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उत्तर प्रदेश

माफिया अतीक के करीबी हिस्ट्रीशीटर अनीस ने किया सरेंडर, करीब 40 मुकदमे हैं दर्ज

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Mafia Atiq Ahmed Prisoner number 17052

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प्रयागराज। प्रयागराज में पेशी के दौरान पुलिस कस्टडी में मौत के घाट उतार दिए गए कुख्यात माफिया अतीक अहमद के करीबी हिस्ट्रीशीटर अनीस ने आज सोमवर को अचानक कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। कोर्ट के आदेश पर अनीस को जेल भेज दिया गया। अनीस के खिलाफ उतरांव थाने में हत्या समेत 3 दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। फूलपुर पुलिस ने उसे गैंगस्टर में वांटेड किया था।

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक आरोपी अनीस के खिलाफ गैंगस्टर के मुकदमे में गैर जमानती वारंट (NBW) जारी किया गया था। पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी। उमेश पाल हत्याकांड के बाद भी क्राइम ब्रांच उसकी तलाश में थी।

कई परिवारों के लिए बना था दहशत का सबब

प्रयागराज के उतरांव में कई परिवार उसकी धमकियों से दहशत में थे, लेकिन स्थानीय पुलिस उसकी गिरफ्तारी में उदासीन रही। उतरांव में दमगढ़ा गांव निवासी अनीस अहमद उर्फ गुड्डू के खिलाफ फूलपुर, उतरांव, मुट्ठीगंज, कर्नलगंज समेत अन्य थानों में तकरीबन 40 मुकदमे दर्ज हैं।

रासुका के तहत हुई थी कार्रवाई

2002 में उसके खिलाफ पहला कत्ल का मुकदमा उतरांव थाने में लिखा गया था। धमकी देकर रंगदारी उगाही, हत्या की कोशिश, बलवा के कई केस उसके खिलाफ लिखे गए। रासुका के तहत भी पुलिस ने उसके खिलाफ कार्रवाई की थी।

अतीक के नाम से करता रहा गुंडई

गुंडागर्दी के भी मामले दर्ज हुए, लेकिन वह खुद को अतीक अहमद गिरोह का गुंडा बताकर आपराधिक गतिविधियां करता रहा। एसओजी ने एक बार अवैध हथियार के साथ गिरफ्तार किया था। वह शहर के कैंट और करेली इलाके में रहकर अतीक के गुर्गों के साथ धमकाने और रंगदारी वसूलने में लगा रहता। पिछले वर्ष अनीस के खिलाफ उतरांव थाने में रंगदारी के लिए धमकी का केस लिखा गया लेकिन स्थानीय पुलिस उसे नौ महीने में गिरफ्तार नहीं कर सकी।

उत्तर प्रदेश

लखनऊ में बाघ का आतंक : वन विभाग ने पकड़ने के लिए किए तरह – तरह के उपाय, नहीं आ रहा है हाथ

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लखनऊ। रहमानखेड़ा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ ने एक और पड़वे (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। यह बाघ का 15वां शिकार है। बाघ ने वन विभाग को एक बार फिर चकमा देते हुए जंगल में उसी जगह शिकार किया जहां उसको फंसाने के लिए गड्ढा खोदा गया है। जंगल के जोन एक के बेल वाले ब्लॉक में वन विभाग ने 15 फीट गहरा गड्ढा खोद झाड़ियों से ढक दिया है ताकि बाघ शिकार करने का प्रयास करें तो गहरे गड्ढे में गिर जाए।

फिर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। यहीं एक पिंजरा भी लगाया गया है जिसमें पड़वे को बांधा गया था। हालांकि वन विभाग की सारी तरकीबें धरी रह गई हैं। मंगलवार भोर में बाघ ने पड़वा को अपना निवाला बनाया। न वो पिंजरे में फंसा न गड्ढे में गिरा। सुबह जानकारी पर जांच करने पहुंची टीम को पड़वे का क्षतविक्षत शव मिला। मौके से बाघ के पगचिह्न भी मिले।

विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ 24 घंटे के अंदर अपने शिकार का बचा हुआ मांस खाने के लिए दोबारा आ सकता है। वन विभाग की टीम ने बाघ की तलाश में मीठेनगर, उलरापुर और दुगौली के आसपास मौजूद जंगल में डायना और सुलोचना हथिनियों से कॉम्बिंग की लेकिन उसका पता नहीं लगा। शिकार की जानकारी पर अपर मुख्य वन संरक्षक रेणू सिंह ने टीम लीडर आकाशदीप बधावन व डीएफओ सितांशु पांडेय के साथ शिकार स्थल का जायजा लिया। यहां सक्रिय टीम को मृत पड़वे के पास निगरानी करने का निर्देश दिए।

तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही नो- गो- जोन में कर रही शोर गुल

वन विभाग ने रहमान खेड़ा में नो-गो जोन घोषित किया है। इसके बावजूद वन विभाग के ही 30 से ज्यादा वाहनों की हलचल यहां हर दिन रहती है। मंगलवार को दोपहर में अधिकारियों समेत वन विभाग टीम के करीब दो दर्जन चार पहिया वाहन कमांड ऑफिस के आस-पास खड़े थे। संस्थान के कर्मियों के वाहन व बसों की आवाजाही भी यहां रहती है। मचान व पिंजरों के पास भी वाहनों के साथ अधिकारी आ जा रहे हैं। इसी के चलते बाघ पकड़ में नहीं आ पा रहा है।

 

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