उत्तर प्रदेश
कश्मीर में मारे गए हिंदुओ को मिलेगा मोक्ष, काशी में खास अनुष्ठान का आयोजन
वाराणसी। कश्मीर में 1990 के दशक में हुए नरसंहार में मारे हिंदुओ को अब मोक्ष का अधिकार मिलेगा। भोले की नगरी काशी में इसके लिए खास अनुष्ठान का आयोजन किया गया। काशी के पिचाश मोचन तीर्थ पर इसके लिए विशेष त्रिपिंडी श्राद्ध का आयोजन किया गया।
खास बात यह है कि फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने खुद इस अनुष्ठान में कश्मीरी ब्राम्हणों का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा इस नरसंहार में अपनों की जान गवाने वाले कश्मीरी पण्डितों के परिजन भी शामिल हुए। सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना के सयुंक्त तत्वावधान में यह त्रिपिंडी श्राद्ध किया गया। 9 ब्राह्मण इस अनुष्ठान में शामिल हुए।
बताते चले कि 1990 के दशक से कश्मीर में हिंदुओं खासकर कश्मीरी पंडितों के साथ नरसंहार की शुरुआत हुई थी। इस नरसंहार में साल दर साल सैकड़ो लोगो को मौत के घाट उतारा गया। इस बीच लाखों कश्मीरी पंडितों ने अपनी पूर्वजों के करोड़ो की संपत्ति छोड़कर रिफ्यूजी कैम्पों में रहने को मजबूर हो गए।
इन्ही अतृप्त आत्माओं की शांति के लिए सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना ने इस विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया इस विशेष अनुष्ठान में काशी सहित विभिन्न राज्यों के धर्माचार्य और विद्वान शामिल भी शामिल हुए।
उत्तर प्रदेश
लखनऊ में बाघ का आतंक : वन विभाग ने पकड़ने के लिए किए तरह – तरह के उपाय, नहीं आ रहा है हाथ
लखनऊ। रहमानखेड़ा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ ने एक और पड़वे (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। यह बाघ का 15वां शिकार है। बाघ ने वन विभाग को एक बार फिर चकमा देते हुए जंगल में उसी जगह शिकार किया जहां उसको फंसाने के लिए गड्ढा खोदा गया है। जंगल के जोन एक के बेल वाले ब्लॉक में वन विभाग ने 15 फीट गहरा गड्ढा खोद झाड़ियों से ढक दिया है ताकि बाघ शिकार करने का प्रयास करें तो गहरे गड्ढे में गिर जाए।
फिर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। यहीं एक पिंजरा भी लगाया गया है जिसमें पड़वे को बांधा गया था। हालांकि वन विभाग की सारी तरकीबें धरी रह गई हैं। मंगलवार भोर में बाघ ने पड़वा को अपना निवाला बनाया। न वो पिंजरे में फंसा न गड्ढे में गिरा। सुबह जानकारी पर जांच करने पहुंची टीम को पड़वे का क्षतविक्षत शव मिला। मौके से बाघ के पगचिह्न भी मिले।
विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ 24 घंटे के अंदर अपने शिकार का बचा हुआ मांस खाने के लिए दोबारा आ सकता है। वन विभाग की टीम ने बाघ की तलाश में मीठेनगर, उलरापुर और दुगौली के आसपास मौजूद जंगल में डायना और सुलोचना हथिनियों से कॉम्बिंग की लेकिन उसका पता नहीं लगा। शिकार की जानकारी पर अपर मुख्य वन संरक्षक रेणू सिंह ने टीम लीडर आकाशदीप बधावन व डीएफओ सितांशु पांडेय के साथ शिकार स्थल का जायजा लिया। यहां सक्रिय टीम को मृत पड़वे के पास निगरानी करने का निर्देश दिए।
तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही नो- गो- जोन में कर रही शोर गुल
वन विभाग ने रहमान खेड़ा में नो-गो जोन घोषित किया है। इसके बावजूद वन विभाग के ही 30 से ज्यादा वाहनों की हलचल यहां हर दिन रहती है। मंगलवार को दोपहर में अधिकारियों समेत वन विभाग टीम के करीब दो दर्जन चार पहिया वाहन कमांड ऑफिस के आस-पास खड़े थे। संस्थान के कर्मियों के वाहन व बसों की आवाजाही भी यहां रहती है। मचान व पिंजरों के पास भी वाहनों के साथ अधिकारी आ जा रहे हैं। इसी के चलते बाघ पकड़ में नहीं आ पा रहा है।
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