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नेशनल

दिल्ली-NCR में हटीं ग्रेप तीन की पाबंदियां, हो सकेंगे निर्माण कार्य; चल सकेंगे प्रतिबंधित वाहन

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Grap 3 restrictions lifted in Delhi-NCR

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नई दिल्ली। प्रदूषण के स्तर में हुए सुधार के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की उप समिति ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) तीन की पाबंदियों को वापस ले लिया है। इसके साथ ही अब दिल्ली-एनसीआर में निजी निर्माण कार्यों में लगी पाबंदी हट गई है।

बीएस-3 पेट्रोल एवं बीएस-4 डीजल चालित चार पहिया वाहन भी चल सकेंगे। बारिश के असर से एक्यूआइ में मंगलवार को हुए सुधार के बाद शाम को ग्रेप की उप समिति की बैठक हुई, जिसमें प्रदूषण स्तर की समीक्षा की गई। बैठक में कहा गया कि प्रदूषण स्तर में सुधार हुआ है और अगले कुछ दिनों में वायु गुणवत्ता के दोबारा ‘गंभीर’ श्रेणी में जाने के आसार नहीं हैं।

ग्रेप एक और दो की पाबंदियां रहेंगी जारी

इसी को देखते हुए ग्रेप तीन की पाबंदियां वापस लेने का फैसला लिया गया। ग्रेप एक और दो की पाबंदियां जारी रहेंगी। इससे पूर्व हवा के स्तर में हुए सुधार के बाद समिति ने 18 नवंबर को ग्रेप के चौथे चरण की पाबंदियों को वापस लिया था।

नवंबर में लगातार बने रहे प्रदूषण के भयावह स्तर के मद्देनजर इस बार ग्रेप तीन की पाबंदियों का समय लंबा खिंच गया। प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी होने पर दो नवंबर को यह पाबंदियां लगाई थीं। अब 27 दिनों बाद इन पाबंदियों को हटाया गया है।

ग्रेप तीन की पाबंदियों में निजी निर्माण और ध्वस्तीकरण पर पाबंदी लगी थी। लाखों की संख्या में लोग निर्माण सेक्टर में काम करते हैं, इसलिए इन पाबंदियों का असर इन सभी पर पड़ रहा था। बहुत सारे निर्माण कार्य अधूरे पड़े थे।

वहीं, स्टोन क्रेशर आदि का संचालन भी अब किया जा सकेगा। ग्रेप तीन के तहत बीएस-3 वाले पेट्रोल और बीएस-4 वाले डीजल चार पहिया वाहनों (कारें) पर प्रतिबंध लगा हुआ था। यह पाबंदी दिल्ली के साथ एनसीआर के चार जिलों गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, फरीदाबाद और गुरुग्राम में लगी हुई थी। अब इन वाहनों का संचालन भी किया जा सकेगा।

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शराब घोटाला: केजरीवाल के खिलाफ चलेगा केस, एलजी ने ईडी को दी मंजूरी

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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैँ। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ईडी को आबकारी नीति मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को ईडी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।

ईडी ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।

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