Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तर प्रदेश

बागपत: कब्रिस्तान की जमीन पर बना लिया था मकान, प्रशासन ने किया ध्वस्त

Published

on

House built on cemetery land in Baghpat

Loading

बागपत। उप्र के बागपत जिला प्रशासन ने पुराना कस्बा में केतीपुरा की नई बस्ती में बुलडोजर चलाकर सात मकानों को ध्वस्त करा दिया। इस दौरान महिलाओं और बच्चों ने विरोध किया, लेकिन उनकी एक नहीं चली। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद लोगों ने यहां जमीन खरीदकर मकान बनाए थे। दरअसल, प्रशासन के अनुसार ये मकान कब्रिस्तान की जमीन पर बनाए गए थे।

जिला प्रशासन को मिली थी शिकायत

जिला प्रशासन को शिकायत मिली थी कि पुराना कस्बा बागपत में कब्रिस्तान एवं अनुसूचित जाति के लोगों से बिना प्रशासन की अनुमति लिए 10 एवं 100 रुपये स्टांप पर जमीन खरीद कर मकान बना लिए। जांच के बाद सोमवार शाम चार बजे कब्रिस्तान की बनी जमीन पर बने मकानों को तोड़ने का काम एडीएम प्रतिपाल चौहान के नेतृत्व में शुरू हुआ।

तहसीलदार प्रसून कश्यप तथा सीओ डीके शर्मा ने पुलिस बल के साथ मकानों पर जेसीबी मशीन चलवाई तो महिलाओं, पुरुषों तथा बच्चों ने विरोध कर दिया। इसके बावजूद तीन मकान तथा चार प्लाटों की चारदीवारी तोड़ी गई।

महिलाओं ने दिया ठंड का हवाला

जिस समय ध्वस्तीकरण चल रहा था, तभी महिलाओं-बच्चों और लोगों ने ठंड का हवाला देकर कहा कि हमारा क्या दोष है? हमनें तो यह जमीन रहीस नाम के व्यक्ति से खरीदी थी। एक महिला ने बैनामे की कापी दिखाते हुए अधिकारियों से कहा कि जब यह जमीन कब्रिस्तान की है तो फिर उनके नाम बैनामा कैसे हो गया।

दंगा होने के बाद खरीदा था प्लाट

समीर ने बताया कि वह मुजफ्फरनगर के बुढाना थाना क्षेत्र के मोहम्मदपुर रायसिंह गांव के मूल निवासी हैं तथा वर्ष 2013 में दंगा होने के बाद यहां उन्होंने व उनकी बहन बलकीसा ने प्लाट खरीदा था। बाकी लोग भी 2013 में ही बागपत के खेड़ा हटाना गांव से आकर यहां 50 या 60 गज का प्लाट लेकर मकान बनाकर रहने लगे। लोगों ने कहा कि मकान तोड़ने से पहले उन्हें कोई नोटिस तक नहीं दिया गया। न मकान तोड़ने की पहले से सूचना दी गई।

पूरे मामले पर एडीएम प्रतिपाल चौहान ने बताया सरकारी कब्रिस्तान पर अवैध रूप से मकान बने होने की शिकायत पर जंचाई कराई। अवैध रूप से बने तीन मकान व चार प्लाटों की बाउंड्री को ध्वस्त कराया। कब्रिस्तान की जमीन पर प्लाट काटकर बेचने वाले व्यक्ति की जांच कर मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश तहसीलदार को दिया गया है।

House built on cemetery land in Baghpat, House built on cemetery land, House built on cemetery land latest news, House built on cemetery land in Baghpat news,

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

Published

on

Loading

महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

Continue Reading

Trending