी कोशिश में भाजपा सिख समुदाय के किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति को उप राष्ट्रपति पद पर बिठा सकती है। हालांकि, इस दौड़ में कैप्टन अमरिंदर सिंह स्वास्थ्य कारणों से पीछे हैं, जबकि मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री हरदीप सिंह पुरी ज्यादा आगे माने जा रहे हैं।

करीबी ने किया इनकार

हालांकि, भाजपा के कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य कारणों से वे उप राष्ट्रपति जैसे बेहद जिम्मेदारी वाले पद को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हैं लेकिन पार्टी और कार्यकर्ताओं को एक दिशा देने के लिए उसका भाजपा में विलय किया जा सकता है।

बदले में भाजपा उनकी बेटी को राजनीति में स्थापित करने में उनकी मदद कर सकती है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के स्वदेश वापस आते ही और उनकी सेहत की स्थिति को देखकर इस पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है।

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शराब घोटाला: केजरीवाल के खिलाफ चलेगा केस, एलजी ने ईडी को दी मंजूरी

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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैँ। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ईडी को आबकारी नीति मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को ईडी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।

ईडी ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।

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