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क़ुतुब मीनर में मिले पूजा की आज़ादी, हिन्दू संगठन ने उठाई मांग

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भारत के सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक क़ुतुब मीनर में लोगों का ताता लगा रहता है। यहां हज़ारों लोग घूमने के लिए आते हैं। साथ ही ये एतिहासिक ईमारत आए-दिन सुर्ख़ियों का विषय बनी रहती है। दिल्ली के कुतुब मीनार परिसर को लेकर अब एक नया विवाद तूल पकड़ने लगा है। ये विवाद है कुतुब मीनार परिसर को मंदिर परिसर के तौर पर विकसित करने का। ये मिनार भगवान गणेश की मूर्ति को लेकर पिछले कुछ दिनों से विवादों में है।

हिंदू समाज से जुड़े हुए लोग जहां कुतुब मीनार में रखी हुई मूर्तियों को फिर स्थापित कर परिसर में ही मंदिर बनाने की मांग कर पूजा का अधिकार मांग रहे हैं, तो दिल्ली की अदालत में याचिका दायर कर मांग की जा रही है कि कुतुब मीनार के पूरे परिसर को ही मंदिर परिसर के तौर पर फिर विकसित किया जाए। दरअसल, शनिवार को विश्व हिन्दू परिषद् के कुछ पदाधिकारी क़ुतुब मीनर का दौरा करने पहुंचे थे, इसके बाद ही इन पदाधिकारियों ने सरकार से इस मीनर को हिन्दुओं को सौपने की मांग कर डाली। विश्व हिन्दू परिषद् के राष्ट्रिय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, ‘क़ुतुब मीनर के पौराणिक प्रांगड़ है। इस प्रांगड़ में लगभग 23 प्राचीन मंदिर थे। इन मंदीरों को तोड़ कर मुगलों ने भारतीय संस्कृति को मिटानी की कोशिश की।’

दिल्ली की कुतुब मीनार को देखने देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर से सैलानी इस परिसर में पहुंचते हैं। लेकिन अब इस कुतुब मीनार को लेकर ही एक नया पक्ष सामने आने लगा है। ये पक्ष दावा कर रहा है कि कुतुब मीनार असल मायने में मंदिरों को गिरा कर खड़ी की गई एक मीनार है जिसका मकसद हिंदू सभ्यता के ऊपर आघात करने का था। दलील दी जा रही है कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतुब मीनार का निर्माण हिंदू और जैन मंदिरों को गिरा कर उसके मलबे से किया था लिहाजा इतिहास में हुई उस गलती को सुधारा जाए।

इस बीच ये मामला दिल्ली की निचली अदालत में भी पहुंच गया है। राम मंदिर मामले में पेश होने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने दिल्ली की साकेत कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की है कि कुतुब मीनार परिसर को हिंदू मंदिर परिसर के तौर पर पुनर्विकसित किया जाए। वहीं वीएचपी के प्रवक्ता विनोद बंसल मांग कर रहे हैं कि कुतुब मीनार परिसर में मौजूद मूर्तियों को वहां पर मंदिर बना कर फिर स्थापित किया जाए और पूजा का अधिकार मिले।

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World Meditates With Gurudev कार्यक्रम ने रचा इतिहास, 180 से ज्यादा देशों के लोग हुए शामिल

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बेंगलुरु। विश्व ध्यान दिवस पर आयोजित World Meditates With Gurudev कार्यक्रम ने इतिहास रच दिया है। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने ऑन लाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से दुनिया भर के 85 लाख से ज्यादा लोगों को सामूहिक ध्यान कराया। इस कार्यक्रम ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और वर्ल्ड रिकॉर्ड्स यूनियन में जगह बनाते हुए पिछले सारे रिकॉर्ड्स तोड़ दिए। आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम ने सामूहिक ध्यान के लिए दुनिया भर के लोगों को एक साथ जोड़ा।

180 से ज्यादा देशों के लोग शामिल हुए

दरअसल, पूरी दुनिया ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के तौर पर मनाया। इसी क्रम में यह कार्यक्रम आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में 180 से ज्यादा देशों के लोग शामिल हुए और इसके माध्यम से ध्यान की परिवर्तनकारी शक्ति को प्रदर्शित किया। श्री श्री रविशंकर संयुक्त राष्ट्र में विश्व ध्यान दिवस के उद्घाटन कार्यक्रम में भी शामिल हुए। संयुक्त राष्ट्र में उद्घाटन समारोह से शुरू होकर अपने समापन तक यह कार्यक्रम दुनिया के महाद्वीपों में ध्यान की लहर फैलाता चला गया।

ये रिकॉर्ड टूटे

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

YouTube पर ध्यान के लाइव स्ट्रीम के सबसे ज़्यादा दर्शक

एशिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स

⁠एक दिवसीय ध्यान में भारत के सभी राज्यों से अधिकतम भागीदारी
एक दिवसीय ध्यान में अधिकतम Nationalities ने हिस्सा लिया

 

 

 

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