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ईडी ने केजरीवाल को भेजा 9वां समन, 21 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया
नई दिल्ली। दिल्ली शराब नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिग केस में प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को 9वां समन जारी किया है। ईडी ने अब सीएम केजरीवाल को 21 मार्च को मुख्यालय में प्रस्तुत होने को कहा है। सीएम केजरीवाल को ईडी की तरफ से इससे पहले भी 8 समन जारी किए जा चुके हैं। हालांकि अरविंद केजरीवाल अभी तक ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए हैं।
]प्रवर्तन निदेशालय(ED) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 मामले में अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच में 9वां समन जारी किया है। उन्हें 21 मार्च को जांच में शामिल होने के लिए कहा है।
जांच एजेंसी इससे पहले भी सीएम केजरीवाल को 8 बार समन भेज चुकी है, लेकिन वो एक बार भी ईडी के सवालों का जवाब देने के लिए प्रस्तुत नहीं हुए हैं. इस क्रम में ईडी ने एक बार फिर से उनको तलब किया है। हालांकि यह देखना होगा कि सीएम केजरीवाल ईडी मुख्यालय में हाजिर होते हैं या नहीं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया और आम आदमी राज्यसभा सदस्य संजय सिंह इस मामले में जेल में बंद हैं।
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शराब घोटाला: केजरीवाल के खिलाफ चलेगा केस, एलजी ने ईडी को दी मंजूरी
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैँ। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ईडी को आबकारी नीति मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को ईडी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।
ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।
ईडी ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।
जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।
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