Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

गुजरात: भाजपा में ‘हार्दिक’ स्वागत की तैयारी, 2 जून को शामिल होंगे पाटीदार नेता

Published

on

Loading

अहमदाबाद। गुजरात में विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस को करारा झटका देने वाले पाटीदार समाज के युवा नेता हार्दिक पटेल 2 जून को भाजपा में शामिल होंगे। हार्दिक गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष थे, बीते दिनों उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

हार्दिक गांधी नगर स्थित भाजपा मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता लेंगे। हार्दिक पटेल ने 2 जून को भाजपा में शामिल होने की पुष्टि की है। इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल भी मौजूद होंगे और उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाएंगे।

पाटीदारों को लुभाने में भाजपा को मिलेगी बड़ी मदद

बताया जा रहा है कि हार्दिक पटेल के साथ ही 15,000 अन्य लोग भी भाजपा में शामिल होंगे। हार्दिक का भाजपा में शामिल होना पाटीदार राजनीति के लिए अहम माना जा रहा है। गुजरात में 2015 में हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन का हार्दिक पटेल प्रमुख चेहरा थे।

कांग्रेस में उनकी एंट्री के बाद पार्टी मान रही थी कि उसे पाटीदार समाज का समर्थन मिलेगा, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन के बाद भी वह सत्ता से दूर रह गई थी।

चुनाव से पहले कांग्रेस को लगा करारा झटका

हार्दिक के भाजपा में जाने के से कांग्रेस के लिए चुनाव से पहले यह करारा झटका है। कांग्रेस पहले ही लगातार नेताओं के पलायन से जूझ रही है। हालांकि हार्दिक पटेल को लेकर भाजपा की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

उधर, पाटीदार आंदोलन के दौरान के एक मामले को लेकर हार्दिक को कोर्ट ने राहत दी थी। ऐसे में हार्दिक के चुनाव लड़ने का रास्ता भी साफ हो गया है। अब तय लगता है कि हार्दिक पटेल बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

Published

on

Loading

महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

Continue Reading

Trending