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सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा, बने रहेंगे केयरटेकर सीएम

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत समस्त कैबिनेट ने शुक्रवार को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को इस्तीफ़ा सौंप दिया है। बता दें कि सीएम योगी का पहला कार्यकाल समाप्त हो रहा है। हालांकि जब तक नई विधानसभा का गठन नहीं हो जाता तब तक वह केयरटेकर सीएम के तौर पर बने रहेंगे।

सीएम योगी ने लिखी नई इबारत

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए यह गुरुवार नई इबारत लिखने वाला दिन साबित हुआ। आज के दिन विधानसभा चुनावों की मतगणना के वक्त जब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) खोली गईं तो यूपी की सियासत में नई इबारत लिखने और कई मिथक तोड़ने वाले दावे निकले। और यह भी पता चला कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 37 साल बाद भारतीय जनता पार्टी को यूपी की सत्ता पर लगातार दूसरी बार काबिज करने का इतिहास बना दिया है। 37 साल पहले कांग्रेस ने बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्धारित पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करते हुए फिर से भाजपा की सत्ता में वापसी कराते हुए पार्टी को ऐतिहासिक तोहफा दिया है। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूपी में भाजपा के ऐसे पहले नेता हो गए हैं जो लगातार दूसरी बार सीएम बनेंगे।

यूपी में ऐसी उपलब्धी डॉ. संपूर्णानंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह और मायावती भी हासिल नहीं कर सकीं। यूपी के राजनीतिक इतिहास के अनुसार, प्रदेश में 1951-52 के बाद से अब तक डॉ. संपूर्णानंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव और मायावती मुख्यमंत्री बने, लेकिन इन्हें यह मौका दो अलग-अलग विधानसभाओं के लिए मिला। मुलायम सिंह यादव और मायावती दो बार से अधिक बार यूपी की सीएम बनी पर इन नेताओं ने भी वह उपलब्धि हासिल नहीं की जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खाते में दर्ज हो गई है। पूरे देश में इस उपलब्धि को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का डंका बज रहा है। वैसे भी देश के राजनेताओं की सूची में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले नंबर पर हैं।

रिकॉर्ड बनाना योगी की फितरत

दरअसल नम्बर एक पर रहना उनकी फितरत है। करीब ढाई दशक पहले जब वह उत्तर भारत की प्रमुख पीठों में शुमार गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बने तभी वह देश के रसूखदार लोगों में शामिल हैं। इसके बाद से तो उनके नाम रिकार्ड जुड़ते गये। मसलन 1998 में जब वह पहली बार सांसद चुने गये तब वह सबसे कम उम्र के सांसद थे। 42 की उम्र में एक ही क्षेत्र से लगातार 5 बार सांसद बनने का रिकॉर्ड भी उनके ही नाम है। मुख्यमंत्री बनने के पहले सिर्फ 42 वर्ष की आयु में एक ही सीट से लगातार पांच बार चुने जाने वाले वह देश के इकलौते सांसद रहे हैं। चार महीने बाद ही दुबारा वह सिरमौर बने। यकीनन ये सिलसिला जारी रहेगा, क्योंकि इसके लिये वह अथक परिश्रम करते हैं।

टूट गया नोएडा का मिथक

यूपी की राजनीति में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बने इस इतिहास के साथ ही कई मिथक धाराशायी हुए है। प्रदेश की राजनीति में अब तक माना जाता रहा है कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित नहीं रहती है। उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती। इस कारण कुछ मुख्यमंत्री तो नोएडा जाने से बचते रहे। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव तो नोएडा जाने से परहेज करते रहे। नोएडा में उद्घाटन या शिलान्यास के कार्यक्रम को लेकर वहां जाने की जरूरत पड़ी, तो अखिलेश यादव ने नोएडा न जाकर अगल-बगल या दिल्ली के किसी स्थान से इस काम को पूरा किया। इसके विपरीत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नोएडा जाने से डरने के बजाय वहां कई बार गए। उन्होंने नोएडा जाने के बाद भी लगातार पांच साल मुख्यमंत्री रहकर और भाजपा को बहुमत से साथ फिर सत्ता में वापसी करते हुए इस मिथक को तोड़ दिया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अयोध्या में राममंदिर में पूजा करने जाने को लेकर भी नेताओं का मिथ तोडा है। पहले अयोध्या जाकर भी तमाम नेता राममंदिर जाने से परहेज करते थे। अब हर नेता राममंदिर में पूजा करने का रहा है।

यूपी के इतिहास पर नजर डाले तो पता चलता है कि नोएडा का यह मिथक वर्ष 1988 से शुरू हुआ था। वर्ष 1988 में राजनीति में सक्रिय नेता नोएडा जाने से बचने लगे, क्योंकि यह कहा जाने लगा था कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है। तब वीर बहादुर सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। वे नोएडा गए और संयोग से उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी चली गई। नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया गया। वे 1989 में नोएडा के सेक्टर-12 में नेहरू पार्क का उद्घाटन करने गए। कुछ समय बाद चुनाव हुए, लेकिन वे कांग्रेस की सरकार में वापसी नहीं करा पाए। इसके बाद कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव के साथ भी ऐसा ही हुआ कि वे नोएडा गए और कुछ दिन बाद संयोग से मुख्यमंत्री पद छिन गया। राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे तो उन्हें नोएडा में निर्मित एक फ्लाई ओवर का उद्घाटन करना था। पर, उन्होंने नोएडा की जगह दिल्ली से उद्घाटन किया। अखिलेश यादव ने भी पांच साल मुख्यमंत्री रहते हुए नोएडा जाने से परहेज किया। जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। वह पांच वर्षों के कई बार नोएडा गए और उन्होंने ने नोएडा को कई सौगतें दी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह साबित किया है कि जनता के दुखदर्द का निदान करने का जो सरकार कार्य करती है, वह फिर सत्ता में आती है। और यह उपलब्धि ऐसे ही नहीं हासिल हुई है, इसके लिए मुख्यमंत्री ने दो सौ से ज्यादा जनसभाएं और रोड शो किए। एक दिन में सात सात जनसभाएं की। इतनी जनसभाएं अखिलेश यादव और मायावती और प्रियंका गांधी तक ने नहीं की।

 

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गौतम अदाणी के छोटे बेटे जीत का विवाह अगले महीने सात फरवरी को, किसी सेलिब्रिटी को नहीं दिया न्यौता

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प्रयागराज। अरबपति कारोबारी गौतम अदाणी के छोटे बेटे जीत का विवाह अगले महीने सात फरवरी को होगी। यह शादी सादे समारोह में की जाएगी। जानकारी के अनुसार, इस शादी में किसी सेलिब्रिटी को न्यौता नहीं दिया जाएगा। प्रयागराज महाकुंभ में गंगा स्नान करने अपने परिवार के साथ मंगलवार को आए अदाणी ने अपने बेटे जीत की शादी सूरत के हीरा व्यापारी जैमिन शाह की बेटी दिवा शाह से किए जाने के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह एक बहुत सामान्य विवाह होगा जैसे आम लोग करते हैं।

त्रिवेणी संगम में परिवार के साथ की गंगा आरती

गौतम अदाणी ने प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में परिवार के साथ गंगा आरती के बाद कहा कि मेरा लालन पालन आम लोगों की तरह हुआ है। मां गंगा के आशीर्वाद से जीत भी यहां है। यह विवाह एक सामान्य और पारंपरिक ढंग से होगा। उन्होंने कहा कि शादी में सिर्फ परिवार के लोग ही शामिल होंगे। उनके साथ उनकी पत्नी प्रीति अदाणी, बेटे करन और जीत, बहू परिधि और पोती कावेरी भी साथ थी।

महाकुंभ में अदाणी परिवार ने इस्कॉन में महाप्रसाद सेवा में प्रतिभाग करने के बाद हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना की। इस महाप्रसाद सेवा में अदाणी समूह प्रतिदिन एक लाख से अधिक लोगों को निःशुल्क भोजन वितरण कर रहा है। गौतम अदाणी ने गंगा तट पर स्थित शंकर विमानमंडपम मंदिर में माथा भी टेका।

पीएम मोदी और सीएम योगी की तारीफ

महाकुंभ के अनुभव को लेकर अदाणी ने कहा कि यहां की भव्यता और व्यवस्था के लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देशवासियों की तरफ से धन्यवाद देता हूं। उन्होंने कहा कि इस मेले में करोड़ों लोग आते हैं और यहां सफाई और अन्य व्यवस्थाएं मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट और कॉरपोरेट हाउस के लिए शोध का विषय हैं। यहां आकर बहुत अद्भुत अनुभव हुआ।

2023 में हुई अदाणी के बेटे जीत की सगाई

बता दें कि अदाणी के बेटे जीत (28) की दिवा से सगाई मार्च, 2023 में अहमदाबाद में एक निजी समारोह में हुई थी। हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस विवाह के मेहमानों की सूची में एलन मस्क से लेकर बिल गेट्स जैसे लोग शामिल हो सकते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

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