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बिजनेस

कर्मचारियों में है उलझन, उच्च पेंशन स्कीम या EPF में क्या है ज्यादा फायदेमंद?  

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EPFO

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नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की चर्चा इस समय प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के बीच खूब हो रही है, क्योंकि EPFO द्वारा संचालित कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिए 26 जून तक का समय है।

हालांकि, टैक्सपेयर के पास EPS के तहत उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिए पर्याप्त समय है, लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि उच्च पेंशन विकल्प चुनने का अर्थ है कम ईपीएफ अंशदान, जिसके परिणामस्वरूप रिटायरमेंट पर पेंशन की निकासी पर कर्मचारी भविष्य निधि कोष (EPF) सिकुड़ सकता है।

क्या है कर्मचारियों के बीच उलझन?

ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर आप हाईयर पेंशन स्कीम चुनते हैं तो उसके लिए जो रकम आप देंगे वो आपको पीएफ खाते से ही कटेगी, वहीं दूसरी ओर अब सरकार पीएफ में जमा पैसे पर 8.15 प्रतिशत का अच्छा ब्याज दर देने लगी है। अब ऐसे में कर्मचारियों के बीच यह उलझन है कि उच्च पेंशन स्कीम का विकल्प चुने या पीएफ का पैसा पीएफ अकाउंट में ही रख कर ब्याज कमाए।

किस विकल्प को चुनें?

हायर पेंशन स्कीम सिर्फ उन लोगों के लिए पात्र है जो ईपीएफ के सदस्य होने के मानदंडों को पूरा करते हैं। यदि टैक्सपेयर अपने रिटायरमेंट के बाद उच्च मासिक पेंशन इनकम का सोच रहे हैं तो ईपीएस के तहत आने वाली हायर पेंशन स्कीम को चुन सकते हैं।

यहां आपको यह बता दें कि हर महीने मिली इस पेंशन पर आपको टैक्स भी देना होगा। इस विकल्प का चयन तभी करें, जब रिटायरमेंट के बाद आपको एक साथ पैसों की जगह हर महीने पैसों की जरूरत हो। आपको यह पेंशन तब तक मिलेगी, जब तक आप जीवित रहते हैं उसके बाद इस पेंशन का कुछ हिस्सा पति/पत्नी और बच्चों को भी पात्रता के अनुसार प्राप्त होता रहेगा।

कब करें ईपीएफ का चुनाव?

वहीं ईपीएफ का चुनाव तब करें जब आपको अपने पीएफ खाते में पड़े पैसों का उपयोग किसी बड़ी चीज के लिए करना हो, क्योंकि रिटायरमेंट के बाद आपको पीएफ का पैसा एक साथ मिल जाता है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि ईपीएस के जैसे आपको ईपीएफ में कोई भी टैक्स नहीं देना है।

इस विकल्प का चयन तब करें, जब आपको रिटायमेंट में बड़ा निवेश करने का इरादा हो, जैसे कि घर खरीदना, या कोई बिजनेस शुरू करना इत्यादि। अगर आपके मन में ऐसे विचार हैं तो आपको पीएफ खाते में पड़े पैसों पर सरकार द्वारा दी जा रही ब्याज से पैसा कमाना चाहिए।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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