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राजनीति

पंजाब में कांग्रेस: सुनील जाखड़ के समर्थन में उतरे कई बड़े नेता, बताया बड़ा नुकसान

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चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस में उठापटक का दौर जारी है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ के इस्तीफे के बाद पार्टी के कई कई वरिष्ठ नेता उनके समर्थन में उतर आए हैं। नेताओं ने जाखड़ के इस्तीफे को ‘बड़ा नुकसान’ बताया है। गौरतलब है कि सुनील जाखड़ ने शनिवार को फेसबुक लाइव के जरिए कांग्रेस छोड़ने का ऐलान कर दिया था।

रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता लाल सिंह और शमशेर सिंह ढुलो ने जाखड़ का समर्थन किया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष शमशेर सिंह ढुलो ने कहा कि जिन लोगों का पार्टी बनाने में कोई योगदान नहीं है वे कार्यक्रम चला रहे हैं और कांग्रेस के पारंपरिक नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस एक परिवार की तरह है। मतभेदों को दूर करने के लिए जाखड़ को बुलाना चाहिए था। जाखड़ का इस्तीफा पार्टी के लिए अच्छा नहीं है।’

पीसीसी के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष लाल सिंह ने इस्तीफे को ‘बड़ा नुकसान’ बताया है। उन्होंने कहा, ‘वह बड़े नेता हैं। पारंपरिक कांग्रेसियों की कीमत पर बाहरी लोगों की बातों को सुना जा रहा है।’

शमशेर सिंह ढुलो ने कहा, ‘अगर पार्टी को दोबारा तैयार होना है तो चापलूस और अमीर नेताओं के बजाए पार्टी हाईकमान को पारंपरिक कांग्रेसियों के सुझाव सुनने चाहिए लेकिन यहां कोई नहीं सुनता।’ पार्टी एक संगठन के तौर पर नहीं बल्कि मैनेजर की ओर से चल रही है।

मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के गृह जनपद के कई नेताओं को लगता है कि जाखड़ का इस्तीफा पार्टी के लिए बड़ा झटका है। जिला कांग्रेस समिति के पूर्व अध्यक्ष गुरदास गिरधर का कहना है, ‘पारंपरिक कांग्रेस नेता जाखड़ के इस्तीफे से निराश हैं। वह चतुर राजनेता हैं और लंबे समय तक पार्टी की सेवा की है। उनका इस्तीफा निश्चित ही पार्टी के लिए झटका है।’

जगपाल सिंह अबुलखुराना ने कहा, ‘जब कांग्रेस को खासतौर से पंजाब में धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और उदारवादी राजनीति की जरूरत है, तब जाखड़ का इस्तीफा बड़ा झटका है।

पंजाब में बदले की राजनीति बढ़ती दिख रही है और अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे नेताओं को चुप कराना अच्छा नहीं है और यह पंजाब को अंधेरे दौर में धकेल सकता है।’

वहीं, पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि वे जाखड़ के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘जाखड़ जहां भी जाएंगे खुद को साबित करेंगे।’

नेशनल

शराब घोटाला: केजरीवाल के खिलाफ चलेगा केस, एलजी ने ईडी को दी मंजूरी

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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैँ। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ईडी को आबकारी नीति मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को ईडी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।

ईडी ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।

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