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बच्चे सात बजे स्कूल जा सकते हैं, तो हम 9 बजे कोर्ट क्यों नहीं शुरू कर सकते?
नई दिल्ली। अगस्त 2022 में भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस यूयू ललित ने कोर्ट में कामकाज के समय को लेकर अहम टिप्पणी की है। जस्टिस ललित ने कहा अगर बच्चे सुबह सात बजे स्कूल जा सकते हैं तो जज और वकील 9 बजे से अपना काम क्यों नहीं शुरू कर सकते? उन्होंने यह टिप्पणी आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में समय से पहले सुनवाई शुरू करने के बाद की।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच साढ़े दस बजे असेंबल होती है और उसके बाद मामलों की सुनवाई शुरू होती है, जो चार बजे तक चलती है। इसी दौरान एक से दो बजे के दौरान लंच ब्रेक रहता है।
इस प्रैक्टिस के उलट जस्टिस ललित ने आज शुक्रवार को सुबह साढ़े नौ बजे केस की सुनवाई शुरू कर दी। उनकी बेंच में जस्टिस एस रविंद्र भट और सुधांशु धूलिया भी हैं।
जमानत के एक मामले में पेश हुए देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल और नामी वकील मुकुल रोहतगी ने तय वक्त से पहले कार्यवाही शुरू करने के लिए बेंच की तारीफ की और कहा कि यही वक्त कोर्ट की कार्यवाही शुरू करने के लिए ज्यादा उचित है।
इसपर जस्टिस ललित ने जवाब दिया कि मेरा हमेशा से यह मत रहा है कि कोर्ट की कार्यवाही जल्दी शुरू होनी चाहिए। आदर्श रूप से तो हमें सुबह 9 बजे शुरू कर देना चाहिए। जब बच्चे सुबह सात बच्चे स्कूल जाते हैं तो हम 9 बजे काम शुरू क्यों नहीं कर सकते हैं।
जस्टिस ललित ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच 9 बजे शुरू होनी चाहिए और साढ़े ग्यारह बजे आधे घंटे का ब्रेक हो। इसके बाद 12 बजे शुरू करके दो बजे तक सुनवाई होनी चाहिए। इससे शाम को ताजा मामलों और ऐसे मामलों के लिए ज्यादा वक्त मिलेगा, जिनके लिए लंबी सुनवाई की जरूरत होती है।
गौरतलब है कि एन वी रमना के रिटायर होने के बाद जस्टिस ललित इस साल अगस्त में चीफ जस्टिस बनने वाले हैं। वह 27 अगस्त से 8 नवंबर तक चीफ जस्टिस रहेंगे।
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World Meditates With Gurudev कार्यक्रम ने रचा इतिहास, 180 से ज्यादा देशों के लोग हुए शामिल
बेंगलुरु। विश्व ध्यान दिवस पर आयोजित World Meditates With Gurudev कार्यक्रम ने इतिहास रच दिया है। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने ऑन लाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से दुनिया भर के 85 लाख से ज्यादा लोगों को सामूहिक ध्यान कराया। इस कार्यक्रम ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और वर्ल्ड रिकॉर्ड्स यूनियन में जगह बनाते हुए पिछले सारे रिकॉर्ड्स तोड़ दिए। आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम ने सामूहिक ध्यान के लिए दुनिया भर के लोगों को एक साथ जोड़ा।
180 से ज्यादा देशों के लोग शामिल हुए
दरअसल, पूरी दुनिया ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के तौर पर मनाया। इसी क्रम में यह कार्यक्रम आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में 180 से ज्यादा देशों के लोग शामिल हुए और इसके माध्यम से ध्यान की परिवर्तनकारी शक्ति को प्रदर्शित किया। श्री श्री रविशंकर संयुक्त राष्ट्र में विश्व ध्यान दिवस के उद्घाटन कार्यक्रम में भी शामिल हुए। संयुक्त राष्ट्र में उद्घाटन समारोह से शुरू होकर अपने समापन तक यह कार्यक्रम दुनिया के महाद्वीपों में ध्यान की लहर फैलाता चला गया।
ये रिकॉर्ड टूटे
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड
YouTube पर ध्यान के लाइव स्ट्रीम के सबसे ज़्यादा दर्शक
एशिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स
एक दिवसीय ध्यान में भारत के सभी राज्यों से अधिकतम भागीदारी
एक दिवसीय ध्यान में अधिकतम Nationalities ने हिस्सा लिया
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